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अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस : जिंदगी की शाम, बेहतरी के नाम, रांची के लोग इन कामों में दे रहे अपना योगदान

अभी जब पूरे देश में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, तो राजधानी के ही कई बुजुर्ग अपने स्तर से भी इस कार्यक्रम में योगदान दे रहे हैं. उनकी कोशिश रहती है कि समाज में सफाई को प्राथमिकता मिले और लोग स्वस्थ रहें. बेहतरी के लिए कोशिश जारी है.

हर साल एक अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बुजुर्ग दिवस मनाया जाता है. यह दिवस एक वैश्विक अवसर है, जो वरिष्ठ नागरिकों के अमूल्य योगदान को मान्यता देता है और उनके सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों पर प्रकाश डालता है. जिंदगी की शाम भी हसीन और सार्थक हो सकती है, बशर्ते जीने का जज्बा हो. साथ ही समाज को बदलने की चाहत दिल में हो. अभी जब पूरे देश में स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, तो राजधानी के ही कई बुजुर्ग अपने स्तर से भी इस कार्यक्रम में योगदान दे रहे हैं. उनकी कोशिश रहती है कि समाज में सफाई को प्राथमिकता मिले और लोग स्वस्थ रहें. बेहतरी के लिए कोशिश जारी है.

मोरहाबादी मैदान में सफाई और पौधरोपण में देते हैं योगदान

काली मंदिर चर्च रोड निवासी जगदीश साहू बिजनेस मैन हैं. उम्रदराज होने पर भी अपना बिजनेस संभाल रहे हैं. इनकी आयु 75 वर्ष है. 1970 से ही प्रतिदिन शहर के मोरहाबादी मैदान जाते रहे हैं. मैदान में अलग-अलग ग्रुप में चलने वाले ग्रुप से जुड़े हैं. श्री जगदीश केवल सैर नहीं करते, बल्कि प्रेशर, योगा और लाफ्टर थेरेपी से भी जुड़कर घंटों बिताते हैं. अपने आस-पड़ोस की साफ सफाई तो करते ही हैं. मोरहाबादी मैदान की भी सफाई में अपना योगदान दे रहे हैं.

सामाजिक कार्यों में युवाओं का साथ दे रहीं शहर की बुजुर्ग महिलाएं

शहर की ब्लूमिंग बड्स सोसाइटी महिलाओं का संगठन है. यह स्वच्छता के प्रति अपनी भागीदारी निभा रहा है. बुजुर्ग महिलाओं से लेकर युवा पीढ़ी भी इस संस्था से जुड़ कर पर्यावरण के प्रति अपनी भागीदारी निभा रही है. आये दिन लाइन टैंक रोड और लाइन टैंक तालाब की सफाई में महिलाएं अपना योगदान दे रही हैं. दीवाली और छठ पर महिलाएं यहां स्वयं झाड़ू लगाती दिखती हैं.

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मोरहाबादी मैदान की स्वच्छता के लिए रहते हैं प्रयासरत

एसएन गांगुली रोड निवासी गजेंद्र सिंह छाबड़ा प्रतिभा के धनी हैं. ये एक बिजनेस मैन हैं और योगा एक्सपर्ट के तौर पर लोगों को स्वस्थ और स्वच्छ बनाने में लगे हैं. 70 साल की उम्र में भी खुद योग करते हैं और दूसरे लोगों को भी योग सिखाते हैं. गजेंद्र सिंह मानव विकास समिति के अध्यक्ष भी हैं. समिति मानव कल्याण के लिए श्री छाबड़ा की अध्यक्षता में पिछले 35 सालों से काम कर रही है. श्री छाबड़ा पिछले 40 सालों से मोरहाबादी मैदान में सुबह की सैर करने जा रहे हैं. इस क्रम में पूरे मैदान का भ्रमण करते हैं और जहां भी गंदगी दिखती है, वहां खुद सफाई करते हैं.

एक-दूसरे संग बिताते हैं सुख-दुख के पल

रिटायरमेंट के बाद बुजुर्गों का खाली समय नहीं कट पाता है. जीवन की दूसरी पारी में क्या करें, यह सवाल कई बुजुर्गों के मन में बना रहता है. रांची में बुजुर्गों का सुपर एनुएटेड ग्रुप चल रहा है. इससे सेवानिवृत्त महिला व पुरुष जुड़े हुए हैं. खाली समय में ग्रुप के सभी सदस्य बैठक कर अपने अकेलेपन को दूर करते है. बुजुर्ग सदस्य इस दौरान महीने भर के दिवस विशेष, आपस के लोगों का जन्मदिन, सालगिरह समेत अन्य आयोजन करते हैं. एकजुट होकर एक-दूसरे का सुख-दूख भी बाटते हैं. पिकनिक व आउटिंग का प्लान कर एक-दूसरे की प्रतिभा को साझा करते है. इसमें नृत्य-संगीत, अंताक्षरी, मीमिक्री, कविता पाठ जैसे आयोजन होते हैं.

एक वर्ष पहले हुआ था ग्रुप का गठन

बीते वर्ष वर्णवाल समाज के छह लोगों ने मिलकर सुपर एनुएटेड ग्रुप को स्थापित किया. वर्तमान में 90 सदस्य ग्रुप से जुड़ चुके हैं. पर्व-त्योहार के मौके पर खास तौर पर एकजुट कार्यक्रम का आयोजन होता है. इस दौरान सावन मिलन, डांडिया नाइट जैसे कई बड़े आयोजन हो रहे हैं. जिसमें रांची समेत आस-पास व दूसरे राज्य से प्रवास करने वाले बुजुर्ग भी जुड़ रहे हैं.

ग्रुप से जुड़ कर आनंद आ रहा

मुरारी प्रसाद एवं किरण प्रसाद ने बताया कि जब भी हमारे ग्रुप की बैठक होती है तो मेरे भजन से हीं कार्यक्रम का शुभारंभ होता है. ग्रुप में महीने में पड़ने वाले सदस्यों को जन्म दिवस और सालगिरह मनाया जाता है. वाकई इस ग्रुप के कारण हम बुजुर्गों को जीने का आनंद आ रहा है.

सावन मिलन समारोह में उठाया आनंद

मीना वर्णवाल एवं मदन नाथ वर्णवाल ने बताया कि सावन मिलन समारोह में हम छह बुजुर्गों के कपल ने ग्रुप डांस किया. ग्रुप में मेरा और मेरे पति के अलावा भारती एवं देवेंद्र प्रसाद और शारदा एवं अरविंद वर्णवाल के परफॉरमेंस को सबने सराहा . हमारा उत्साह तो बढ़ा ही, इसी बहाने मन लगा रहता है.

14 को डांडिया नाइट का होगा आयोजन

अर्चना एवं रतन गुप्ता ने बताया कि सुपर एनुएटेड बुजुर्गों का क्लब यानी की सेवा से विरमित ग्रुप के द्वारा आगामी 14 अक्तूबर को डांडिया नाइट का आयोजन किया जा रहा है. जिसके लिए हम अभी से तैयारी में जुट गये हैं.

शुरूआत से पूर्व खंडहर हो गया ओल्ड एज होम

समाज के उपेक्षित बुजुर्गों की देखभाल के लिए सरकार के स्तर से करोड़ों रुपये खर्च हो रहे हैं. लेकिन खर्च के बाद भी स्थिति क्या है, उसे देखने वाला कोई नहीं है. उदाहरण के तौर पर रांची के चिरौंदी में बने ओल्ड एज होम को देखा जा सकता है. तीन करोड़ की लागत से बना यह भवन बिना उपयोग के ही खंडहर में तब्दील हो गया. भवन की देखरेख और संचालन की जिम्मेवारी जिला प्रशासन पर थी. लेकिन हालत यह है कि प्रशासन को भी यह पता नहीं है कि ओल्ड एज होम चल रहा है या नहीं. जब इसकी जानकारी मांगी गयी, तो डीसी राहुल सिन्हा का कहना था कि एनजीओ का चयन कर संबंधित विभाग को जानकारी दी गयी है. जहां तक भवन के खंडहर होने का सवाल है, तो इसकी मरम्मति की कार्ययोजना तैयार कर ली गयी है.

चोर ले गये सब सामान

ओल्ड एज होम में 50 बजुर्गों के रहने के लिए 20 कमरे, चार हॉल रूम, आंगन में बैठक स्थल समेत अन्य तमाम सुविधाएं बहाल की गयी थीं. हालत यह है कि भवन में लगे दरवाजे, खिड़की, बिजली के उपकरण, बाथरूम फिटिंग, टाइल्स, वाटर फिल्टर, पानी टंकी समेत अन्य सामान असामाजिक तत्व उखाड़ ले गये हैं. भवन के फर्श पर चारों ओर कांच फैला है. जिसे देखने से स्पष्ट होता है कि यह भवन अब नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है. आसपास के लोगों का कहना मानें, तो वर्षों से प्रशासन की ओर से भवन में कोई पहल ही नहीं की गयी है.

सितंबर 2022 में ही विभाग को निर्देश दिया गया था. विभाग ने सूचना दी है कि एनजीओ का चयन किया गया है. इसका संचालन शुरू हो, सुनिश्चित किया जायेगा.

– राहुल सिन्हा, डीसी रांची

एनजीओ का चयन कर लिया गया है. उसके आगे मैं कुछ बता पाने की स्थिति में नहीं हूं. अब फाइल देखना होगा. उसके बाद ही पूरी जानकारी मिल पायेगी.

– श्वेता भारती, जिला समाज कल्याण

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