झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्यवासियों को कई सौगात दी है. इसके तहत जरूरतमंदों को आवास देने के उद्देश्य से ‘अबुआ आवास योजना’ की शुरुआत की. झंडोत्तोलन के बाद राज्यवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सभी को तीन कमरे का आवास उपलब्ध कराने के वादे को आज पूरा किया गया. आगामी दो साल में 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर राज्य सरकार अपनी निधि से जरूरतमंदों को आवास उपलब्ध कराएगी.
अबुआ आवास योजना पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लंबे समय से काम कर रहे थे. दरअसल, जब केंद्र सरकार की ओर से ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के तहत राज्य के आठ लाख ग्रामीण बेघरों को आवास नहीं मिला, तब मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से लेकर नीति आयोग तक के समक्ष बेघरों को आवास उपलब्ध कराने को लेकर बातें रखी. इसके अलावा कई बार ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री और सचिव ने भी केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय से संपर्क साधा. बताया गया कि राज्य में चिह्नित सभी बेघर ‘प्रधानमंत्री आवास योजना’ के लिए सभी अर्हताएं पूरी करते हैं. चिह्नित लाभुकों की सूची भी केंद्र सरकार को भेजी गयी थी. लेकिन अलग-अलग कारणों से भारत सरकार ने योजना को स्वीकृति नहीं दी. ऐसे में यहां के ग्रामीण बेघरों को आवास के बिना काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. इस सारे मामले से विभाग ने मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया था. इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने अपने स्तर से पहल शुरू की. मुख्यमंत्री ने राज्य सरकार के फंड से ही बेघरों को आवास देने का फैसला किया और स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सीएम ने इस योजना की घोषणा की.
सीएम ने कहा कि राज्य वासियों की उन्नति, खुशहाली और सशक्तिकरण के लिए यह सरकार कई योजनाएं चला रही है. सावित्रीबाई फूले किशोरी समृद्धि योजना इसी की कड़ी है. इसके तहत सात लाख से अधिक किशोरियों को उनकी शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है.
ग्रामीण महिलाओं को संगठित कर उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त करने के उद्देश्य से फुलो झानो आशीर्वाद योजना की शुरुआत हुई. इसके तहत हड़िया-दारू निर्माण एवं बिक्री से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को सम्मानजनक रोजगार का विकल्प उपलब्ध कराया जा रहा है.
सीएम ने कहा कि लोगों को पहले योजनाओं की जानकारी और उनका लाभ लेने के लिए जिला एवं प्रखंड स्तर के कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता था. लेकिन, अब आपके अधिकार आपकी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के तहत सरकार आपके दरवाजे पर पहुंचकर आपकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है. इस साल भी इस कार्यक्रम का संचालन होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में नियुक्ति की प्रक्रिया को तेज करते हुए विभिन्न कोटि के करीब 38 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए झारखंड कर्मचारी चयन आयोग को अधियाचना भेज दी गयी है. इसके तहत 36 हजार पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया जा चुका है. जल्द ही इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
राज्य के युवाओं को हुनरमंद बनाने के लिए कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री सारथी योजना की शुरुआत हुई. कहा कि बेरोजगार युवक-युवतियों से रोजगार प्रोत्साहन भत्ता एवं कौशल प्रशिक्षण का वादा किया था. इस योजना के पहले चरण में 80 प्रखंड मुख्यालयों पर बिरसा केंद्र की शुरुआत की गयी. इस योजना के तहत राज्य के लाखों युवाओं को इन केंद्रों में कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ-साथ रोजगार प्रोत्साहन भत्ता एवं परिवहन भत्ता भी दिया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि राज्य के आदिवासी, दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक वर्ग एवं दिव्यांग युवाओं को स्वरोजगार या खुद के व्यवसाय शुरू करने के लिए सस्ते एवं अनुदानित दर पर ऋण देने के लिए इस योजना की शुरुआत हुई. इस योजना के तहत बिना गारंटर के 50 हजार रुपये तक का ऋण उपलब्ध हो सकता है. वहीं, 50 हजार रुपये से अधिक के ऋण के लिए सिर्फ एक गारंटर का प्रावधान रखा गया है. कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में इस योजना के तहत कुल 105 करोड़ की राशि ऋण के तहत दी गई.
राज्य कर्मियों के पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग को पूरा करते हुए वर्तमान सरकार ने एक सितंबर, 2022 से राज्य में पुरानी पेंशन योजना लागू कर दिया गया है. कहा कि पिछले दिनों इससे जुड़ी तकनीकी विसंगतियों को दूर करते हुए पुरानी पेंशन योजना से संबंधित एसओपी को भी निर्गत कर दिया गया है.
समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वृद्ध, निराश्रित महिलाएं एवं दिव्यांगजनों को सम्मान से जीवन जीने का हक प्राप्त हो. इसके उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत हुई. इसके तहत करीब 35 लाख लाभुकों को विभिन्न योजनांतर्गत पेंशन प्रदान की जा रही है. जुलाई, 2023 तक कुल 1400 करोड़ रुपये पेंशन भुगतान पर खर्च किया गया है.
निजी विद्यालयों की तर्ज पर बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की शुरुआत हुई. इसके तहत बच्चों को बेहतर और गुणवत्तायुक्त शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक शिक्षा व्यवस्था एवं प्रतियोगिता परीक्षा को ध्यान में रखते हुए पढ़ाने पर जोर है.
वित्तीय वर्ष 2022-23 से इस योजना का विस्तार हुआ. अब अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के अलावा अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को भी इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने को लेकर 25 विद्यार्थियों का चयन हुआ. इन विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा पर होने वाले संपूर्ण खर्च का वहन राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है.
राज्य के सभी किसानों के पास खेती करने के लिए पर्याप्त सिंचाई के साधन उपलब्ध हों, इस उद्देश्य से इस योजना की शुरुआत हुई. इसके तहत एक लाख कुओं का निर्माण होना है. वर्तमान वित्तीय वर्ष में 50 हजार कुएं तथा 15 नवंबर, 2024 तक शेष 50 हजार कुंओं का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा.