रांची : रांची जिले के सोनाहातू प्रखंड के बारेडीह गांव में आज भी जमींदारी प्रथा चल रही है. यहां रैयतों को अंचल कार्यालय की ओर से लगान रसीद नहीं मिलती, बल्कि आज भी जमींदार उन्हें जमीन की रसीद दे रहे हैं. इसका उदाहरण इस मौजा की खाता संख्या आठ की कुल 4.75 एकड़ जमीन है. अंचल के पंजी-दो में भी इसका ब्योरा है तथा जमा लगान शून्य है. आरटीआई के तहत मिली सूचना से इसका खुलासा हुआ है.
सामलौंग निवासी सुनील कुमार महतो ने इस मामले की पुष्टि के लिए इस संबंध में सोनाहातू अंचल कार्यालय से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी. उन्होंने उस गांव की सूची मांगी थी, जो सरकार में निहित नहीं है तथा भू लगान की रसीद अंचल कार्यालय द्वारा निर्गत नहीं की जाती है.
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इसके बाद अंचल कार्यालय की ओर से यह सूचना दी गयी कि मानकीडीह, दुलमी, हेसाडीह, लांदुप डीह, बांकु, सिगिद, विरगाव, तेतला, जिलिंगसेरेंग, कुड़यामु, चोगा व कोटाब में भू-लगान की रसीद अंचल कार्यालय द्वारा निर्गत नहीं की जाती है, लेकिन इस सूची में बारेडीह गांव शामिल नहीं है. फिर भी वहां जमींदार रसीद निर्गत कर रहे हैं.
इस मामले को लेकर सुनील कुमार महतो ने राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव तथा उपायुक्त को पत्र लिखा है. इसमें बताया गया है कि 1932 के सर्वे में बारेडीह मौजा के जमींदार, सारजमडीह तमाड़ के रहने वाले बिहारी साहू थे. इस मौजा के लोगों से 65 वर्षों में लगान वसूली के नाम पर लाखों रुपये की ठगी की गयी है. अंचल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने सरकार को लाखों के राजस्व का नुकसान पहुंचाया है. यहां तक कि यहां के लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों से भी वंचित रखा गया.
फर्जी जमींदार द्वारा फर्जी तरीके से गैरमजरूआ जमीन की बंदोबस्ती की गयी और लाखों रुपये वसूले गये. यह भी आरोप है कि फर्जी जमींदार ने आदिवासियों की जमीन छीन कर गैरआदिवासियों को बंदोबस्त कर दी. ऐसे में अधिकारियों से इस मामले की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करने और बारेडीह गांव के रैयतों को अंचल द्वारा रसीद निर्गत करने की व्यवस्था करने की मांग की गयी है.
Posted By : Guru Swarup Mishra