झारखंड में बालू का अवैध उठाव हुआ, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे, हाईकोर्ट ने दिया निर्देश
राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्य में कहीं भी बालू का अवैध उत्खनन व उठाव नहीं हो सके. जब बालू टेंडर का आवंटन हो जाये, लाइसेंस मिल जाये, तो उसका उठाव किया जा सकता है. खंडपीठ ने कहा कि आदेश का उल्लंघन करने पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में बिना टेंडर के बालू के अवैध उठाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को तीन सप्ताह में जवाब दायर करने का निर्देश दिया. चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राज्य में कहीं भी बालू का अवैध उत्खनन व उठाव नहीं हो सके. जब बालू टेंडर का आवंटन हो जाये, लाइसेंस मिल जाये, तो उसका उठाव किया जा सकता है. खंडपीठ ने कहा कि आदेश का उल्लंघन करने पर गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.
आपराधिक अवमानना का भी मामला बन सकता है. आदेश की नि:शुल्क प्रति सरकार के अधिवक्ता को उपलब्ध कराने को कहा गया. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता पीयूष पोद्दार व विकास पांडेय ने खंडपीठ को बताया था कि वर्ष 2019 में बालू घाटों का टेंडर किया गया था. वह आज भी फाइनल नहीं किया गया है. इसके बावजूद बालू का अवैध उठाव व परिवहन राज्य में जारी है.
जेएसएससी ने झारखंड हाइकोर्ट में दिया अंडरटेकिंग
2600 पदों पर होनेवाले पंचायत सचिव व निम्न वर्गीय लिपिक प्रतियोगिता परीक्षा (इंटर स्तरीय) का रिजल्ट अप्रैल में जारी किया जायेगा. शेष 400 से अधिक पदों के लिए फिर से कौशल जांच परीक्षण किया जायेगा तथा सफल अभ्यर्थियों का रिजल्ट जारी किया जायेगा. जेएसएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने उक्त आशय की अंडरटेकिंग झारखंड हाइकोर्ट को दी. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय की अदालत ने जेएसएससी के अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले को निष्पादित कर दिया.
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प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स, अधिवक्ता चंचल जैन व अधिवक्ता अन्नया ने पैरवी करते हुए अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर 2022 को राज्य सरकार को आदेश दिया था कि तीन माह में पंचायत सचिव व निम्न वर्गीय लिपिक परीक्षा का रिजल्ट प्रकाशित किया जाये.