राजधानी रांची के हेहल अंचल कार्यालय में न समय पर म्यूटेशन हो रहा है और न ही विद्यार्थियों को आवासीय, जाति व अन्य प्रमाण पत्र निर्गत किये जा रहे हैं. मामले की पड़ताल करने के बाद यह तथ्य उभर कर सामने आया है कि प्रमाण पत्र बनाने के काम में यहां महीनों लग रहे हैं. दाखिल खारिज (म्यूटेशन) से जुड़े कुछ कार्य में तो महीनों से लटका कर रखे गये हैं. भुक्तभोगी परेशान हैं.
निरंतर कार्य के लिए अंचल कार्यालय आने के बाद भी परिणाम शून्य निकल रहा है. यहां आय, आवासीय से लेकर म्यूटेशन के सैकड़ों मामले लंबित है. अंचल कार्यालय का यह दावा है कि उनके यहां लंबित मामलों की संख्या नहीं के बराबर है, पर यह हकीकत से मेल नहीं खाता. अंचल कार्यालय जाने के बाद कई ऐसे लोग मिले, जो पेंशन के लिए भाग-दौड़ करते रहे, पर पेंशन की स्वीकृति नहीं मिली.यह स्थिति तब है जब सरकार का यह लगातार प्रयास है कि पात्रता रखनेवाला कोई भी व्यक्ति पेंशन के लाभ से वंचित न रहे.
यहां समय पर कार्य का निष्पादन नहीं होने से लंबित मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. म्यूटेशन के मामले में भ्रष्टाचार की चर्चा तो लोग करते हैं पर खुलकर इसके बारे में कुछ कहने से परहेज करते हैं.
उनलोगों को इस बात का भय सताता है कि यदि जुबान खोली, तो उनलोगों का काम कभी नहीं होगा. लगातार ये बातें सामने आती रहीं हैं कि म्यूटेशन का रेट प्रति डिसमिल तीन हजार से शुरू होता है और उसके बाद सब कुछ जमीन की प्रकृति के अनुसार तय होता है. इस अंचल में कुछ ऐसे मामले भी हैं कि जमीन खरीदने के बाद म्यूटेशन के लिए आवेदन करने में थोड़ी देर हुई, तो उस जमीन का म्यूटेशन दूसरे के नाम पर कर दिया गया. ऐसे मामलों में आपत्ति के बाद भी उसका निराकरण नहीं हो रहा है.
इबीसी वन व बीसी टू
कास्ट सर्टिफिकेट 117
ओबीसी सर्टिफिकेट 33
एससी सर्टिफिकेट 15
एसटी सर्टिफिकेट 428
ईडब्लयूएस 65
दाखिल खारिज 728
आय प्रमाण पत्र 13
आवसीय प्रमाण
पत्र 129