मांगें नहीं मानी गयीं, तो 27 से बेमियादी हड़ताल पर चले जायेंगे राज्य भर के मनरेगा कर्मी : संघ

झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ की बैठक गुरुवार को राजधानी के नामकुम स्थित पंचायत सचिवालय में हुई. इसमें मनरेगा कर्मियों की लंबित मांगों और समस्याओं पर चर्चा हुई.

By Prabhat Khabar News Desk | July 23, 2020 5:42 AM

रांची : झारखंड राज्य मनरेगा कर्मचारी संघ की बैठक गुरुवार को राजधानी के नामकुम स्थित पंचायत सचिवालय में हुई. इसमें मनरेगा कर्मियों की लंबित मांगों और समस्याओं पर चर्चा हुई. इस दौरान संघ के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि अगर राज्य सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो राज्य भर के करीब छह हजार मनरेगा कर्मी 27 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे. बैठक की अध्यक्षता करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिरुद्ध पांडेय ने कहा कि राज्य के अधिकारी मनरेगा को लेकर राज्य सरकार को गुमराह कर रहे हैं.

पिछले दिनों मनरेगा कर्मियों ने एनजीओ के जरिये सामाजिक अंकेक्षण कराये जाने का विरोध किया था. इस पर बदले की भावना से सक्षम अधिकारियों ने मनरेगा साथियों को बर्खास्त कर दिया. श्री पांडेय ने आरोप लगाया कि मनरेगा को डिमांड आधारित योजना के बजाय लक्ष्य आधारित योजना बनाकर प्रत्येक पंचायत में 300 से अधिक मजदूरों को नियोजित करने का अनुचित दबाव बनाया जा रहा है. प्रदेश सचिव मो इम्तियाज ने कहा कि राज्य के तमाम आला अफसर और नेता कोरेंटिन में हैं, जबकि मनरेगा कर्मियों को बिना सुरक्षा बीमा और जरूरी सुविधाओं के कोरोना ड्यूटी में लगा दिया गया है.

कई मनरेगा साथी बिना कोरोना पॉजिटिव हो गये हैं. प्रदेश सचिव जॉन पीटर बागे ने कहा कि संघ ने कई बार पत्र लिख कर सरकार को अपनी मांगों और मनरेगा कर्मियों की समस्याओं से अवगत कराया, लेकिन अब तक सरकार ने कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया. इस वजह से राज्य के करीब छह हजार मनरेगा कर्मी, जिसमें ग्राम रोजगार सेवक, लेखा सहायक, कंप्यूटर सहायक, कनीय अभियंता, सहायक अभियंता एवं प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी शामिल हैं,

सभी 27 जुलाई से बेमियादी हड़ताल पर चले जायेंगे. इससे राज्य की विभिन्न मनरेगा योजनाएं प्रभावित होंगी और मजदूरों की रोजी-रोटी प्रभावित होगी.बैठक में उदय प्रसाद, विकास पांडेय, अभिमन्यु तिवारी, संजय प्रमाणिक, महेश सोरेन, नन्हे परवेज, नरेश सिन्हा, कालेश्वर साहु, मिथिलेश कुमार समेत विभिन्न जिलों से आये संघ के प्रतिनिधि शामिल थे.

संघ की प्रमुख मांगें:

सभी मनरेगा कर्मियों का स्थायी करण हो –

25 लाख का जीवन बीमा व पांच लाख स्वास्थ्य बीमा दिया जाये-

मृत मनरेगा कर्मी के परिवार को 25 लाख मुआवजा व उसके आश्रित को अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाये-

मनरेगा कर्मियों को मातृत्व/पितृत्व अवकाश, अर्जित अवकाश, चिकित्सा अवकाश आदि का प्रावधान किया जाये-

मनरेगा कर्मियों को सीध बर्खास्त करने के बजाये उन पर सरकारी कर्मचारी की तहर विभागीय कार्रवाई की जाये-

मनरेगा कर्मियों को सीमित उप समाहर्ता परीक्षा में बैठने का अवसर दिया जाये और सेवा काल की अवधि के बराबर छूट व रिक्त पदों पर 50 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया जाये-

बिहार की तर्ज पर मनरेगा को स्वतंत्र इकाई घोषित करते हुए मनरेगा कर्मियों को इनके क्रियान्वयन की संपूर्ण जिम्मेदारी दी जाये

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