रांची में रोक के बावजूद धड़ल्ले से हो रहा है बालू का उठाव, खान विभाग मामले से बेखबर
सोनाहातू निवासी और बालू कारोबारी राधेश्याम ने कहा कि यहां धड़ल्ले से अवैध कारोबार हो रहा है. पतरातू के नाम पर चालान काट कर बालू बेचा जा रहा है.
रांची में एक भी बालू घाट की निविदा नहीं हुई है. एनजीटी द्वारा बालू घाटों से बालू के उठाव पर 15 अक्तूबर तक रोक है. इसके बावजूद धड़ल्ले से न केवल बालू का उठाव हो रहा है, बल्कि कहीं के चालान से कहीं बालू उठाया जा रहा है और कहीं और बेचा जा रहा है. यह खेल हो रहा है सोनाहातू में. सोनाहातू थाना के बरेंदा में पतरातू के नाम से चालान काटा जा रहा है. फिर स्वर्णरेखा नदी बरेंदा घाट से बालू का अवैध रूप से उठाव हो रहा है और उसे सरायकेला-खरसावां, जमशेदपुर और रांची में बेचा जा रहा है. प्रतिदिन 60 से 70 हाइवा बालू की निकासी चोरी-छिपे हो रही है.
सोनाहातू निवासी और बालू कारोबारी राधेश्याम ने कहा कि यहां धड़ल्ले से अवैध कारोबार हो रहा है. पतरातू के नाम पर चालान काट कर बालू बेचा जा रहा है. एक हाइवा यानी 400 सीएफटी चालान की कीमत 12 हजार रुपये लेकर बेचा जा रहा है. यह काम शंकर साव व बिपिन सिंह नामक व्यक्ति करता है. पहले उससे चालान कटवाया जाता है. कीमत का भुगतान किया जाता है, फिर बालू का उठाव होता है. रास्ते में आनेवाले थाने को भी मैनेज करना पड़ता है.
इस तरह बाजार में आते-आते प्रति हाइवा बालू की कीमत 22 हजार से लेकर 28 हजार रुपये तक हो जाती है. राधेश्याम बताते हैं कि एक ही चालान से एक दिन में दो ट्रिप किया जाता है. बालू बरेंदा, डिबाडीह व जिंतडीह से उठाया जा रहा है. सिल्ली से टाटा रूट में यह खेल लगातार जारी है. मजे की बात है कि खान विभाग इस मामले से अनभिज्ञ है. रांची के जिला खनन पदाधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि यदि ऐसा हो रहा है, तो गलत हो रहा है. तत्काल ही टीम वहां जाकर छापेमारी करेगी.