झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का निधन हो गया है. चेन्नई स्थित अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली. बता दें कि वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. तबीयत बिगड़ने के बाद सबसे पहले उन्हें रांची के पारस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनसे मुलाकात की और चेन्नई में इलाज कराने की सलाह दी.
इसके बाद एयरलिफ्ट कर उन्हें चेन्नई ले जाया गया. जहां आज सुबह में उनका निधन हो गया. इसके बाद पूरे प्रदेश शोक में लहर दौड़ गयी. पक्ष-विपक्ष के तमाम राजनेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. निधन से पहले भी वो कई वजहों से चर्चा में रहे. जिसमें प्रभात खबर संवाद में 1932 को लेकर बेबाकी से बात रखना प्रमुख रहा. इसके अलावा कुड़मी आंदोलन, शिक्षक नियुक्ति को लेकर दिया गया बयान भी सुर्खियों में रहा.
प्रभात खबर से विशेष बातचीत में जगरनाथ महतो ने कहा था कि बिहार में भी 1932 के आधार प्रभावी है, तो झारखंड में क्यों नहीं हो सकता. स्थानीय नीति कैबिनेट से स्वीकृति मिल गयी है. इसे अब सदन में रखा जायेगा. कैबिनेट से पास होने के बाद अब सदन में भी जितेंगे किसी की हिम्मत नहीं कि इसे पास होने से रोक दे.
झारखंड शिक्षक नियुक्ति पर जगरन्नाथ महतो ने कहा था कि सरकार 50 हजार शिक्षक बहाल करने वाली है. उन्होंने इसमें टेट पास लोगों को प्राथमिकता देने की बात कही थी.
जगरनाथ महतो ने पारा शिक्षकों के स्थायीकरण पर भी बड़ा बयान दिया था. प्रभात खबर से बातचीत में उन्होंने कहा था कि सरकार परीक्षा पास नहीं करने वालों को भी नहीं हटा रही है. इनकी सेवा की अवधि भी बढ़ा कर 60 वर्ष कर दी गयी है. इससे पहले उन्हें कोई हटा नहीं सकता है. सरकार ने टेट पास को 50 प्रतिशत बढ़ा दिया है. जो टेट पास नहीं 40 प्रतिशत बढ़ा दिया. इनके कहने पर डेट बढ़ा दी गयी है. सरकारी कर्मियों को तीन प्रतिशत इंक्रीमेंट होता है, जबकि इनका चार प्रतिशत किया गया है. एक जनवरी से इसका लाभ इन्हें मिलेगा. प्रेशर पॉलिटिक्स से कुछ होता नहीं है. नियम से बात होती है.