झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का पार्थिव शरीर आज सुबह रांची लाया गया. सीएम हेमंत सोरेन ने खुद उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया. इसके बाद तिरंगे से लपेट कर उनके शरीर को विधानसभा लाया गया. जहां झारखंड के तमाम नेताओं ने उन्हें नम आंखों से विदाई दी. इस दौरान केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी भी उनके अंतिम दर्शन के लिए शामिल थी.
झारखंड विधानसभा से निकलने के बाद वो उन्हें याद करती हुई भावुक हो गयी. मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बहुत लंबे समय तक उनके साथ काम करने का अवसर मिला. और वो हर छोटी छोटी से चर्चाएं जो झारखंड के हित में हो वो बेबाकी से रखते थे. विधानसभा के शून्यकाल के दौरान वो सबसे पहले सदन में पहुंचते थे. विधानसभा सत्र के बाहर भी वो अपनी बातों को बेहद बेबाकी से रखते थे, चाहे वो सरकार की बात हो या विपक्ष की.
केंद्रीय मंत्री ने इस दौरान गिरिडीह में उनके साथ शामिल एक बैठक का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जगरनाथ महतो के साथ एक बार मैं गिरिडीह में किसी बैठक में शामिल होने आयी थी. बैठक दौरान ही जगरनाथ महतो जी को जब लगा कि अधिकारी ठीक ढंग से तैयारी करके नहीं आयें हैं तो उन्होंने साफ लहजों में मुझसे कहा कि इस तरह की बैठक करने का कोई मतलब नहीं है, इसलिए इस बैठक को कैंसल किया जाये. वो सरकार में है या विपक्ष में इससे उनको फर्क नहीं पड़ता था. जो सही चीज रहती थी वो उन्हें बोलते थे.
विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका राज्य के लिए बहुत बड़ी क्षति है. उनका कार्य करने का तरीका था वो सबके लिए मिसाल है. साथ ही मंत्री आलमगीर आलम ने भी कहा कि वो उसी काम को लेकर आश्वस्त करते थे जो उन्हें लगता था कि वो उन्हें कर लेंगे.