विशेष संवाददाता (रांची). जहांगीर के घर से बरामद 32.20 करोड़ रुपये न तो मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल के हैं और न ही जहांगीर के. यह रुपये तो किसी अनजान मास्कवाले का है, जिसने जहांगीर के घर में रखा था. पूछताछ के दौरान दोनों कुछ इस तरह की कहानियां गढ़ रहे हैं, ताकि उनकी जान बच सके. इडी के अफसर दस्तावेजी सबूत को झुठलानेवाली इन कहानियों को सुन रहे हैं. इडी ने छह मई को छापामारी कर जहांगीर के घर से 32.20 करोड़ रुपये और मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल के घर से 10.50 लाख रुपये जब्त किये और दोनों को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में दोनों अभियुक्त अलग अलग कहानियां गढ़ रहे हैं. मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल ने पूछताछ में बताया कि जहांगीर के घर से बरामद रुपये उसके नहीं हैं. उसने कहा कि समझ ही नहीं पा रहा हूं कि जहांगीर के पास इतना पैसा कहां से आया. जहांगीर के साथ उसकी जान पहचान के अलावा कोई दूसरा रिश्ता नहीं है. जहांगीर भी अपने घर से मिले रुपयों को अपना नहीं मान रहा है. वह इसे किसी अनजान मास्कवाले का पैसा बता रहा है. जहांगीर अपने घर मिले रुपयों के बारे में अजीबोगरीब कहानी सुना रहा है. वह यह मान रहा है कि पैसा उसके घर से मिले, लेकिन वह पैसा किस आदमी का है उसे पता नहीं. उसने कहा कि कोई मास्कवाला आदमी कभी फोन कर उसे घर से बाहर बुलाता था और रुपयों से भरा झोला देकर चला जाता था. जहांगीर ने कहा कि वह मास्कवाले से सवाल किये बगैर रुपयों से भरा झोला ले कर अपने घर में रख लेता था. मास्कवाला आदमी कभी कभी दरवाजा खटखटा कर भी रुपयों से भरा झोला उसे दे जाता था. उसने कभी मास्कवाले से उसका नाम पता भी नहीं पूछा. सिर्फ उसका झोला रखता रहा. धीरे-धीरे ढेर सारा झोला जमा हो गया. जहांगीर संजीव लाल के साथ 25-30 साल पुरानी दोस्ती होने की बात मानता है.
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