राजीव पांडेय, रांची :
राजधानी में होमियाेपैथी पद्धति से तैयार इंसुलिन नाम की दवा खुलेआम बिक रही है. इंसुलिन नाम होने से शुगर के मरीज भ्रम में फंस रहे हैं, क्योंकि उनको लग रहा है कि यह दवा इंसुलिन का विकल्प है. कुछ मरीज एलोपैथ के इंसुलिन का विकल्प मान कर इसका उपयाेग कर रहे हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इंसुलिन को पेट के माध्यम से नहीं दिया जा सकता है, क्योंकि इंसुलिन टैबलेट के रूप में पेट में पहुंचते ही खराब हो जाता है. यहीं वजह है कि इंसुलिन को इंजेक्शन के रूप में नस द्वारा शरीर में पहुंचाया जाता है.
वहीं, दवा विक्रेता भी मरीजों द्वारा पूछे गये सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं, क्योंकि इंसुलिन की दवा टैबलेट के रूप में उपलब्ध होने की जानकारी उनको नहीं है. होमियोपैथ के विशेषज्ञ डॉक्टरों के अनुसार होमियोपैथी पद्धति की पुस्तकों में भी इंसुलिन की ऐसी किसी दवा का उल्लेख नहीं है, जो रोगी को खाने के माध्यम से दिया जाये.
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इंसुलिन के नाम से होमियोपैथ की यह दवा 51 रुपये में उपलब्ध है. वहीं, एलोपैथी में इंसुलिन की दवा (इंजेक्शन के रूप ) महंगी है. एक सप्ताह की दवा का खर्च 160 से 180 रुपये है. प्रतिदिन सूई लेने का दर्द भी झेलना पड़ता है. ऐसे में टैबलेट के रूप में मिल रही इस दवा को आरामदायक मान कर लोग उपयोग कर रहे हैं.
होमियोपैथ की यह दवा त्वचा की समस्या में राहत दिला सकती है. एलोपैथी के इंसुलिन का विकल्प मानकर अगर लोग इस टैबलेट को उपयोग करते हैं, तो इसका कोई फायदा नहीं होगा.
डॉ अरविंद कुमार, होमियोपैथ चिकित्सक
इंसुलिन नाम की वजह से यह दवा लोगों को भ्रमित कर रही है. यह दवा होमियापैथ की दवा में सूचीबद्ध भी नहीं है. बाजार में मिल रही इस दवा को संग्रहित कर जांच की जायेगी.
राम कुमार झा, औषधि निरीक्षक