रांची : रांची रेल डिविजन में हटिया से हावड़ा तक वंदे भारत ट्रेन चलाने की तैयारी शुरू कर दी गयी है. ट्रेन 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से पटरियों पर दौड़े, इसके लिए ट्रैक में थिकवेब स्विच लगाने का काम शुरू किया गया है. वहीं हटिया यार्ड में भी बदलाव किये जा रहे हैं. रेलवे अधिकारी ने बताया कि रांची रेल डिविजन में 170 जगहों पर थिकवेब स्विच लगाये जायेंगे. इससे ट्रेनों की रफ्तार आनेवाले दिनों में और अधिक बढ़ेगी.
रेलवे ट्रैक की स्थिरता के लिए क्रंक्रीट स्लीपर को पटरी के साथ मजबूती देने के लिए सामान्य प्वाइंट के स्थान पर थिक वेब स्विच लगाने का कार्य शुरू किया गया है. इससे आनेवाले दिनों में वंदे भारत ट्रेन की सुविधा रांची रेल डिविजन के यात्रियों को मिलेगी. वहीं हटिया यार्ड में टी-18 ट्रेन के रखरखाव में इस्तेमाल के लिए दो नयी पिट लाइन का निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है.
थिकवेब स्विच मुख्य रूट पर लगाये जायेंगे. इसमें रांची व हटिया रेलवे स्टेशन के पास 02, तुलीन में 04, झालदा में 01, इलू में 03 और तिलूडीह स्टेशन में 02 स्विच लगाये गये हैं. शेष थिकवेब स्विच भी जल्द लगा दिये जायेंगे. इसका इस्तेमाल बढ़ने से ट्रैक पर अधिक स्पीड के साथ ट्रेनों का संचालन किया जा सकता है. इसके अलावा इससे लूप लाइन में भी ट्रेनों की गति 30 किमी प्रति घंटे से बढ़कर 50 किमी प्रति घंटे हो जायेगी. इससे रेल यात्रियों को लाभ होगा.
थिक वेब स्विच लगाने में लगभग तीन घंटे के ब्लॉक के साथ 30-40 कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ती है. इसमें इस्तेमाल होने वाली प्वाइंट मशीन भी काफी मजबूत है. यह कार्य रेलवे के इंजीनियरिंग, दूरसंचार, संकेत, परिचालन और विद्युत विभाग के सामूहिक प्रयास से किया जा रहा है.
थिकवेब स्विच लगने से ट्रेनों की सुरक्षा बढ़ेगी और यात्रियों को ट्रेनों में झटका नहीं लगेगा. इस स्विच से ट्रेनों की गति भी बढ़ेगी. रांची से चलनेवाली वंदे भारत ट्रेन के लिए यह कवायद की जा रही है. प्रदीप गुप्ता, डीआरएम, रांची
जहां पर पटरियों की दिशा बदली जाती है, उसे फेसिंग प्वाइंट कहा जाता है. ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए इसका मजबूत और टिकाऊ होना जरूरी है. थिकवेब स्विच परंपरागत स्विच की तुलना में मोटा, डबल लॉकिंग और स्प्रिंग का होता है. यह हाई स्पीड के लिए अनुकूल होता है.
Posted By: Sameer Oraon