पलामू टाइगर रिजर्व के वन्य जीवों को मिलेगी सुख-चैन की जिंदगी, रेलवे ने बनायी ये योजना
भारतीय रेलवे ने एक ऐसा फैसला किया है, जिससे पलामू टाइगर रिजर्व के वन्य जीवों को स्वच्छंद रूप से जंगल में विचरण करने की आजादी मिलेगी. जी हां. छिपादोहर से हेहेगढ़ा स्टेशन के बीच 11 किलोमीटर लंबे रेल खंड को अन्यत्र शिफ्ट कर दिया जायेगा.
झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) में वास करने वाले वन्य जीवों को सुख-चैन की जिंदगी देने के लिए भारतीय रेलवे ने बड़ा फैसला लिया है. इस योजना के अमल में आने के बाद पीटीआर के जीव-जंतु जंगल में स्वच्छंद रूप से विचरण कर सकेंगे. इसके लिए पलामू प्रमंडल में स्थित पीटीआर से गुजरने वाली 11 किलोमीटर लंबी रेल लाइन को अन्यत्र शिफ्ट करने का फैसला किया है. इस योजना को अंजाम देने के लिए रेलवे ने पलामू टाइगर रिजर्व के साथ मिलकर एक सर्वेक्षण कर रहा है. सर्वेक्षण पूरा होने के बाद इसका डीपीआर तैयार होगा. इसका उद्देश्य वन्य जीवों की ट्रेनों से कटकर होने वाली मौतों पर रोक लगाना है.
रेलवे-पीटीआर की संयुक्त टीम करेगी सर्वेक्षण
भारतीय रेलवे और पलामू टाइगर रिजर्व ने सर्वेक्षण के लिए एक संयुक्त टीम का गठन किया है. पीटीआर साउथ डिवीजन के डिप्टी डायरेक्टर कुमार आशीष ने बताया कि उन्होंने रेलवे के अधिकारियों ने 3-4 रूट्स सुझाये हैं. पीटीआर ने भी अपनी तरफ से एक रूट सुझाया है, जिसमें कुछ सुधार किये जा रहे हैं. पीटीआर के अधिकारी भारतीय रेलवे के अधिकारियों के साथ लगातार बैठकें कर रहे हैं, ताकि जंगल में वन्य जीवों के निर्बाध आवागमन को सुनिश्चित किया जा सके.
रेलवे के अधिकारियों को 3 महीने में डीपीआर तैयार करने का निर्देश
कुमार आशीष ने बताया कि भारतीय रेलवे की ओर से पहले भी सर्वेक्षण हो चुका है. लेकिन, वन विभाग ने उनके प्रस्ताव को नकार दिया था. अब दोनों विभागों की संयुक्त टीम सर्वे कर रही है. हम मिलकर हर विषय पर सर्वसम्मति बनाना चाहते हैं. द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे ने अपने अधिकारियों को इसका डीपीआर तैयार करने के लिए 3 महीने का वक्त दिया गया है. बता दें कि छिपादोहर से हेहेगढ़ा स्टेशन के बीच का इलाका पीटीआर के कोर एरिया में आता है. इसी को शिफ्ट किया जाना है. नया रेल मार्ग 11 किलोमीटर से बढ़कर 14 किलोमीटर का हो जायेगा.
हर 10 मिनट में एक ट्रेन गुजरती है पलामू टाइगर रिजर्व से
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि भारतीय रेलवे के इस 11 किलोमीटर लंबे खंड से हर दिन कम से कम 200 ट्रेनें गुजरती हैं. यानी हर 10 मिनट में पलामू टाइगर रिजर्व से एक ट्रेन गुजरती है. यह रेलवे लाइन एक तरह से पलामू टाइगर रिजर्व के बीच में अदृश्य दीवार की तरह है. लगातार ट्रेनों के आवागमन की वजह से बड़ी संख्या में वन्य जीवों की ट्रेन से कटकर मौत हो जाती है. इस पर रोक लगाने के उद्देश्य से ही रेलवे लाइन को शिफ्ट करने की योजना पर काम चल रहा है.
9 हाथी समेत 28 वन्य जीवों की रेल से कटकर हुई मौत
वर्ष 1980 से वर्ष 2022 तक 28 वन्य जीवों की मौत हो चुकी है. 9 हाथियों के अलावा 9 हिरण, 8 बायसन, एक हायना और एक तेंदुआ की भी रेलगाड़ी (यात्री और मालगाड़ी दोनों) की चपेट में आने से मृत्यु हो गयी. इस रेलवे लाइन को शिफ्ट करने की लंबे समय से मांग चल रही है. अब रेलवे ने इस दिशा में काम शुरू कर दिया है. पीटीआर के अधिकारियों को उम्मीद है कि रेल लाइन के शिफ्ट हो जाने के बाद जानवर जंगल में स्वच्छंद रूप से विचरण कर सकेंगे.
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