अंतरराष्ट्रीय नशा मुक्ति दिवस : पांव पसार रहा नशे का कारोबार, गर्त में जा रहे झारखंड के युवा

झारखंड नशे की गिरफ्त में है. नशे के सौदागर अपनी काली कमाई के लिए युवाओं का भविष्य चौपट कर रहे हैं. उन्हें अंधेरे में धकेल रहे हैं. स्कूल-कॉलेजों के कैंपस तक प्रतिबंधित नशा पहुंचाया जा रहा है. स्थिति भयावह है. इस नशे की वजह से हमारे नौ-निहाल गर्त में जा रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 26, 2023 8:46 AM

रांची, प्रणव : झारखंड में नशे का कारोबार तेजी से पांव पसार रहा है. हर उम्र के लोग इसके ग्राहक हैं, लेकिन युवा वर्ग काफी तेजी से इसकी चपेट में आ रहे हैं. झारखंड में किस तरह के नशे की कितनी खपत है, इसका आंकड़ा राज्य की किसी एजेंसी के पास नहीं है. वहीं, ऐसा एक भी एनजीओ अब तक सामने नहीं आया है, जो इस क्षेत्र में कार्य कर रहा हो. हालांकि, पुलिस और अन्य केंद्रीय एजेंसियों ने समय-समय पर मादक पदार्थ व इनसे जुड़े छोटे लोगों को पकड़ा है, लेकिन आज तक एक भी बड़ा तस्कर पुलिस के हाथ नहीं आया है.

राज्य में जनवरी 2022 से मार्च 2023 तक (15 माह में) 24 जिलों व दो रेल जिलों में मादक पदार्थों से जुड़े कुल 458 मामले सामने आये हैं. वहीं, पुलिस ने मादक पदार्थ के कारोबार से जुड़े कुल 686 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. बावजूद इसके नशे का कारोबार बदस्तूर जारी है. राज्य के दूसरे जिलों की अपेक्षा राजधानी रांची में मादक पदार्थों की कई वेरायटी मौजूद है. इनमें गांजा, ड्रग्स, अफीम, डोडा, ब्राउन शुगर, चरस, नशे के रूप में इस्तेमाल किये जानेवाला टेबलेट व इंजेक्शन के साथ ही डेंड्राइट भी शामिल है. पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2022 से मार्च 2023 तक पूरे राज्य में 5458.52 किलो गांजा, 1653.27 किलो अफीम, 61.97 किलो ब्राउन शुगर, 12.51 ग्राम हेरोइन, 28774 किलो डोडा, 10 ग्राम चरस, 20 पोस्ता फल, 4593 बोतल (एक बोतल 100 ग्राम) सिरप, 184366 टेबलेट और 4080 कैप्सूल विभिन्न जिलों से बरामद किये गये हैं. इसके अलावा वर्ष 2022 से मार्च 2023 तक विभिन्न जिलों में 2567 एकड़ में लगी अफीम की खेती नष्ट की गयी है. इस मामले में दर्ज 80 केस में 100 लोगों की गिरफ्तारी हुई है.

विभिन्न जिलों में होती है अफीम की खेती

झारखंड में सरकारी स्तर पर अफीम खेती की अनुमति नहीं है. इसलिए चोरी-छिपे चतरा, खूंटी, रांची, हजारीबाग, लातेहार, चाईबासा, पलामू, गढ़वा आदि जिलों में इसकी खेती की जाती है. इस कारोबार में स्थानीय लोगों के अलावा उग्रवादी व नक्सली संगठनों का भी हाथ रहता है. हर साल पुलिस-प्रशासन की ओर से अफीम की खेती नष्ट करने के लिए अभियान चलाया जाता है. बावजूद इसके यूपी, हरियाणा, महाराष्ट्र, राजस्थान तक के तस्कर झारखंड से अफीम की बड़ी खेप ले जाते हैं. बाहरी तस्कर अफीम की खेती लगने से पहले ही किसानों को पेशगी के पैसे दे देते हैं. फसल तैयार होने के बाद तस्कर उसे यहां से ले जाकर रिसाइकिल के बाद बाजार में ऊंची कीमत में बेचते हैं.

स्थिति भयावह, स्कूलों और कॉलेजों के कैंपस तक पहुंचाया जा रहा है प्रतिबंधित नशा

  • ऐसा एक भी एनजीओ अब तक सामने नहीं आया है, जो इस क्षेत्र में कार्य कर रहा हो

  • पुलिस या किसी एजेंसी के पास नहीं झारखंड में मादक पदार्थों की खपत का आंकड़ा

  • हर वर्ष बड़ी तादाद में पकड़े जाते हैं मादक पदार्थ, अब तक नहीं पकड़े गये बड़े तस्कर

जनवरी 2022 से मार्च 2023 जिलावार जब्त मादक पदार्थ

जिला – केस – गिरफ्तारी – बरामदगी

  • रांची – 47 – 85 गांजा 990 किलो, ड्रग्स 26 किलो, अफीम 17.90

    किलो, डोडा 1861 किलो, ब्राउन शुगर 808 ग्राम, चरस

    10 ग्राम, टेबलेट 20, सीरप 138 बोतल, इंजेक्शन 250

  • जमशेदपुर – 63 – 115 – गांजा 136 किलो, ब्राउन शुगर 533 किलो, गांजा 116

    किलो, टेबलेट 140

  • हजारीबाग – 34 – 40 – गांजा 337 किलो, अफीम 27 किलो, डोडा 3655 किलो,

    ब्राउन शुगर 19 किलो, सीरप 234 बोतल, टेबलेट 140

ओडिशा से आती है गांजा की खेप

रांची सहित दूसरे जिलों में ओडिशा से गांजा की खेप आती है. कई बार रांची के खादगढ़ा बस स्टैंड में गांजा पकड़ा गया है. इसके अलावा पिकअप वैन से ओडिशा से लाये गये गांजा की खेप रिंग रोड और ओरमांझी के अलावा नामकुम में भी पकड़ी गयी है.

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