Indian Railways: झारखंड की राजधानी रांची स्थित हटिया स्टेशन से हर दिन पुरी के लिए और पुरी से हटिया के लिए चलने वाली हटिया-पुरी तपस्विनी एक्सप्रेस के शेड्यूल में बदलाव किया गया है. आज यानी रविवार को यह ट्रेन हटिया स्टेशन से रवाना नहीं होगी. वहीं, ओडिशा के संबलपुर से उत्तर प्रदेश के वाराणसी के बीच चलने वाली संबलपुर-बनारस एक्सप्रेस ट्रेन के प्रस्थान समय में बदलाव किया गया है.
संबलपुर-बनारस एक्सप्रेस ट्रेन रविवार को अपने नियत समय से 5 घंटे के विलंब से रवाना होगी. इस ट्रेन को आज दिन में 1 बजकर 05 मिनट पर संबलपुर से रवाना होना था, लेकिन अब यह ट्रेन शाम के 6 बजकर 05 मिनट पर रवाना होगी. दक्षिण पूर्व रेलवे रांची मंडल की ओर से यह जानकारी दी गयी है.
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दपूरे रांची मंडल के जनसंपर्क पदाधिकारी ने बताया है कि चक्रधरपुर मंडल के अंतर्गत कलुंगा स्टेशन पर रेल पटरी पर जन आंदोलन की वजह से ट्रेन संख्या 18452 पुरी-हटिया तपस्विनी एक्सप्रेस 30 अप्रैल को हटिया स्टेशन से रवाना नहीं होगी. इसकी बजाय, इस ट्रेन का आंशिक प्रारंभ राजगांगपुर स्टेशन से होगा. 30 अप्रैल 2023 को यह ट्रेन हटिया से राजगांगपुर के बीच रद्द रहेगी.
इसके पहले, 29 अप्रैल को इस ट्रेन का आंशिक समापन राजगांगपुर स्टेशन पर कर दिया गया था. यानी 29 अप्रैल को भी यह ट्रेन राजगांगपुर से हटिया तक नहीं आयी थी. उधर, ट्रेन संख्या 18311 संबलपुर-बनारस एक्सप्रेस ट्रेन के समय में बदलाव कर दिया गया है. यह ट्रेन 5 घंटे विलंब से चलेगी.
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बता दें कि रेलवे के साथ कई दौर की वार्ता विफल होने के बाद कलुंगा विकास परिषद के बैनर तले लोगों ने कलुंगा में रेल पटरी पर बैठकर रेल रोको आंदोलन शुरू कर दिया है. रविवार सुबह से चल रहे इस आंदोलन की वजह से कम से कम आधा दर्जन से अधिक ट्रेनों का परिचालन प्रभावित हुआ है. पुरी से हटिया की ओर जा रही तपस्वनी एक्सप्रेस को राजगांगपुर रेलवे स्टेशन में रोक दिया गया.
कलुंगा के लोगों की इस मांग के समर्थन में राजगांगपुर के विधायक सीएस राजेन एक्का भी आ गये हैं. वे भी आंदोलनकारियों के साथ पटरी पर बैठ गये. कलुंगा विकास परिषद की मांग है कि कलुंगा रेलवे स्टेशन पर कोरोना से पहले जितनी गाड़ियां ठहरतीं थीं, उसे बहाल किया जाये. परिषद ने रेलवे को 30 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया था, जिसके बाद उन्होंने अपना आंदोलन शुरू कर दिया.
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उल्लेखनीय है कि चक्रधरपुर मंडल के ही ओडिशा में पड़ने वाले बामरा स्टेशन पर भी पिछले महीने जोरदार आंदोलन हुआ था. बामरा के लोगों की भी यही मांग थी कि जिन ट्रेनों का ठहराव कोरोना के पहले हुआ करता था, उसे फिर से बहाल किया जाये. कई दिनों के आंदोलन के बाद आखिरकार रेलवे को ग्रामीणों की मांग माननी पड़ी. तब जाकर आंदोलन समाप्त हुआ.