पानी का अवैध कारोबार : बिना अनुमति चल रहे हैं 242 वाटर बॉटलिंग प्लांट, अब नगर निगम कसेगा शिकंजा

पानी का अवैध कारोबार : इस समय रांची नगर निगम के 53 वार्डों में 242 बॉटलिंग प्लांट चल रहे हैं. यहां डीप बोरिंग करवाकर प्रतिदिन बॉटलिंग प्लांट संचालक धरती का सीना चीरकर लाखों लीटर पानी निकाल रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 11, 2020 9:33 AM

पानी का अवैध कारोबार : इस समय रांची नगर निगम के 53 वार्डों में 242 बॉटलिंग प्लांट चल रहे हैं. यहां डीप बोरिंग करवाकर प्रतिदिन बॉटलिंग प्लांट संचालक धरती का सीना चीरकर लाखों लीटर पानी निकाल रहे हैं. फिर इसे जार में भर कर बेच रहे हैं. पानी जैसे कीमती प्राकृतिक संसाधन को बेच कर लाखों रुपये कमा रहे हैं संचालक, लेकिन सरकार या नगर निगम को कोई टैक्स नहीं देते, क्योंकि अब तक इसका कोई प्रावधान ही नहीं है.

एक ओर ये मुफ्त में ही पानी निकालकर उसे आम आदमी को अच्छी-खासी कीमत में बेच रहे हैं, तो दूसरी ओर घनी आबादी के बीच प्लांट खोल कर भारी मात्रा में पानी का दोहन कर रहे हैं, जिससे इन इलाकों में भूगर्भ जलस्तर खतरनाक ढंग से नीचे गिरता जा रहा है. इसके चलते कई मोहल्लों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी है.

हर साल गर्मी में शहर का एक बड़ा इलाका ड्राइ जोन में तब्दील हो रहा है. इन क्षेत्रों की 90 प्रतिशत बोरिंग फेल हो जाती हैं. अब जाकर नगर निगम ने राजधानी में चल रहे निजी बॉटलिंग प्लांट (जार वाटर प्लांट) पर नियंत्रण रखने की तैयारी शुरू की है. फिलहाल ऐसे लोगों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए नगर निगम ने बॉटलिंग प्लांट (जार वाटर प्लांट) का सर्वे कराया है. साथ ही बायलॉज बनाकर इसे अनुमोदन के लिए नगर विकास विभाग को भेजा है.

10 से 30 रुपये तक है एक जार की कीमत : जानकारी के मुताबिक, अलग-अलग प्लांट पर पानी की दर भी अलग-अलग है. कहीं 20 लीटर के एक जार के लिए 10 रुपये लिये जाते हैं, तो कहीं इसके लिए 30 रुपये तक लिये जा रहे हैं. नगर निगम के सर्वे के मुताबिक, एक बॉटलिंग प्लांट से हर दिन 10 हजार लीटर से अधिक पानी निकाला जाता है. साथ ही प्रोसेसिंग के दौरान काफी मात्रा में पानी बर्बाद भी होता है. इस प्रकार से अगर 242 प्लांट से निकाले गये पानी की गणना की जाये तो यह आंकड़ा प्रतिदिन लगभग 24 लाख लीटर तक पहुंचता है.

2017 का प्रस्ताव विभाग में धूल फांक रहा : बॉटलिंग प्लांट पर रोक लगाने के लिए नगर निगम द्वारा वर्ष 2017 में नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेजा गया था. इसमें विभाग को सुझाव दिया गया था कि कोई नियमावली नहीं होने से शहर के हर गली-मोहल्ले में ऐसे प्लांट अवैध रूप से खुल और चल रहे हैं. बायलॉज नहीं होने के कारण नगर निगम चाह कर भी इन पर कार्रवाई नहीं कर पा रहा है. इस संबंध में जल्द नियमावली बनायी जाये, ताकि गली-मोहल्ले में चल रहे ऐसे प्लांटों पर लगाम लगायी जा सके.

141 जगहों पर प्लांट लगाने की थी तैयारी : निजी कंपनियां व पूंजीपति जहां वाटर प्लांट लगाकर हर माह लाखों रुपये कमा रहे हैं. वहीं शहर में आम लोगों को सस्ते दर पर मिनरल वाटर पिलाने की निगम की योजना धूल फांक रही है. एक रुपये में एक लीटर पानी व पांच रुपये में 20 लीटर (जार) पानी उपलब्ध कराने के लिए निगम द्वारा पूरे शहर में 141 जगहों पर वाटर प्लांट लगाने की योजना बनायी गयी थी. अगर शहर के हर कोने में निगम के ये 141 प्लांट लग जाते तो आज लोगों को सस्ते दर पर पानी मिलता और निगम का राजस्व भी बढ़ जाता.

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  • कई इलाकों में खतरनाक स्तर पर भूमिगत जल

  • प्राकृतिक संसाधन बेचकर खुद लाखों कमा रहे, पर निगम या सरकार को नहीं देते कोई टैक्स

  • अबतक इनके नियंत्रण को लेकर राज्य में नहीं है कोई नियम, प्राकृतिक संसाधन की लूट की मिली हुई है छूट

  • अब जाकर खुली है रांची नगर निगम की नींद, बायलॉज का प्रस्ताव बनाकर नगर विकास विभाग को भेजा

क्या कहा गया है प्रस्ताव में : नगर निगम द्वारा इन प्लांटों के लिए गाइडलाइन बनायी गयी है. इसके तहत उन जगहों पर ही बॉटलिंग प्लांट खोलने की निगम अनुमति देगा, जहां पर वाटर लेबल अच्छा रहेगा. लेकिन ड्राइ जोन में बॉटलिंग प्लांट के लिए निगम अनुमति नहीं देगा. साथ ही जिस क्षेत्र में प्लांट लगाने की अनुमति मिलेगी, पहले वहां के पानी की गुणवत्ता की जांच पीएचइडी के लैब से करानी होगी. लैब से रिपोर्ट सही आने के बाद ही लाइसेंस देने पर फैसला होगा.

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प्लांट संचालक को अपने परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण करना होगा. फिल्टरेशन के दौरान निकले पानी के इस्तेमाल की भी व्यवस्था करनी होगी. इसके अलावा नगर निगम ऐसे प्लांट में वाटर मीटर लगायेगा, ताकि पता चले कि एक साल में कितने पानी का इस्तेमाल इस व्यवसाय में हो रहा है. इसी हिसाब से नगर निगम हर साल शुल्क वसूलेगा.

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Posted by : Pritish Shaya

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