रांची : वर्ष 2020 की इंटरमीडिएट आर्ट्स की सेकेंड स्टेट टॉपर ज्योति कुमारी तंगी की वजह से आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रही है. उसके पास कोर्स की पूरी किताबें खरीदने तक के पैसे नहीं है. पिता सड़क किनारे माला गूंथने का काम करते हैं. मां ने महिला समिति से 30 हजार रुपये कर्ज लेकर संत जेवियर्स कॉलेज में ग्रेजुएशन में दाखिला कराया है.
लेकिन, घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण अब वह कर्ज भी नहीं चुका पा रही है. कोविड-19 की वजह से ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं. घर में मात्र एक स्मार्टफोन है. ज्योति चार भाई-बहन है, सभी की कक्षाएं ऑनलाइन ही चल रही हैं. ऐसे में ज्योति ऑनलाइन क्लास भी नहीं कर पा रही है.
न्यू मधुकम के यमुनानगर में रहनेवाली ज्योति कहती है कि 11 अक्तूबर को ‘इंटरनेशनल डे ऑफ द गर्ल चाइल्ड’ के मौके पर उसे रांची के डीसी ने सम्मानित किया था. वह अपनी मां और दीदी के साथ पुरस्कार लेने उपायुक्त कार्यालय गयी थी. आने-जाने में 200 से अधिक रुपये खर्च हुए थे. वहां सम्मान स्वरूप उसे सर्टिफिकेट दिया गया.
उस वक्त कहा गया कि उसे पांच हजार रुपये का नगद पुरस्कार भी मिलेगा. उससे बैंक खाते की जानकारी भी ली गयी और एक मोबाइल नंबर उपलब्ध कराया गया था. उस नंबर पर जब ज्योति ने संपर्क किया, तो कहा गया कि राशि जल्द ही दी जायेगी. लेकिन बाद में उस व्यक्ति ने ज्योति का फोन रिसीव करना भी छोड़ दिया. ज्योति कहती है कि अंतिम बार नौ नवंबर को अपना बैंक खाता चेक किया था, तब तक राशि नहीं आयी थी.
ज्योति हिंदी विषय से स्नातक की पढ़ाई कर रही है. वह यूपीएससी की तैयारी करना चाहती है. उसने उर्सुलाइन इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट की परीक्षा (84 फीसदी) पास की है.
मां ने 30 हजार रुपये कर्ज लिया था. 25 हजार दाखिले में खर्च हो गये. आगे की पढ़ाई के लिए पैसे नहीं जुटा पा रही हूं. सरकार की ओर से गरीब मेधावी बच्चों को पढ़ाई के लिए आर्थिक मदद की बात कही गयी थी, लेकिन आज तक कोई मदद नहीं मिली.
– ज्योति कुमारी, सेकेंड स्टेट टॉपर, इंटरमीडिएट आर्ट्स
posted by : sameer oraon