रांची : आजादी की लड़ाई में हमारे आदिवासियों की बड़ी भूमिका रही थी. जंगल-पहाड़ों में रहनेवाले आदिवासियों ने अंग्रेजों से लोहा लिया. स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में झारखंड के टाना भगतों की भूमिका जीवट भरी थी. ‘सादा जीवन और उच्च विचार’ वाले टाना भगतों ने 1916 में ही देश की आजादी की भविष्यवाणी कर दी थी. टाना भगत अपने गीतों में इसे गुनगुनाते थे. इनका आत्मबल और विश्वास इतना अडिग था कि इन्हें पता था कि मां भारती आजाद होगी. अंग्रेज देश छोड़ कर भागेंगे.
शाकाहारी और अहिंसा के पुजारी टाना भगत
1947 में भारत को ऐसे जोश से भरे योद्धाओं ने ही आजादी दिलायी. इनके गीतों का मर्म कितना सुंदर था. टाना भगत अपने गीतों में कहते थे- हरा-भरा होगा हे भाई, ईश्वर करे, हरा-भरा होगा भाई. टाना भगत को उम्मीद थी कि अपना भू-खंड हरा-भरा ही रहेगा. इसको किसी की नजर नहीं लगेगी. वे गुनगुनाते थे. हमारा नागपुर यानि छोटानागपुर हरा-भरा होगा. ईश्वर करे हरा-भरा होगा. शोषण अत्याचार के प्रति लोगों के खिलाफ होनेवाले संघर्ष ने उन्हें गजब का मनोबल दिया था. वे गाते फिरते थे. खेत-खलिहानों में उनकी आवाज गूंजती थी, वे गाते थे. जमींदार भाग जायेंगे. ईश्वर करे जमींदार उठ जायेंगे. अंग्रेज लोग भाग जायेंगे हे भाई, इश्वर करें, अंग्रेज लोग उठ जायेंगे हे भाई. टाना भगतों की ईश्वर पर आस्था थी. वे शाकाहारी और अहिंसा के पुजारी थे. सत्य के सानिध्य में रहनेवाले थे. यही कारण है कि महात्मा गांधी टाना भगतों से खासे प्रभावित थे.
गांधीवादी आदर्शों को आगे बढ़ाया
देश की आजादी के बाद भी टाना भगतों ने गांधीवादी आदर्शों को आगे बढ़ाया. टाना भगत ने अपने आंदोलन में उन आदर्शों और मानदंडों के सहारे ही जनजाति में विचारधारा के बीज बोये. टाना भगतों ने ही आजादी के संघर्षों में अहिंसा को एक अभेद शस्त्र के रूप में स्थापित करने में अपनी भूमिका निभायी. जतरा उरांव ने तब 1914 के आसपास आदिवासियों को गोलबंद कर अहिंसा को औजार बनाकर बलि प्रथा को खत्म करने, मांस-मदिरा से दूर रहने का संदेश दिया. यह आजादी की लड़ाई के साथ-साथ सामाजिक चेतना और जागृति का दौर था. सात्विक जीवन की प्रेरणा थी. जतरा भगत जेल गये और कुछ दिनों के बाद देहांत हो गया, लेकिन विचार-धारा की रोशनी से जंगल-जंगल जुड़ रहा था, कारवां बन रहा था. टाना भगत गांधी जी के स्वदेशी आंदोलन से जुड़ गये. 1940 में रामगढ़ कांग्रेस में टाना भगतों ने महात्मा गांधी को 400 रुपये की भेंट दी थी. आजादी के ऐसे योद्धा, जिनके लिए केवल आजाद होना लक्ष्य नहीं रहा, बल्कि तमाम बुराइयों को समाज को मुक्त करना था. इनके संघर्ष और इनके विचार आज भी प्रासंगिक हैं.
पूरे आत्मबल के साथ ये गीत गुनगुनाते थे टाना भगत
हरियर मनो हरो हरियर
अन बबा हरियर मनो
नम्हे नगापुर हरियर
अन बबा हरियर मनो
अंगेरेज बोंगो हरो अंगेरेज
अन बबा अंगरेज चोओ
नम्हे नगापुर हरियर
अन बबा हरियर मनो
ये है अर्थ
हरा-भरा होगा हे भाई
ईश्वर करें, हरा-भरा होगा
हमारा नागपुर हरा-भरा होगा
ईश्वर करें हरा-भरा होगा
अंग्रेज लोग, भाग जायेंगे हे भाई
ईश्वर करें, अंग्रेज लोग उठ जायेंगे
हमारा नागपुर हरा-भरा होगा
ईश्वर करें, हरा भरा होगा.