रांची, लता रानी : हर साल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women’s Day) मनाया जाता है. राजनीतिक, सांस्कृतिक और समाजिक क्षेत्रों में अपने अधिकारों की लड़ाई में महिलाएं कितनी दूर पहुंची है, इसका जश्न मनाया जाता है. यह दिन महिलाओं की तरक्की के जश्न का दिन है. उनके जुनून को सलाम करने का दिन है.
भारतीय प्रशासनिक सेवा (2010 बैच) की अधिकारी हर्षिका सिंह अभी मध्य प्रदेश के मंडला की जिलाधिकारी हैं. हाल ही उन्हें प्रधानमंत्री के हाथों सम्मान मिला है. काम के बदौलत उनकी अलग पहचान है. हर्षिका ने मंडला में साक्षरता अभियान चलाया है. इसका फायदा अशिक्षित महिलाओं को मिला. इस अभियान के कारण केंद्र स्तर पर उनकी पहचान बनी. भारत सरकार ने इसी प्रयोग के लिए सम्मानित भी किया है. हर्षिता लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स की भी छात्रा रहीं हैं. वहीं स्कूली शिक्षा बिशप वेस्टकॉट स्कूल रांची और स्नातक की डिग्री संत जेवियर्स कॉलेज से हासिल की है.
पलामू की बेटी प्राची अपूर्वा ने बीपीएससी-2022 में सफलता हासिल की. पहले ही प्रयास में 18वां रैंक हासिल किया. वर्तमान में जयनगर, मधुबनी में जिला उप निर्वाचन पदाधिकारी हैं. उन्होंने सेल्फ स्टडी के दम पर यह मुकाम हासिल किया है. कभी कोचिंग नहीं ली. अब यूपीएससी की तैयारी में जुटी हुई हैं. 10वीं तक की स्कूलिंग सेक्रेड हार्ट डालटनगंज और 12वीं की पढ़ाई जेवीएम श्यामली से की. फिर बीआइटी सिंदरी से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. एक प्रतिष्ठित कंपनी में प्लेसमेंट भी हुआ. लेकिन प्राची अपूर्वा का सपना प्रशासनिक सेवा में जाना था. पिता अमरेंद्र नारायण सरकारी स्कूल में शिक्षक हैं और मां तनूजा सिन्हा एक अस्पताल में काउंसलर हैं. वह कहती हैं : महिलाओं को अवसर मिलना चाहिए, तभी वह सशक्त होंगी.
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खूंटी की बेटी रीना हांसदा चक्रधरपुर में अनुमंडल पदाधिकारी हैं. मूल रूप से गोड्डा की सुंदरीपहाड़ी की रहनेवाली रीना हांसदा ने प्रशासनिक सेवा में कदम रखकर मिसाल कायम किया है. इनकी स्कूलिंग जेवीएम श्यामली और ग्रेजुएशन संत जेवियर्स कॉलेज रांची से किया. पीएचडी कर चुकी रीना कहती हैं : यदि महिलाएं सपना देखती हैं, तो उसे ऊंची उड़ान देने का जज्बा भी होना चाहिए.
आकांक्षा शिखा खलखो, आइएएस भारतीय प्रशासनिक सेवा 2020 बैच की आकांक्षा शिखा खलखो छत्तीसगढ़ कैडर की अधिकारी हैं. वह अभी मुंगेली जिला में सदर अनुमंडल पदाधिकारी (रेवन्यू) के पद पर पदस्थापित हैं. मूल रूप से रांची की रहनेवाली आकांक्षा ने कम समय ही अपनी पहचान बना चुकी हैं. वह अपनी प्रशासनिक शैली के लिए जानी जाती हैं. इनके पिता डॉ विपिन खलखो पशुपालन विभाग में कार्यरत हैं. आकांक्षा की स्कूली और कॉलेज की शिक्षा रांची से ही हुई है. वह कहती हैं : महिलाओं को आगे बढ़ने के अवसर देना चाहिए. वह हर मुकाम को हासिल कर सकती हैं.
रांची की ईशा उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ में मुख्य विकास पदाधिकारी हैं. सिविल सेवा की परीक्षा-2015 में 75वां रैंक हासिल किया था. उत्तरप्रदेश के मैनपुरी की महत्वाकांक्षी योजना सारस सर्किट का निर्माण कर पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान बनायी. वह कहती हैं : उनके रोल मॉडल दादाजी अशोक कुमार सिन्हा रहे, जो आइएएस ऑफिसर थे. स्कूलिंग सेक्रेड हार्ट स्कूल और डीएवी श्यामली से प्लस टू किया. ईशा ने कहा : मेहनत और ईमानदारी से हर मुकाम को पाया जा सकता है.