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आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मदद के नाम पर व्यापारी कर रहे हैं टैक्स की चोरी, जीएसटी प्रधान आयुक्त ने की ये अपील

116 करोड़ जीएसटी चोरी करनेवाले बोकारो और मुंबई के व्यापारी का नहीं मिला अस्तित्व

रांची : जीएसटी चोरी करनेवाला बोकारो का व्यापारी और उससे माल खरीदनेवाला मुंबई का निर्यातक (एक्सपोर्टर) दोनों ही अस्तित्वहीन निकले. केंद्रीय माल एवं सेवा कर व उत्पाद शुल्क (जीएसटी एंड सीएक्स) विभाग द्वारा जीएसटी चोरी में दर्ज मामलों की जांच के दौरान यह जानकारी मिली है.

बोकारो के इस व्यापारी पर अकेले ही 116.10 करोड़ रुपये के टैक्स की चोरी का आरोप है. इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लेने के लिए की गयी जालसाजी में सामग्री की कागजी खरीद-बिक्री दिखायी गयी है. झारखंड-बिहार के प्रधान मुख्य आयुक्त (जीएसटी एंड सीएक्स) दीपक अरोड़ा के निर्देश पर झारखंड में हुई इनपुट टैक्स क्रेडिट की जालसाजी से जुड़े 18 मामलों की जांच की जा रही है.

जांच के दायरे में शामिल रांची, बोकारो, धनबाद व हजारीबाग जिले के इन व्यापारियों ने 152.59 करोड़ रुपये इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत फायदा लिया और सरकार को नुकसान पहुंचाया है. टैक्स चोरी करनेवाले इन व्यापारियों का पता-ठिकाना फर्जी पाया गया है. केंद्रीय माल एवं सेवा कर झारखंड ने जालसाजी करनेवाले इन 18 व्यापारियों से पांच व्यापारियों के फर्जी व्यापार से लाभान्वित होनेवाले दूसरे व्यापारियों का पता लगाया और उसने 1.78 करोड़ रुपये की वसूली कर ली. हालांकि, शेष 13 मामलों की वसूली की कार्रवाई नहीं की जा सकी है.

फर्जी दस्तावेज के सहारे कराया जीएसटी रजिस्ट्रेशन :

जांच में पाया गया कि बोकारो के अरविंद प्रसाद नामक व्यक्ति ने फर्जी दस्तावेज के सहारे ‘मेसर्स एमआर इंटरप्राइजेज’ के नाम से जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराया था. जीएसएटी एक्ट में रजिस्ट्रेशन के आवेदनों की जांच का प्रावधान नहीं है. ऐसे में पता-ठिकाने की जांच के बिना ही उसे रजिस्ट्रेशन नंबर मिल गया.

इसके बाद उसने कागज पर सामग्री की बिक्री दिखा 116.10 करोड़ रुपये टैक्स की चोरी की. इस व्यापारी ने कागजों पर मुंबई के ‘एवरेट इंफ्रा एंड इंजीनियरिंग प्रा‌इवेट लिमिटेड’ नामक कंपनी को सामान की बिक्री दिखायी थी. दस्तावेज में कंपनी का पता जुहू तारा रोड दर्ज है.

बोकारो स्थित एमआर इंटरप्राइजेज का पता फर्जी पाये जाने के बाद महाराष्ट्र स्थित माल एवं सेवा कर कार्यालय को इसकी जांच के लिए लिखा गया ताकि इनपुट टैक्स की चोरी की वसूली की जा सके. लेकिन महाराष्ट्र कार्यालय ने जांच के बाद सूचित किया कि मुंबई का यह एक्सपोर्टर अस्तित्वहीन है.

झारखंड में हुई इनपुट टैक्स क्रेडिट की जालसाजी से जुड़े 18 मामलों की हो रही जांच

रांची, बोकारो, धनबाद और हजारीबाग जिले के व्यापारी जांच के घेरे में

152.59 करोड़ रुपये इनपुट टैक्स क्रेडिट का गलत फायदा उठाया और सरकार को पहुंचाया नुकसान

लोगों से अपील है कि वे अपना वैध दस्तावेज किसी को न दें. क्योंकि इन वैध दस्तावेज के सहारे व्यापारिक प्रतिष्ठानों का निबंधन करा कर टैक्स की चोरी की जा रही है. आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सहकारी सहायता दिलाने या दूसरी तरह का लालच देकर उनसे वैध दस्तावेज जैसे आधार, पैन आदि लेने के बाद व्यापारिक प्रतिष्ठान बना कर टैक्स की चोरी की जा रही है.

– सत्येंद्र सिंह, प्रधान आयुक्त, केंद्रीय माल

एवं सेवा कर व उत्पाद शुल्क, झारखंड

posted by : sameer oraon

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