IIT Dhanbad : यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले अतुल ने बड़ी ही मेहनत और लगन से देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक जेईई एडवांस एग्जाम को पास किया और आईआईटी धनबाद में अपनी सीट पक्की की, लेकिन अतुल को क्या पता था कि कड़ी मेहनत के बाद भी वह आईआईटी में एडमिशन नहीं ले पाएगा.
आईआईटी की राह में तकनीकी समस्या बनी रोड़ा
अतुल ने 9 जून को अपने भाई के लैपटॉप से जब अपना रिजल्ट देखा तो वह खुश हुआ लेकिन उसे यह नहीं पता था कि आईआईटी जाने के रास्तों में रोड़े ही रोडे़ हैं. अतुल ने अपनी कड़ी मेहनत से आईआईटी धनबाद में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में सीट हासिल की, लेकिन 24 जून तक उसे यह सीट लॉक करने के लिए 17500 रुपये जमा कराने थे, लेकिन दुर्भाग्य से समय खत्म होने से तीन मिनट पहले तकनीकी समस्या के कारण वह पैसे जमा नहीं कर पाया और उसे आईआईटी की सीट गंवानी पड़ी.
अतुल के पिता ने कहा- रोटी चाहे आधी खाओ लेकिन बच्चों को जरूर पढ़ाना
अतुल के पिता राजेन्द्र कुमार एक ट्रांसफार्मर फैक्ट्री में दिहाड़ी मजदूर हैं और महीने का 12000 रुपए कमाते हैं. उनका सपना था कि उनका बेटा इलेक्ट्रिकल इंजीनियर बने. राजेन्दे कहते हैं कि रोटी चाहे आधी खाएं लेकिन अपने बच्चों को जरूर पढ़ाएं. राजेंद्र आगे कहते हैं कि समय खत्म होने के बाद उन्होंने आईआईटी धनबाद में फोन किया. यहां तक अतुल जिस कोचिंग सेंटर में पढ़ाई कर रहा था उसने यह प्रयास किया लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का दरवाजा खटखटाया
अतुल के पिता कहते हैं कि उन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित आयोग , झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और मद्रास हाईकोर्ट से भी मदद मांगी. आखिरकार उन्होंने देश की शीर्ष अदालत जाने का फैसला किया. अतुल ने पहले झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण से मदद मांगी क्योंकि अतुल ने झारखंड में परीक्षा दी थी. लेकिन उसे मद्रास हाईकोर्ट जाने की सलाह दी गई क्योंकि यह परीक्षा आईआईटी मद्रास ने आयोजित की थी. मद्रास हाईकोर्ट ने अतुल को सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्देश दिया.
अतुल के पिता को है चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ से उम्मीद
अतुल के पिता कहते हैं कि वह भाग्यशाली हैं कि उनके केस की सुनवाई चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच कर रही है. वह कहते हैं कि जिस तरह से तीन साल पहले चीफ जस्टिस ने ऐसे ही केस में न्याय दिया था वैसे ही चीफ जस्टिस उनके बेटे के साथ न्याय करेंगे.
क्या था 2021 का वह केस जिसमें चीफ जस्टिस ने सुनाया था फैसला
दरअसल, अतुल के पिता 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र कर रहे थे जिसमें एक दलित छात्र समय पर फीस न जमा कर पाने की वजह से आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन नहीं ले पाया था. तब प्रिंस जयवीर सिंह बनाम भारत संघ के केस में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने छात्र के हक में फैसला सुनाया था और उसे आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन की अनुमति दी थी. अतुल ने जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जेबी पार्दीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच को बताया कि यह उसका अंतिम प्रयास है अगर उसे एडमिशन नहीं मिला तो वह सीट खो देंगे. गौरतलब है कि जयबीर केस में भी अतुल के वकील अमोल चितले और प्रज्ञा बघेल ने ही प्रतिनिधित्व किया था.
सुप्रीम कोर्ट से अतुल को उम्मीद
सुप्रीम कोर्ट ने केस को सुनने के बाद इसे 30 सितंबर के लिए सूचीबद्ध किया है और कहा कि याचिकाकर्ता की सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि को देखते हुए नोटिस जारी किया जा सकता है जिससे कि यह पता चल सके याचिकाकर्ता के लिए क्या किया जा सकता है.