जैक ने पहले मैट्रिक में फेल बताया, लेकिन स्क्रूटनी में मिले 95 फीसदी अंक

Jac the first matriculation, but scores 95 percent in Scrutiny srn

By Prabhat Khabar News Desk | November 5, 2020 2:58 AM

रांची : झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) के विद्यार्थियों को हर साल परीक्षकों की गलती का खामियाजा भुगतना पड़ता है. भास्कर भी उन्हीं विद्यार्थियों में शामिल है. बरवाडीह के राजकीयकृत प्लस टू उच्च विद्यालय का छात्र भास्कर मैट्रिक की परीक्षा में कुल 81.60 प्रतिशत अंक लाने के बावजूद फेल हो गया था. सामाजिक विज्ञान में उसे बेहद कम नंबर मिले थे.

स्क्रूटनी में पता चला कि उसे गलती से ‘साठ’ की जगह ‘सात’ नंबर दिये गये, जिससे वह फेल हो गया था. जबकि, इसी विषय की प्रायोगिक परीक्षा में उसे 20 में 20 नंबर मिले थे. स्क्रूटनी के बाद वह पास हो गया. 95 प्रतिशत अंकों के साथ वह प्रखंड का टॉपर भी बन गया है. इसके बावजूद वह 12वीं में दाखिले के भटक रहा है, क्योंकि राज्य के अधिकतर स्कूल कॉलेजों में इंटर में नामांकन की प्रक्रिया बंद हो चुकी है.

यानी इस होनहार छात्र का एक साल बर्बाद होने के कगार पर है. बरवाडीह शहर की पुरानी बस्ती निवासी उदित प्रसाद के पुत्र भास्कर राजकीयकृत प्लस टू उच्च विद्यालय बरवाडीह का छात्र है.

उसने वर्ष 2020 में जैक बोर्ड से दसवीं की परीक्षा दी थी. रिजल्ट आया, तो वह चौंक गया. उसे कुल 81.6 फीसदी अंक मिले थे. गणित में उसे शत प्रतिशत (100) अंक प्राप्त हुए थे. लेकिन सामाजिक विज्ञान में वह फेल हो गया था. रिजल्ट से हतोत्साहित और मानसिक तनाव में चल रहे भास्कर को परिजन और विद्यालय के शिक्षकों ने स्क्रूटनी कराने की सलाह दी.

स्क्रूटनी के बाद भास्कर को सामाजिक विज्ञान की सैद्धांतिक परीक्षा में 60 अंक प्राप्त हुए. अब मैट्रिक में 95 प्रतिशत अंक लाने के बावजूद नामांकन के लिए भटक रहे भास्कर ने लातेहार के उपायुक्त से मदद की गुहार लगायी है.

तत्कालीन जैक अध्यक्ष ने कराया था का दाखिला :

तत्कालीन जैक अध्यक्ष डाॅ आनंदभूषण के कार्यकाल में वर्ष 2013-14 दौरान कांके की एक छात्रा के साथ भी ऐसा ही मामला हुआ था. स्क्रूटनी में उसके अंक बढ़े, लेकिन तब तक कॉलेजों में नामांकन बंद हो गये थे. छात्रा ने वीमेंस कॉलेज में इंटरमीडिएट में नामांकन की इच्छा जतायी थी. डॉ भूषण ने यह कहते हुए वीमेंस कॉलेज में छात्रा का दाखिला सुनिश्चित कराया कि अगर कॉलेज की सभी सीटें भर गयी हैं और छात्रा के लिए एक सीट बढ़ानी भी पड़ी, तो वे इसकी अनुमति कॉलेज को देंगे.

उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन के दौरान परीक्षकों को पूरी सावधानी बरतने का निर्देश दिया जाता है. प्रतिवर्ष परीक्षकों को ट्रेनिंग भी दी जाती है. इसके बाद भी कुछ परीक्षक अंकों की योग में गड़बड़ी करते हैं. जैक द्वारा ऐसे परीक्षकों पर प्रतिवर्ष कार्रवाई भी की जाती है. जिस परीक्षक ने परीक्षार्थी को 60 के बदले सात अंक दिया उन्हें ब्लैक लिस्टेड किया जायेगा.

– डॉ अरविंद प्रसाद सिंह, अध्यक्ष, झारखंड एकेडमिक काउंसिल

posted by : sameer oraon

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