कलाकार के हाथों में वह जादू होता है, जिससे उसकी कल्पना को अनमोल कलाकृति का रूप मिलता है. लेकिन, जब उसकी कलाकार के हाथ ही कट जायें, तो उस पर क्या बीतेगी, इसका अंदाजा लगाना असंभव है. रांची के डिबडीह की रहनेवाली शोभा कुमारी (52) भी एक कलाकार हैं. अपनी रचनात्मकता के दम पर उन्होंने राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना और अपने राज्य का नाम रोशन किया. साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तारीफ हासिल की. लेकिन, दुर्भाग्यवश उन्हें बीमारी की वजह से अपना बायां हाथ गंवाना पड़ गया. हालांकि, उन्होंने हार नहीं मानी और दोबारा उसी जज्बे के साथ अपनी कला के पोषण में जुट गयीं. ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस’ पर पढ़ें शोभा कुमारी के जज्बे को सलाम करती ‘प्रभात खबर’ की यह विशेष प्रस्तुति.
लता रानी, रांची :
शोभा कुमारी को झारखंडी गुड़िया बनाने में महारथ हासिल है. अपने इस हुनर के जरिये उन्होंने कई महिलाओं को जोड़ा है. उनके साथ फिलहाल 35 महिलाएं इस काम को कर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. शोभा के हाथों से बनी झारखंडी गुड़िया और राम दरबार की झांकी सांसद संजय सेठ के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक भी पहुंच चुकी है. उस दिन को याद कर शोभा कुमारी आज भी रोमांचित हो जाती हैं, जब ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनका नाम लिया और उनकी कला की सरहाना करते हुए उनकी तारीफ की थी. उन्हें न केवल झारखंड और देश के अन्य हिस्सों से ऑर्डर मिल रहे थे, बल्कि विदेशों से भी उनकी कलाकृति की डिमांड आ रही थी.
जून 2023 में शोभा कुमारी बीमार हो गयीं. इसके बावजूद वे बिना थके और बिना आराम किये दिन-रात मेहनत करती रहीं. घरवालों के कहने पर वे यूं ही जांच कराने के लिए दिल्ली चली गयीं, जहां उन्हें दिल का दौरा पड़ा. जांच में पता चला कि बचपन से ही उनका वॉल्ब खराब था. डॉक्टरों ने 15 जून 2023 को उनकी ओपन हार्ट सर्जरी की. इसके बाद वे 26 दिनों तक आइसीयू में रहीं. इस बीच उन्हें चार बार वेंटिलेटर पर डाला गया. उसी दौरान डॉक्टरों को पता चला कि उनके बायें हाथ में इनफेक्शन हो गया. उनकी जान को खतरा था. ऐसे में डॉक्टरों के पास उनका बायां हाथ काटने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं था. पांच जुलाई 2023 को बायें हाथ को पंजे के पास से काट दिया गया.
डॉक्टरों ने शोभा को तीन महीने तक बिस्तर पर रहने की सलाह दी थी. शोभा का लंबा इलाज चला और वे करीब दो महीने तक दिल्ली में रहीं. अगस्त 2023 के पहले हफ्ते में रांची लौटीं, तो उनके छटपटाहट थी कि कैसे जल्द से जल्द अपने वर्कशॉप में लौटें. उन्हें उन महिलाओं के भविष्य की चिंता सताये जा रही थी, जिनकी रोजीरोटी उनसे जुड़ी है और उनकी बीमारी के दौरान भी उनके वर्कशॉप में जी-जान से मेहनत कर रही थीं. करीब एक महीने बाद शोभा दोबारा अपने वर्कशॉप में थीं. लेकिन इस बार उनका जोश और जज्बा पहले से भी अधिक था. आज शोभा अपने सारे काम एक ही हाथ से बिल्कुल सधे हुए तरीके से करती हैं. चाहें ड्रिल करना हो, कैंची चलाना हो या कार ड्राइव करनी हो, वे किसी की मदद नहीं लेती हैं. फिलहाल वे अपनी महिलाओं के समूह के साथ उन ऑर्डर को पूरा करने में जुटी हैं, जो उनकी बीमारी के दौरान मिले थे.
प्रभात खबर ने अपराजिता सम्मान से किया था सम्मानित
शोभा कुमारी के बीमार होने से ठीक पहले मई 2023 में प्रभात खबर ने शोभा कुमारी को ‘अपराजीता सम्मान’ से सम्मानित किया था. यह सम्मान इस बात को साबित करता है कि परिस्थितियां चाहे जो भी हों, शोभा कुमारी अपराजिता ही हैं.
मुझे इस बात का तनिक भी दुख नही हैं कि अब मेरा एक हाथ नहीं है. शायद किस्मत को यही मंजूर था. मैं अपने एक हाथ अपने सारे काम को करने में सक्षम हूं. मैं बेचारी नहीं बनना चाहती हूं. मैं अपने इसी एक हाथ को अपनी ताकत मानती हूं. शोभा कुमारी