झारखंड में रिकॉर्ड रिजल्ट के बावजूद भी इंटर पास करने वाले 55000 विद्यार्थी घटे, जानें क्या है कारण
राज्य में वर्ष 2022 में इंटर का रिकॉर्ड रिजल्ट हुआ है. पिछले 22 साल में सबसे बेहतर रिजल्ट के बाद भी इंटर पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगभग 55 हजार की कमी आयी है
रांची : जैक ने 10वीं और 12वीं की परीक्षा परिणाम जारी कर दिया. झारखंड में इंटर का रिजल्ट पिछले 22 सालों में सबसे बेहतर हुआ है, इसके बावजूद भी इंटर पास करनेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगभग 55 हजार घट गयी. साल 2021 की तुलना में 12वीं पास करने वाले छात्रों की संख्या में कमी आयी है
वर्ष 2021 की इंटर की परीक्षा में 296813 परीक्षार्थी सफल हुए थे, जबकि इस वर्ष 241786 परीक्षार्थी सफल हुए है. इससे पहले वर्ष 2021 की 11वीं की परीक्षा में कोविड के कारण सभी विद्यार्थियों को अगली कक्षा में सीधे प्रमोट कर दिया गया था. पिछले वर्ष शत-प्रतिशत 11वीं के विद्यार्थी 12वीं (इंटर) की परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रमोट किये गये थे. वर्ष 2021 में 3.30 लाख विद्यार्थी 12वीं में प्रमोट किये गये थे. वहीं, इस वर्ष इंटर की परीक्षा में 2,81000 लाख इंटर की परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन जमा किया. ऐसे में 11 वीं पास 49 हजार विद्यार्थी इंटर की परीक्षा के लिए आवेदन ही जमा नहीं किया. आवेदन जमा करनेवाले 2.81 लाख में से सात हजार ने परीक्षा नहीं दी.
कक्षा परीक्षार्थी
आठवीं 503862
नौवीं 417030
10वीं 385144
11वीं 339061
12वीं 231182
साइंस में सबसे कम हुए परीक्षार्थी
राज्य में इंटर साइंस में परीक्षार्थियों की सबसे अधिक कमी आयी है. वर्ष 2021 में इंटरमीडिएट साइंस में कुल 88145 विद्यार्थियों ने परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन जमा किया था, जबकि वर्ष 2022 में 66309 परीक्षार्थियों ने आवेदन जमा किया. परीक्षार्थियों की संख्या लगभग 22 हजार की कमी आयी. कला संकाय में 18 हजार व वाणिज्य में परीक्षा में शामिल विद्यार्थियों की संख्या में आठ हजार की कमी आयी है.
क्या हो सकता है कारण
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राज्य में कोविड के कारण कई विद्यार्थियों की पढ़ाई छूट गयी. विद्यालय बंद रहने के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था तो की गयी थी, पर स्मार्ट फोन नहीं होने से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे.
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हाइस्कूल आते-आते 13.4% हो जाता है ड्राप आउट रेट
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राज्य में कक्षा बढ़ने के साथ ड्रापआउट रेट भी बढ़ता है. कक्षा नौवीं-10वीं तक आते-आते ड्राप आउट रेट 3.5%से बढ़कर 13.4% हो जाता है.
कक्षावार ड्राप आउट
कक्षा एक से पांचवीं 3.5
छठी से आठवीं 5.2
नौवीं से 10वीं 13.4
आठवीं से इंटर तक आते दो लाख कम हो जाते विद्यार्थी : राज्य में कक्षा आठवीं से इंटर तक आते-आते विद्यार्थियों की संख्या में प्रति वर्ष लगभग दो लाख की कमी आ जाती है.
सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों में उदासीनता बढ़ी है. शिक्षकों की कमी से भी पढ़ाई प्रभावित होती है. प्राथमिक स्तर पर पढ़ाई को मजबूत किये बिना सरकारी विद्यालयों में बच्चों की संख्या नहीं बढ़ पायेगी.
डॉ केके नाग, पूर्व वीसी (रांची विवि)
Posted By: Sameer Oraon