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IIM रांची के 12वें दीक्षांत समारोह में बांटी गयीं 542 डिग्रियां, टॉप थ्री को मिला गोल्ड

यह समारोह संस्था के लिए ऐतिहासिक रहा, क्योंकि इस वर्ष पहली बार एमबीए-बिजनेस एनालिटिक्स के विद्यार्थियों को डिग्रियां सौंपी जानी थी. समारोह में कुल 542 विद्यार्थियों के बीच डिग्रियां बांटी गयीं.

आइआइएम रांची के सत्र 2021-23 के विद्यार्थियों के लिए 12वां दीक्षांत समारोह शनिवार को संस्था के स्वामी विवेकानंद सभागार में आयोजित हुआ. यह समारोह संस्था के लिए ऐतिहासिक रहा, क्योंकि इस वर्ष पहली बार एमबीए-बिजनेस एनालिटिक्स के विद्यार्थियों को डिग्रियां सौंपी जानी थी. समारोह में कुल 542 विद्यार्थियों के बीच डिग्रियां बांटी गयीं. इसमें सर्वाधिक डिग्रियां 396 विद्यार्थियों को एमबीए प्रोग्राम की सौंपी गयी. वहीं, एमबीए ह्यूमन रिसोर्स के 69, एमबीए-बिजनेस एनालिटिक्स के 34, एग्जीक्यूटिव एमबीए के 37 और तीन-तीन डिग्रियां पीएचडी व एग्जीक्यूटिव पीएचडी की सौंपी गयी.

मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश,आइआइएम रांची के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन प्रवीण शंकर पांडेया और आइआइएम रांची के निदेशक प्रो दीपक श्रीवास्तव ने डिग्री समारोह की शुरुआत की. पहली डिग्री डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी की छात्रा रही शालिनी कुमारी को सौंपी गयी. इसके बाद एक-एक कर बिजनेस जगत के युवा प्रबंधकों के हाथों में उनके दो वर्ष के परिश्रम का परिणाम सौंपा गया. हाथों में एमबीए की डिग्रियां लेकर विद्यार्थियों के चेहरे खिल उठे. मंच से दूर खड़े अभिभावकों और परिजनों ने अपने बच्चों की डिग्रियां लेते हुए जमकर फोटो खिंची.

गोल्ड मेडल के साथ मेरिट सर्टिफिकेट

दीक्षांत समारोह के मौके पर विभिन्न संकाय के टॉप थ्री विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और प्रशस्ति-पत्र सौंपा गया. संकाय के प्रथम रैंक होल्डर को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स चेयरमैन मेडल एंड सर्टिफिकेट,द्वितीय रैंक होल्डर को डायरेक्टर मेडल एंड सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट और तृतीय रैंक होल्डर को चेयर पर्सन मेडल एंड सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट से सम्मानित किया गया. वहीं, चौथा और पांचवां रैंक हासिल करने वाले विद्यार्थी को बुक प्राइस से प्रेरित किया गया.

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विभिन्न संकाय के टॉप फाइव

  • एमबीए : आशिक आनंद, हर्षवर्धन नेगालिया, पल्लवी, गुरनाज कौर गिल और सृजन गर्ग.

  • एमबीए-एचआर : पल्लवी सिंह, साक्षी रंका, चिन्मय झा, अजय यादव और सोनम पात्रा.

  • एमबीए एक्जीक्यूटिव : रोहित चंद्र सिन्हा, दिप्रव लकड़ा, अदिति मुखर्जी, आयुष आनंद व राकेश कुमार.

  • एमबीए-बिजनेस एनालिटिक्स : सतीश रविशंकर, अरित्र भट्टाचार्य, श्रेयांश मोहंती, मृणाल मिश्र और अमन कुमार.

  • वहीं, स्ट्रैटेजिक मैनेजमेंट कोर्स में सर्वाधिक अंक हासिल करने वाले छात्र कुणाल जोशी को ”प्रो आशीष हजेला मेमोरियल अवार्ड” से सम्मानित किया गया.

अब तकनीक के विकास से बदल रहा आइडिया : उपसभापति

समारोह के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने ग्रेजुएट विद्यार्थियों को संबोधित किया.उन्होंने कहा कि देश के अमृत काल में नवनिर्माण होगा. 2037 के लक्ष्य की ओर देश बढ़ रहा है.बदलाव अब नजर आने लगे हैं. युवा भविष्य के निर्माता हैं, जो अब नौकरी के पीछे न भागकर नौकरी के अवसर तैयार कर रहे हैं. बदलते परिवेश में जीवन कैसे जिये, चुनौतियों का सामना करने के लिए कदम कैसे रखें और चुनौतियों के बीच से रास्ता कैसे निकालें, इसकी तैयारी करनी होगी. पहले जहां एक खास आइडिया नयी तकनीक को विकसित करती थी, अब तकनीक के विकास से आइडिया बदल रहे हैं. तकनीक में हो रहे बदलाव मन में अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता तैयार करते हैं. ऐसे में मनुष्य तकनीक को संभालेंगे या तकनीक से मनुष्य संभाले जायेंगे पर विचार करने की जरूरत है. तकनीक का सही इस्तेमाल हो, इसके लिए मानवीय मूल्यों को साथ लेकर बढ़ना होगा. मूल्य और नीति आधारित जीवन से जीवन को बदला जा सकता है. जीवन मूल्य अधारित न हो तो आगे नहीं बढ़ सकेंगे.

लगातार प्लेसमेंट की
संभावनाएं बढ़ रही हैं : प्रो दीपक

निदेशक प्रो दीपक श्रीवास्तव ने दीक्षांत समारोह के मौके पर सत्र की एकेडमिक रिपोर्ट साझा की. उन्होंने बताया कि संस्था अपने स्थायी कैंपस में स्थापित हो चुकी है. इससे आइआइएम स्ट्रैटेजिक प्लान 2030 में निरंतर आगे बढ़ रही है. जल्द ही संस्था में कई नये कोर्स शुरू किये जायेंगे. इसमें स्किल डेवलपमेंट और नवाचार से उद्यमी बनने की यात्रा शुरू कर सकेंगे. प्रो दीपक ने सत्र 2021-23 के विद्यार्थियों के प्लेसमेंट रिकॉर्ड साझा किये. बताया कि एमबीए कोर्स में शामिल विद्यार्थियों के लिए कुल 124 संस्थाएं कैंपस पहुंची थीं, जहां से विद्यार्थियों को औसतन 17.3 लाख रुपये प्रति वर्ष का पैकेज मिला. वहीं, एमबीए-एचआर के लिए 94 कंपनियां पहुंचीं, जहां विद्यार्थियों को 16.3 लाख रुपये प्रति वर्ष का औसतन पैकेज मिला. इसी तरह एमबीए-बीए के लिए 25 संस्थाएं पहुंची जहां विद्यार्थियों ने औसतन पैकेज 16.4 लाख रुपये प्रतिवर्ष हासिल किया. वहीं, समर प्लेसमेंट में एमबीए के लिए 93 और एमबीए-बीए के लिए 24 संस्थाएं कैंपस पहुंची. इनमें विद्यार्थियों ने खुद की जगह बनाकर बेहतर स्टाइपेंड हासिल किया.

अपने देश में संभावनाएं तैयार करें : प्रवीण शंकर

आइआइएम रांची के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन प्रवीण शंकर पांडेया ने कहा कि छात्र जीवन के बाद प्रोफेशनल लाइफ की शुरुआत हो चुकी है.भारत देश का विकास तीन प्रतिशत है, इसका मुख्य कारण है कि यहां के यंग चेंजमेकर्स डिग्री और स्किल हासिल कर विदेश में पलायन कर रहे हैं. इससे दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है. जबकि, विद्यार्थियों को यह तय करना होगा कि खुद के देश में संभावनाएं ज्यादा सफल परिणाम देंगे.साथ ही दूसरों के लिए निश्चित अवसर तैयार होगा. इस दिशा में स्टार्टअप इंडिया एक बेहतर पहल है.जीवन में सफल होने के लिए लक्ष्य का निर्धारण करें. इसके लिए सतत विकास के सात मानकों का पालन कर सकते हैं. सफल बनने के लिए समाज के प्रति संवेदना जरूरी है.

आइआइटी आइएसएम से मेकैनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद एमबीए की ठानी. आइआइएम से जुड़कर बिजनेस माइंडसेट को तैयार किया. इससे आइसीआइसीआइ बैंक में बतौर प्रोडक्ट मैनेजर के पद पर प्री-कैंपस प्लेसमेंट हासिल कर पाया.

– अशिक आनंद, एमबीए

ग्रेजुएशन के बाद ग्रामीण विकास के काम से जुड़ा हुआ था.संस्था से जुड़कर खुद के स्किल को बेहतर बनाने की कोशिश की. इससे अमेरिकल एक्सप्रेस में बतौर एडवांस एनालिटिक्स के पद के लिए चिह्नित हो सका.

– सतीश रविशंकर, एमबीए-बीए

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के बाद कुछ अलग करने की ठानी. खुद को बेहतर पद के लिए तैयार करना था.आइआइएम की शैक्षणिक यात्रा ने बदलाव से जोड़ा. इससे टाटा स्टील में बतौर सप्लाई चेन मैनेजर के रूप में स्थापित हो सका.

– अरित्र भट्टाचार्य, एमबीए-बीए

इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग के बाद एक्सेंचर गुड़गांव में ऑटोमेशन का काम संभाल रहा था. समय के साथ बड़े पद की महत्वाकांक्षा बढ़ी. बिजनेस एनालिटिक्स के गुण सीख कर अब डीसीएम श्रीराम से जुड़ा हूं. यह देश की पुरानी कंपनियों में से एक है, जिसके डिजिटलाइजेशन और आइटी का काम संभालूंगा.

– श्रेयांश मोहंती

एमबीए-बीए कंप्यूटर साइंस से बीटेक करने के बाद एमबीए से जुड़ी. लक्ष्य तय था, इसके लिए बेहतर अवसरों को हासिल किया, स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत यूरोप गयी. अब मर्सर जैसी कंपनी में बतौर कंसल्टेंट काम करूंगी. जहां कंपनी के बिजनेस प्रॉब्लेम को हल करने का अवसर मिलेगा.

– पल्लवी सिंह, एमबीए-एचआर

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