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झारखंड के स्कूल और शिक्षकों की संख्या बढ़ी, संसाधन भी हुए दोगुने, नहीं बढ़े तो मैट्रिक परीक्षा देने वाले

झारखंड अलग राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 में जैक बोर्ड से 1,99,666 विद्यार्थियों ने 10वीं की परीक्षा दी थी. वर्ष 2002 में यह आंकड़ा दो लाख के पार पहुंच गया.

By Prabhat Khabar News Desk | October 19, 2023 6:39 AM

सुनील कुमार झा, रांची :

बीते 13 वर्षों में राज्य में झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक बोर्ड) से संबद्ध सरकारी हाइस्कूलों की संख्या बढ़ी, इनमें बड़े पैमाने पर शिक्षकों की नियुक्ति भी हुई, पठन-पाठन के संसाधन भी बढ़े हैं. इसके बावजूद बीते 10 वर्षों (बीच के एक-दो वर्षों को छोड़ कर) से जैक बोर्ड से 10वीं की परीक्षा देनेवाले विद्यार्थियों की तादाद नहीं बढ़ रही है. हम 10 वर्षों के आंकड़ों पर जोर इसलिए दे रहे हैं, क्योंकि झारखंड अलग राज्य बनने के बाद वर्ष 2014 में ही सबसे ज्यादा 4,78,079 विद्यार्थी 10वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए थे. जबकि, वर्ष 2023 में 4,27,294 विद्यार्थियों ने मैट्रिक की परीक्षा दी. ये आंकड़े जैक बोर्ड की ओर से उपलब्ध कराये गये हैं. इधर, इसी अवधि में सीबीएसइ स्कूलों से 10वीं की परीक्षा देनेवाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. राज्य में 10 वर्ष पूर्व सीबीएसइ स्कूलों से मैट्रिक की परीक्षा देनेवाले विद्यार्थियों की संख्या लगभग 30 हजार थी. वहीं, वर्ष 2023 में यह संख्या 71,219 हो गयी.


पांच साल से 4.50 लाख के नीचे ही है मैट्रिक के विद्यार्थियों की संख्या :

झारखंड अलग राज्य गठन के बाद वर्ष 2001 में जैक बोर्ड से 1,99,666 विद्यार्थियों ने 10वीं की परीक्षा दी थी. वर्ष 2002 में यह आंकड़ा दो लाख के पार पहुंच गया. वहीं, राज्य में पहली बार वर्ष 2010 में चार लाख से अधिक विद्यार्थियों ने 10वीं की परीक्षा दी. इसके बाद वर्ष 2014 में रिकाॅर्ड 4.78 लाख परीक्षार्थी मैट्रिक की परीक्षा में शामिल हुए. इधर, पिछले पांच वर्ष से मैट्रिक में परीक्षार्थियों की संख्या कभी भी 4.50 लाख के पार नहीं पहुंची. इस दौरान विद्यार्थियों की संख्या कभी 20 से 25 हजार तक बढ़ गयी, तो कभी कम हो गयी.

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1249 मध्य विद्यालय हो गये हाइस्कूल, 17 हजार शिक्षक भी नियुक्त हुए :

वर्ष 2010 से वर्ष 2016-17 तक राज्य में 1249 मध्य विद्यालयों को हाइस्कूल में अपग्रेड किया गया. वहीं, 203 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय, 57 झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय और 89 मॉडल विद्यालय भी खोले गये हैं. जिन मध्य विद्यालयों को हाइस्कूल में अपग्रेड किया गया, उनमें 13739 शिक्षकों के पद सृजित किये गये. वर्ष 2010 से लेकर अब तक इन स्कूलों में लगभग 17 हजार शिक्षक भी नियुक्ति हुए हैं. इधर, और 294 मध्य विद्यालय को हाइस्कूल में अपग्रेड करने को लेकर विभागीय स्तर पर स्वीकृति दी जा चुकी है.

राज्य में 14 से 15 वर्ष के बच्चों की अनुमानित संख्या 15 लाख :

भारत सरकार द्वारा वर्ष 2021-22 की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में 14 से 15 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की संख्या लगभग 15 लाख है. उल्लेखनीय है कि 10वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने की न्यूनतम उम्र सीमा 14 वर्ष निर्धारित है.

इन आंकड़ों पर गौर करें

1249 नये हाइस्कूल खुले राज्य में वर्ष 2010 के बाद से अब तक

203 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खुले वर्ष 2006-07 के बाद

57 झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय खुले वर्ष 2015-16 में

89 मॉडल विद्यालय की स्थापना की गयी वर्ष 2010 से 2014 तक

294 मध्य विद्यालयों को हाइस्कूल में अपग्रेड करने की प्रक्रिया जारी

13000 से अधिक शिक्षकों के पद सृजित हुए अपग्रेडेड स्कूलों में

17000 से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति हुई वर्ष 2010 से अब तक

जैक बोर्ड से 10वीं की परीक्षा देनेवाले विद्यार्थियों की संख्या

वर्ष 2014 – 4,78,079

वर्ष 2023 – 4,33,643

स्कूलों में बच्चों की हाजिरी बढ़ाने के लिए टोलों का भ्रमण करेंगे गुरुजी

राज्य के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए ‘प्रयास’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है. झारखंड शिक्षा परियोजना की निदेशक किरण कुमारी पासी ने इस संबंध में सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला शिक्षा अधीक्षक को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं. शिक्षा परियोजना द्वारा जिलों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि विद्यालयों में प्रत्येक कक्षा के शिक्षक द्वारा कक्षावार अनियमित उपस्थितिवाले बच्चों को चिह्नित किया जाये. शिक्षकों को इससे संबंधित रिपोर्ट प्रधानाध्यापक को देने को कहा गया है. प्रधानाध्यापक बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षकों के साथ बैठक करेंगे. अनियमित उपस्थितिवाले बच्चों को विद्यालय लाने के लिए संबंधित हाउस के बच्चे एवं हाउस समन्वयक शिक्षक टोला भ्रमण करेंगे.

सरकारी स्कूलों की पढ़ाई को और अधिक करियर से जोड़ने की जरूरत है. विद्यार्थियों को इस अनुरूप तैयार किया जाये कि वे खुद को समय की जरूरत के अनुरूप तैयार कर सकें. स्कूलों को चाहिए कि वे समय-समय पर बच्चों की पढ़ाई की जानकारी उनके अभिभावक को दें. बेहतर करनेवाले बच्चों को प्रोत्साहित करें. पढ़ाई के साथ अन्य क्षेत्रों में भी बच्चों को आगे बढ़़ाये.

– डॉ राम सिंह, प्राचार्य, डीपीएस

ऐसा माहौल बन गया है कि निजी स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चे बेहतर कर रहे हैं, पर ऐसा नहीं है. निजी स्कूलों की संचालन व्यवस्था बेहतर हो सकती है. लेकिन, सरकारी स्कूलों के शिक्षक निजी स्कूलों के मुकाबले अधिक योग्य हैं. सरकारी स्कूलों की पढ़ाई, रिजल्ट का प्रचार नहीं होता है. सरकारी स्कूलों को भी सीबीएसइ से मान्यता दिलायी जा रही है. इन्हीं कारणों से अभिभावक निजी स्कूलों की ओर जा रहे हैं.

– अवनींद्र सिंह, पूर्व प्राचार्य, एसएस उिव

जैक बोर्ड से मैट्रिक की परीक्षा देनेवाले विद्यार्थियों की संख्या

वर्ष परीक्षार्थी

2001 1,99,666

2002 2,14,456

2003 1,61,481

2004 1,72,961

2005 2,23,857

2006 2,61,666

2007 2,81,684

2008 3,39,027

2009 3,55393

2010 4,02,019

2011 3,54,626

2012 4,31,623

2013 4,69,667

2014 4,78,079

2015 4,55,829

2016 4,70,280

2017 4,63,311

2018 4,28,389

2019 4,38,259

2020 3,85149

2021 4,33571

2022 3,91,100

2023 4,27,294

स्कूलों में बच्चों की हाजिरी बढ़ाने के लिए टोलों का भ्रमण करेंगे गुरुजी

राज्य के सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए ‘प्रयास’ कार्यक्रम चलाया जा रहा है. झारखंड शिक्षा परियोजना की निदेशक किरण कुमारी पासी ने इस संबंध में सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला शिक्षा अधीक्षक को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं. शिक्षा परियोजना द्वारा जिलों को भेजे गये पत्र में कहा गया है कि विद्यालयों में प्रत्येक कक्षा के शिक्षक द्वारा कक्षावार अनियमित उपस्थितिवाले बच्चों को चिह्नित किया जाये. शिक्षकों को इससे संबंधित रिपोर्ट प्रधानाध्यापक को देने को कहा गया है. प्रधानाध्यापक बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के लिए शिक्षकों के साथ बैठक करेंगे. अनियमित उपस्थितिवाले बच्चों को विद्यालय लाने के लिए संबंधित हाउस के बच्चे एवं हाउस समन्वयक शिक्षक टोला भ्रमण करेंगे.

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