Ranchi News : राज मिस्त्री को अर्द्धकुशल श्रमिक मानना गलत : हाइकोर्ट

अदालत ने मोटर दुर्घटना क्लेम ट्रिब्यूनल बोकारो द्वारा मुआवजे की गणना में की गयी गलती को सुधारा

By Prabhat Khabar News Desk | November 21, 2024 12:17 AM

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने मोटर दुर्घटना क्लेम ट्रिब्यूनल बोकारो द्वारा मुआवजे की गणना में की गयी गलती को सुधारा है. इसमें मृत राज मिस्त्री की आय को झारखंड न्यूनतम वेतन अधिसूचना में वर्गीकरण करने के विपरीत अर्द्धकुशल श्रमिक के रूप में आंका गया था. ट्रिब्यूनल ने मुआवजे की गणना में मृत राजमिस्त्री की आय को अर्द्धकुशल श्रमिक के रूप में आकलन करके मुआवजा देने का आदेश दिया था. इसमें आंशिक संशोधन करते हुए जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि मृतक एक राजमिस्त्री था. एक अक्टूबर 2019 से न्यूनतम मजदूरी अधिनियम से प्रभावी झारखंड न्यूनतम वेतन अधिसूचना के मद्देनजर मृतक की आय का मूल्यांकन अर्द्धकुशल श्रमिक के रूप में किया गया था. मृतक राजमिस्त्री था और ट्रिब्यूल द्वारा राजमिस्त्री को अर्द्धकुशल श्रमिक मानना गलत है. अदालत ने मुआवजा राशि 18,62,400 रुपये करने का आदेश पारित किया. उल्लेखनीय है कि मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए मृतक के परिजन शकुंतला देवी व अन्य की ओर से हाइकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी.

ट्रिब्यूनल का आदेश बरकरार, अपील खारिज

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने सड़क दुर्घटना में माैत मामले में मोटर दुर्घटना क्लेम ट्रिब्यूनल धनबाद के 11.45 लाख रुपये मुआवजा देने संबंधी आदेश को बरकरार रखा. साथ ही बीमा कंपनी की अोर से दायर अपील खारिज कर दी. बीमा कंपनी ने ट्रिब्यूनल द्वारा मुआवजा देने के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी. इससे पूर्व सुनवाई के दाैरान अपीलकर्ता की अोर से अदालत को बताया गया कि मृतक इजारत अंसारी जिस मोटरसाइकिल पर बैठा था, उसे तेज व लापरवाही से चलाया जा रहा था. जिसके कारण हादसा हुआ और उसकी मौत हो गयी. इसके अलावा ट्रिब्यूनल ने अन्य तथ्यों पर ध्यान नहीं दिया. वहीं प्रतिवादी की अोर से बताया गया कि मृतक इजारत अंसारी पेशे से बढ़ई था, जो प्रतिदिन 700 रुपये कमाता था. उसकी पत्नी जीवित थी, जिसने दावा याचिका दायर की. मोटरसाइकिल के मालिक की ओर से लिखित बयान दायर किया गया, जिसमें उसने किसी भी तरह की तेज या लापरवाही से ड्राइविंग से इनकार किया, जिसमें कहा गया कि मोटरसाइकिल एक वैध और प्रभावी ड्राइविंग लाइसेंस के साथ संचालित की गयी थी. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 में घटना को लेकर धनबाद में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. इसके बाद मृतक इजारत अंसारी की पत्नी सुंदरी बानो ने ट्रिब्यूनल में मुआवजा के लिए आवेदन दिया था. ट्रिब्यूनल ने 11.45 लाख रुपये 7.50 प्रतिशत ब्याज के साथ देने का आदेश दिया था.

मुआवजे में वृद्धि करने का आदेश

रांची. झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने सड़क दुर्घटना में 33 वर्षीय गृहिणी की माैत मामले में परिवार को दिये जाने वाले मुआवजे में वृद्धि करने का आदेश पारित किया. अदालत ने कहा कि परिवार में उसके योगदान के आकलन में भविष्य की संभावनाओं को भी शामिल किया जाना चाहिए. मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम ट्रिब्यूनल द्वारा दिये गये मुआवजे को 3,84,000 रुपये से संशोधित कर 5,69,600 रुपये कर दिया. अदालत ने कहा कि मुआवजे की राशि का आकलन करते समय भविष्य की संभावना के रूप में आय का 40 प्रतिशत जोड़ना उचित होगा. भविष्य की संभावनाओं के लिए मुआवजा देने के पहलू पर निर्णयों का उल्लेख करते हुए जस्टिस सुभाष चंद ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों से पता चलता है कि मृतक 33 वर्षीय महिला थी और ट्रिब्यूनल ने माना कि वह घरेलू महिला थी, इसलिए उसकी काल्पनिक आय 3,000 रुपये प्रति माह आंकी गयी थी. उक्त निर्णय से यह स्पष्ट है कि ट्रिब्यूनल ने मृतक के भविष्य के लिए कुछ भी आदेश नहीं दिया है. इसलिए मृतक जो दुर्घटना की तिथि को 33 वर्ष की थी, एक घरेलू महिला थी. परिवार के सदस्यों को प्रदान की जानेवाली उसकी सेवाओं को ध्यान में रखते हुए, भले ही तर्क के लिए, वह कमाई नहीं कर रही थी, मुआवजे की राशि का आकलन करते समय भविष्य की संभावना के रूप में आय का 40 प्रतिशत जोड़ना उचित होगा. अदालत ने मृतक महिला के परिजनों द्वारा मोटर वाहन दुर्घटना क्लेम ट्रिब्यूनल हजारीबाग द्वारा पारित आदेश को चुनौती देनेवाली विविध अपील को आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी तपेश्वर प्रसाद एवं अन्य की अोर से याचिका दायर की गयी थी.

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