झारखंड के स्वर्णरेखा नदी से जमकर हो रहा बालू का अवैध खनन, पुलिस-प्रशासन की आंखें बंद
आरपीएफ और पुलिस-प्रशासन इस ओर से अपनी आंखें मूंदे हुए हैं. रेल पुल के पिलर से सटे नदी के हिस्से में बालू निकालने का असर पुल के पिलर पर देखा जा सकता है. पुल के एक पिलर का बेस तो अभी से तिरछा हो गया है
मुरी स्थित स्वर्णरेखा नदी से बालू का अवैध खनन जर्बदस्त तरीके से किया जा रहा है. बरसात खत्म होते ही बालू खनन शुरू हो गया था, जो आज भी दिन-रात चल रहा है. अनुमान के अनुसार, यहां से रोजाना करीब 200 ट्रैक्टर बालू का खनन और उठाव हो रहा है, जिसे रात में हाइवा के जरिये रामगढ़ व अन्य जगहों पर भेज दिया जाता है. नदी के अन्य हिस्सों के अलावा रेल पुल के पास भी बालू निकाल रहे मजदूरों का जमावड़ा हर किसी की नजर में है.
लेकिन, आरपीएफ और पुलिस-प्रशासन इस ओर से अपनी आंखें मूंदे हुए हैं. रेल पुल के पिलर से सटे नदी के हिस्से में बालू निकालने का असर पुल के पिलर पर देखा जा सकता है. पुल के एक पिलर का बेस तो अभी से तिरछा हो गया है. स्थानीय लोगों के अनुसार, बालू का अवैध खनन पुल के अस्तित्व के लिए खतरा साबित हो सकता है.
दरअसल, मुरी-झालदा मार्ग पर मुरी स्टेशन के आगे स्वर्णरेखा नदी पर दो पुल हैं. पहले यहां एक ही पुल से बारी-बारी अप और डाउन रेलगाड़ियों का आवागमन होता था. करीब सात साल पहले यहां एक नया रेल पुल बनाया गया. नया पुल डाउन लाइन के लिए है. जबकि, पुराना पुल अप लाइन के लिए इस्तेमाल किया जाता है. बालू का ज्यादातर खनन इन दोनों पुल व इसके आसपास के क्षेत्र से हो रहा है. अक्तूबर 2022 की शुरुआत में यहां सुबह से रात के 10-11 बजे तक 10-12 ट्रैक्टर बालू उठाव में लगे हैं. एक ट्रैक्टर औसतन 10-12 खेप बालू उठाता है.
हाइवा और टर्बो से ढोया जा रहा है बालू :
नदी से अवैध रूप से निकाला गया बालू आसपास और खनन करनेवाले लोगों के घर के पास डंप किया जाता है. वहां से इसे रात में हाइवा या टर्बो से गोला, रामगढ़ व बोकारो समेत अन्य जगहों पर भेज दिया जाता है. बालू उठानेवाले लोग दबंग बताये जाते हैं, जो जिम्मेवार प्रशासनिक लोगों को उनका हिस्सा देकर यह काम बिना किसी रोक-टोक के कर रहे हैं.
स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले नदी का बालू यहां से गुजरे पानी के पाइप लाइन (हिंडालकों का) के ऊपर तक था. यानी तब कई जगह पाइप दिखायी नहीं देता था. पर अब बालू के लगातार खनन से पाइप पूरी तरह दिखायी देता है. इस बार बरसात के बाद बारिश न होने तथा नदी के सूखे होने का लाभ बालू माफियओं को खूब मिल रहा है.
इनके नाम की चर्चा
बालू के अवैध खनन में लगे लोग स्थानीय व दबंग हैं. इनमें नकुल महतो, अमित कुमार, मंजूर अंसारी, बबलू अंसारी व अमीन अंसारी के नाम की मुख्य रूप से चर्चा होती है. इनके साथ इनके कुछ सहयोगी भी इस धंधे में शामिल हैं, जो मजदूरों की सहायता से नदी व रेल पुल के अस्तित्व की कीमत पर लाखों रुपये की अवैध कमाई कर रहे हैं.
अवैध बालू लदा ट्रैक्टर पुलिस से छीन ले गये माफिया
सेन्हा (लोहरदगा). एकागुड़ी पथ से अवैध बालू लदा ट्रैक्टर जब्त कर पुलिस सेन्हा थाना ला रही थी. बालू माफिया बीच रास्ते में ही पुलिस से यह ट्रैक्टर छीन कर फरार हो गये. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, बालू माफियाओं ने पुलिस के साथ धक्का-मुक्की और दुर्व्यवहार भी किया, लेकिन पुलिस कुछ नहीं कर सकी. ये लोग ट्रैक्टर लेकर वहां से चलते बने, जबकि अपनी कार वहीं छोड़ दी.
बालू के अवैध खनन से यहां रेल पुल के पिलर की नींव कमजोर हो गयी है. कई जगह पिलर मुड़ गये हैं और यह रेल पुल खतरे में है. 200 ट्रैक्टर बालू का खनन और उठाव रोजाना हो रहा है नदी से, रामगढ़ व अन्य जगहों पर भेजा जा रहा है.