रांची विवि द्वारा 50 करोड़ रुपये अधिक लेने की जांच रिपोर्ट सीएम को भेजी गयी
रांची विवि द्वारा 50 करोड़ रुपये अधिक लेने की जांच रिपोर्ट सीएम को भेजी गयी
रांची : रांची विवि द्वारा शिक्षकों के सातवें वेतनमान के बकाया के लिए राज्य सरकार से लगभग 50 करोड़ रुपये अधिक ले लेने के मामले की जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास पहुंच गयी है. अब मुख्यमंत्री को इस मामले में निर्णय लेना है. प्रभात खबर में इससे संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद मुख्यमंत्री ने पूरे मामले की जांच का आदेश उच्च शिक्षा विभाग को दिया था. विभाग ने रांची विवि व डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि में जांच के लिए कमेटी बनायी थी. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप दी.
इसके बाद रिपोर्ट सीएम को भेजी गयी है. विवि को दोषी मान रही है कमेटी, जबकि खुद संदेह के घेरे में हैसूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में शिक्षकों के नाम पर अधिक राशि मांगे जाने पर संबंधित विवि को ही दोषी माने जाने की संभावना व्यक्त की गयी है. कमेटी का मानना है कि विवि ने गलत व्यय भार क्यों भेजा? जबकि यह कमेटी ही संदेह के घेरे में है. क्योंकि निदेशालय के वैसे अधिकारी भी इस जांच कमेटी में थे, जिन्होंने विवि द्वारा भेजे गये संभावित कुल व्यय भार के आधार पर राशि की स्वीकृति दी अौर विवि को पूरी राशि उपलब्ध करा दी.
ऐसा राज्य के सभी विवि के साथ हुआ है. सभी विवि ने संभावित जितना व्यय भार भेजा, निदेशालय व ट्रेजरी ने बिना जांच किये मांगी गयी पूरी राशि विवि को उपलब्ध करा दी. जबकि निदेशालय द्वारा विवि से वास्तविक भार मांगने की कोशिश भी नहीं की. जानकारी के अनुसार विवि को उपलब्ध करायी गयी बकाया राशि में 50 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार की भी है. मतलब इस मामले में केंद्र को भी अंधेरे में रखा गया. रांची विवि व डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विवि को छोड़ कर अन्य किसी विवि ने राशि नहीं निकाली.
मालूम हो कि विवि ने एक जनवरी 2016 से 31 मार्च 2019 तक के लिए सातवें वेतनमान के एरियर भुगतान के लिए रांची विवि से व्यय भार मांगा, तो विवि ने कुल 99.60 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा. रांची विवि ने डीएसपीएमयू (पूर्व में रांची कॉलेज) के भी 101 शिक्षकों के नाम पर भी 9.90 करोड़ रुपये मंगा लिये.
जबकि डीएसपीएमयू ने भी अलग से अपने 101 शिक्षकों के लिए सातवें वेतनमान के एरियर के लिए उक्त राशि का अलग से प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेज दिया. निदेशालय ने एक ही शिक्षक के नाम पर दोनों विवि को राशि भेज दी. राज्य के अन्य विवि को भी खर्च से ज्यादा राशि मिल गयी है.
Post by : Pritish Sahay