भारत सरकार के कोयला मंत्रालय ने कोल रिजर्व की स्थिति का आकलन कराया है. इसके अनुसार देश में करीब 43 हजार मिलियन टन कोयला निकाला जा सकता है. भारत सरकार के निर्देश के बाद सीएमपीडीआइ के सीएमडी की अध्यक्षता में कमेटी बनायी गयी थी. कमेटी ने रिपोर्ट तैयार कर भारत सरकार को सौंप दी है. कमेटी में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के उप-महानिदेशक, सीएमपीडीआइ के निदेशक सीआरडी, निदेशक पीएंडडी, एससीसीएल के निदेशक तकनीकी, एनटीपीसी के क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक तथा सीसीटी सेक्शन कोयला मंत्रालय के निदेशक सदस्य सचिव थे. इनको अलग-अलग स्थिति में कोयला निकालने की संभावना पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया था. 600 मीटर से अधिक की गहराई से कोयला निकालना संभव नहीं : कमेटी ने कहा है कि 600 मीटर से अधिक की गहराई से कोयला निकालने की संभावना बहुत ही कम है. कोयला निकालने के दौरान इको सेंसेटिव जोन और बड़ी आबादी वाले शहर से भी कोयला निकालना संभव नहीं है. टीम के सदस्यों ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में करीब 43 हजार मिलियन टन कोयला विभिन्न स्थिति में निकालने योग्य है.
ओपेन कास्ट और यूजी में निकालने की अलग-अलग विधि :
टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ओपेन कास्ट से कुल रिजर्व का किसी भी खदान में 46 से 70 फीसदी कोयला निकाला जा सकता है. इसकी गहराई 200 से 300 मीटर होती है. अंडर ग्राउंड खदान (यूजी) से 600 मीटर की गहराई तक स्थित कोयला निकाला जा सकता है. यह कुल जियोलॉजिकल रिजर्व का 18 से 30 फीसदी हो सकता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है