जमशेदपुर/रांची : झारखंड में व्यापारियों द्वारा गरीबों के दस्तावेज के सहारे 1000 करोड़ रुपये से अधिक के जीएसटी की चोरी की गयी है. इस सिलसिले में वाणिज्यकर विभाग द्वारा राज्य के विभिन्न थानों में करीब 200 प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. जालसाजी के इस तरीके से निबटने के लिए सरकार ने गुड्स एंड सर्विस टैक्स नंबर (जीएसटीएन) देने के लिए इसे आधार से जोड़ दिया. इसके बावजूद इस जालसाजी पर काबू नहीं पाया जा सका.
सरकार ने वैट के नियमों की खामियों का लाभ उठा कर हुई टैक्स की चोरी को रोकने के लिए जीएसटी का सहारा लिया. इसमें ऐसी प्रक्रिया अपनायी गयी, ताकि टैक्स की चोरी की संभावना नहीं हो. लेकिन, व्यापारियों ने जीएसटी के नियमों की खामियों का लाभ उठा कर टैक्स की चोरी शुरू कर दी. मामला पकड़ में आने के बाद सरकार ने जीएसटीएन आवंटित करने के लिए आधार कार्ड को जरूरी करार दिया. इसके बाद व्यापारियों ने गरीबों को तरह-तरह का लालच देकर उनसे उनका आधार सहित अन्य जरूरी दस्तावेज लेकर उनके नाम पर फर्म बनाया.
पता के लिए फर्जी किराये के एकरारनामे का इस्तेमाल किया. फर्म का जीएसटीएन मिलते ही विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का व्यापार किया और फरार हो गये. इन व्यापारियों द्वारा रिटर्न दाखिल नहीं किये जाने के बाद चोरी का यह तरीका पकड़ में आया. इसके बाद ऐसे व्यापारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी. पुलिस द्वारा मामले की जांच के दौरान खुलासा हुआ कि टैक्स चोरी करनेवाले फर्मों का पता ठिकाना फर्जी है. साथ ही जिन व्यक्तियों के नाम पर फर्म बनाये गये थे, वे गरीब हैं. पुलिस जांच के दौरान राज्य में इस तरह के दो मामले पकड़ में आये हैं. आगे जारी जांच में और भी मामले पकड़ में आने की संभावना जतायी जा रही है.
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Posted By : Guru Swarup Mishra