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ISFR 2021 Report : झारखंड के वन क्षेत्र से गायब हो रहे जंगल, जानें क्या है राज्य में वनों की स्थिति

झारखंड के वन क्षेत्र की स्थिति चिंताजनक है, आइएसएफआर 2022 की रिपोर्ट में ये बात सामने आयी है कि वन भूमि के भाग में आधे में अब जंगल ही नहीं है. रिपोर्ट के मुताबिक 10108 वर्ग किमी वन भूमि बिना जंगल के ही है.

रांची : इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट – 2021 में झारखंड को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आये हैं. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में जंगल तो बढ़े हैं लेकिन राज्य में जो जमीन अॉन रिकॉर्ड वन भूमि है, उसमें से आधे में लगभग अब जंगल है ही नहीं. दूसरी तरफ गैर वनभूमि पर, मतलब जंगल से बाहर की जमीन पर नये जंगल लग गये हैं. ऐसे जंगल का क्षेत्रफल लगभग वनभूमि पर मौजूद जंगल के बराबर है. इससे यह साफ होता है कि राज्य में जंगल बढ़ तो रहे हैं, लेकिन जो वनक्षेत्र की भूमि है, उस पर से जंगल गायब भी होते जा रहे हैं.

झारखंड में करीब 10108 वर्ग किमी वन भूमि बिना जंगल के ही है. इतनी जमीन पर वन है या नहीं है, इसका जिक्र इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2021 में नहीं है. राज्य में कुल रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया (चिह्नित वन भूमि) 22390.00 वर्ग किमी है. इसमें से 23721.14 वर्ग किमी में जंगल लगा हुआ है.

यह कुल वन भूमि से अधिक है. लेकिन, इसमें से झारखंड का करीब 48% जंगल वन भूमि (रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया) से बाहर है. इंडिया स्टेट ऑफ फॉरेस्ट रिपोर्ट-2021 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में वन भूमि से बाहर करीब 11439 वर्ग किलोमीटर में वन है.राज्य में हर साल 100 करोड़ रुपये का पौधरोपण होता है.

बाहरी क्षेत्र में है वन भूमि से अधिक ओपेन फॉरेस्ट

सर्वे में वन भूमि के बाहर और वन भूमि के अंदर कितना जंगल है, इसका जिक्र किया गया है. भारत सरकार ने वनों के कवरेज की जो रिपोर्ट जारी की है, उसके अनुसार, राज्य की 29.76% भूमि (करीब 23721.14 वर्ग किमी) पर वन है. इसमें 12282 वर्ग किमी जंगल वन भूमि पर है. इसमें 11.51% (करीब 1414 वर्ग किलोमीटर)

अत्यधिक घना जंगल (वीडीएफ) है. 42.34% (5186 वर्ग किलोमीटर) मध्यम स्तर का जंगल (एमडीएफ) है. करीब 46.26% (5682 वर्ग किलोमीटर) ओपेन फॉरेस्ट है. इसी तरह, वन भूमि के बाहर 10.37% (करीब 1187 वर्ग किलोमीटर) में वीडीएफ है. 39.37% (करीब 4503 वर्ग किलोमीटर) में एमडीएफ तथा करीब 50.26% (5749 वर्ग किलोमीटर) ओपेन फॉरेस्ट है.

वीडीएफ : जिस जमीन पर 70 % से अधिक वृक्ष है

यह स्थिति पूरे देश की है. पूरे देश में उत्तर प्रदेश के भौगोलिक एरिया के बराबर की वन भूमि खाली है. इसका हिसाब वन विभाग के पास नहीं है. सर्वे में वन विभाग को यह बताना चाहिए कि इस जमीन का क्या उपयोग हो रहा है. भारत सरकार के रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया में करीब 77.53 मिलियन हेक्टेयर भूमि बतायी जाती है. वहीं सर्वे रिपोर्ट में केवल 51.66 का ही जिक्र किया जाता है. शेष जमीन कहां है, यह बताना चाहिए.

सुनीता नारायण, महानिदेशक, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट, नयी दिल्ली

एफएसआइ की जो रिपोर्ट है, उसमें झारखंड में रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया में मात्र 12282 वर्ग किलोमीटर में ही फॉरेस्ट कवर है. इसमें वीडीएफ, एमडीएफ ओर ओपेन फॉरेस्ट का भी जिक्र है. शेष जंगल वन भूमि से बाहर है. तो वन भूमि कहां है. इतनी बड़ी वन भूमि का कोई जिक्र नहीं होना आश्चर्यजनक है. यह विषमता कैसे है, यह सोचने का विषय है, जबकि हर साल वन लगाने पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं.

लाल रत्नाकर सिंह, पूर्व पीसीसीएफ (वन्य प्राणी), झारखंड

Posted By: Sameer Oraon

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