Prabhat Khabar Exclusive: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) के चेयरमैन और सचिव अंतरिक्ष विभाग एस सोमनाथ (ISRO Chairman S Somanath) रविवार को रांची में थे. वे बीआइटी मेसरा के 32वें दीक्षा समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए. एस सोमनाथ की यह दूसरी रांची यात्रा थी. इससे पहले वे 2018 में बीआइटी मेसरा में ही आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे. प्रभात खबर से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि 2023 जून-gmailजुलाई में चंद्रयान-थ्री और 2024 में गगनयान की लांचिंग की तैयारी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान केंद्र सरकार फंडिंग को लेकर पीछे नहीं हटती. रिसर्च और उसके विजन को महत्व दिया जा रहा है. हम दूसरे देश पर निर्भर न हों इसके लिए चिप निर्माण, डाटा साइंस एंड कैपेबिलिटी, एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्पेस के स्ट्रैटेजिक नेचर पर काम कर रहे. जिससे किसी भी मिशन को सफल किया जा सके. साथ ही विभिन्न सैटेलाइट से देश की सेना को कैसे मदद की जा सके, इस पर नये काम हो रहे है. आने वाले दिनों में इससे राष्ट्र सुरक्षा बहुत मजबूत हो जायेगी.
चेयरमैन बनने के बाद से इसरो के कामकाज में क्या बदलाव कर रहे हैं?
भारत सरकार के नजरिये को हरसंभव सफल बनाने की पहल हो रही है. स्पेस सेक्टर को बढ़ावा देने और व्यावहारिक संभावनाओं से जोड़ने के लिए इसे खुले मंच के तौर पर स्थापित किया जा रहा है. इससे निजी अंतरिक्ष पारिस्थितिकी तंत्र जो देश में धीमी गति से आगे बढ़ रही थी, को बढ़ावा मिल रहा है. नये काम के बेहतर नतीजे सामने आ रहे हैं. इस कड़ी में कई नये रॉकेट लांच की तैयारी है. हाल ही में छोटे रॉकेट विक्रम को लांच किया गया. इसके बाद जल्द ही अग्निकुल को लांच किया जायेगा.
गगनयान की अभी क्या तैयारी है?
गगनयान मिशन कई कारणों से टली, पर अब इसे जल्द ही पूरा करने की तैयारी है. इसके लांच से पहले कई खास बिंदुओं पर काम किया जा रहा है. 2023 के शुरुआत से गगनयान को सार्थक करने की दिशा में काम शुरू कर दिये जायेंगे. पहले चरण में अबॉट लांच और दूसरे चरण में अनमैन लांच की जायेगी. इनकी सफलता के बाद 2024 में तीसरे चरण में गगनयान देश के पहले मैन फ्लाइट के रूप में तैयार कर लिया जायेगा.
चंद्रयान टू के बाद आगे की क्या तैयारी है?
चंद्रयान थ्री पूरी तरह तैयार है. इसके सैटेलाइट का काम पूरा कर लिया गया है. इसे लांच करने से पूर्व कई तकनीकी संभावनाओं पर ध्यान दिया जा रहा है, जिससे श्रेष्ठ परिणाम मिल सके. चांद पर जाना कभी भी संभव है, पर इसके लिए बड़े रॉकेट की जरूरत है जैसा दूसरे देशों के पास है. इसरो चार टन के जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लांच व्हीकल (जीएसवी) मार्क-थ्री के साथ तैयार है. वहीं, चांद पर रॉकेट भेजने के सीमित स्लॉट हैं, सबसे नजदीकी स्लॉट जनवरी 2023 में है. इससे पूर्व कई टेस्ट पूरे होने बाकी हैं. ऐसे में दूसरा स्लॉट जून-जुलाई का है, उस समय चंद्रयान-थ्री को लांच किया जायेगा.
सैटेलाइट के विस्तार की क्या पहल की जा रही?
वैसी कंपनियां जो सैटेलाइट निर्माण कर सकती हैं या कर रही हैं, उन्हें बढ़ावा दिया जा रहा है. इसरो अपने काम की प्रक्रिया में बदलाव कर रहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा रॉकेट, सैटेलाइट और पोलर सैटेलाइट लांच व्हीकल (पीएसएलवी) को तैयार कर उसकी लांचिंग समय पर हो सके. अगले एक वर्ष में कई नये सैटेलाइट लांच किये जायेंगे. यही कारण है कि निजी कंपनियों काे अच्छे काम और बेहतर परिणाम के लिहाज से बढ़ावा दिया जा रहा है.
इसरो किन नये सैटेलाइट की तैयारी कर रहा है?
नयी तकनीक का इस्तेमाल कर कई नये सैटेलाइट तैयार किये जा रहे हैं. कई प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल चुकी है. इसमें कुछ सैटेलाइल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए और कुछ कॉमर्शियल उपयोग के लिए तैयार किये जा रहे हैं. जल्द ही ओसियन सैटेलाइट को नये नैविगेशन सिस्टम के साथ लांच किया जायेगा.
रिपोर्ट – अभिषेक रॉय, रांची