रांची. केंद्रीय सरना संघर्ष समिति और हेसल सरना समिति के संयुक्त तत्वावधान में बुधवार को हेसल में जदुरा जतरा का आयोजन हुआ. जतरा की शुरूआत पारंपरिक विधि से पूजा से हुई. भुनू पाहन और पईनभोरा सोहराई मुंडा ने ईष्ट देव को रंगुवा मुर्गा, माला मुर्गा और सफेद मुर्गा की बलि देकर गांव की खुशहाली की कामना की. मुख्य अतिथि मंत्री चमरा लिंडा और विशिष्ट अतिथि कांग्रेस नेता बंधु तिर्की उपस्थित थे. चमरा लिंडा ने कहा कि झारखंड को बचाना है, तो हमें अपनी सभ्यता, संस्कृति, परंपरा बचानी हाेगी. संस्कृति परंपरा का संरक्षण होगा, तभी हमारा भी अस्तित्व सुरक्षित रहेगा. बंधु तिर्की ने कहा कि जतरा भाईचारा बढ़ाने, खुशियां बांटने और एकजुटता का पर्व है. अलग-अलग रहकर हमारी परंपरा और संस्कृति नहीं बचेगी. अपनी संस्कृति बचाने के लिए हमें सामूहिकता को जिंदा रखना होगा. आदिवासी समाज शिक्षा में काफी पिछड़ा है, अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दें और अधिकारों के प्रति सजग बनें. भावी पीढ़ी को संस्कृति के प्रति जागरूक करना होगा केंद्रीय सरना संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि जतरा और धार्मिक आयोजनों को बचाये रखने की आवश्यकता है, ताकि आनेवाली पीढ़ी अपनी संस्कृति के प्रति जागरूक हो सके. जतरा को अल्वीन लकड़ा, पूर्व मुखिया सुनील तिर्की, चारे भगत, शशि उरांव, सती तिर्की, अनिता उरांव और अनूप किंडो ने भी संबोधित किया. इस अवसर पर जीतू तिर्की, विक्की तिर्की, बाबू टोप्पो, गौतम कुजूर, अंजीत लकड़ा, राजू लकड़ा, बिष्णु तिर्की, अजय मुंडा, सती तिर्की, अनिता उरांव आदि उपस्थित थे.
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