Overcrowded Jails|Prabhat Khabar Special Story|झारखंड के जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं. जिला जेलों में सबसे अधिक भीड़ है. राज्य के जेलों में 17,501 कैदियों को रखने की क्षमता है, लेकिन जेलों में 21,257 लोग बंद हैं. यह क्षमता का 121.5 फीसदी है. हालांकि, महिला कैदियों के मामले में ऐसा नहीं है. क्षमता से कम महिला कैदी जेलों में बंद हैं. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की हालिया रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक, 31 दिसंबर 2021 तक के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में 16,575 पुरुष और 925 महिला कैदियों को रखने की क्षमता जेल में हैं. लेकिन, जेलों में बंद पुरुष कैदियों की संख्या 20,389 तक पहुंच चुकी है. यह कुल क्षमता का 123 फीसदी है. हालांकि, महिला कैदियों की संख्या की बात करें, तो 868 कैदी ही हैं. यानी कुल क्षमता के मुकाबले जेलों में 93.8 फीसदी महिला कैदी हैं.
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झारखंड के जेलों में भले क्षमता से अधिक कैदी हों, लेकिन राष्ट्रीय औसत से अभी भी कम कैदी हैं. राष्ट्रीय स्तर पर जेलों में 129.1 फीसदी कैदी बंद हैं. एनसीआरबी के रिकॉर्ड बताते हैं कि देश के 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के सभी जेलों में 3,96,140 पुरुष और 29,426 महिला कैदियों को रखने की क्षमता है. लेकिन, जेलों में 5,31,025 पुरुष और 22,918 महिला कैदी बंद हैं. भारत के जेलों में 91 थर्ड जेंडर के भी कैदी हैं.
जेलों में सबसे ज्यादा भीड़ जिला जेलों में है. झारखंड में सेंट्रल जेल में 10,137 कैदियों को रखने की क्षमता है, जबकि इन जेलों में 11,710 कैदी बंद हैं. यह क्षमता का 115.5 फीसदी है. जिला जेलों में 4,806 कैदियों की क्षमता है, जबकि इनमें 7,285 कैदियों को रखा गया है. यह क्षमता का 151.6 फीसदी है. जिला जेलों में 223 महिला कैदियों की क्षमता है, जबकि इनमें 301 कैदियों को रखा गया है. यह महिला कैदियों की क्षमता का 135 फीसदी है.
एनसीआरबी के हालिया आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में जो उप-कारा हैं, उनकी स्थिति थोड़ी अच्छी है. झारखंड के सब-जेलों में 2,358 कैदियों की क्षमता है. इनमें 2,208 कैदी बंद हैं. यह कुल क्षमता का 93.6 फीसदी है. झारखंड के उप-काराओं की बात करें, तो उनमें 2,148 पुरुष और 210 महिला समेत 2,358 कैदियों को रखने की क्षमता है. इनमें 2,136 पुरुष और 72 महिला समेत कुल 2,208 कैदी बंद हैं. यह क्षमता का क्रमश: 99.4 फीसदी और 34.3 फीसदी है. उप-काराओं में 93.6 फीसदी कैदी हैं.
झारखंड में कोई महिला जेल नहीं है. इसलिए उनमें कोई कैदी भी नहीं है. लेकिन, बोरल स्कूल में 100 सीटें हैं, जिनमें 25 लोग हैं. वहीं, ओपेन जेल में 100 कैदियों को रखने की क्षमता है, जिसमें सिर्फ 29 कैदी हैं. इनमें 25 पुरुष और 4 महिला कैदी हैं. यानी ओपेन जेल में बिल्कुल भी भीड़ नहीं है. झारखंड में न तो स्पेशल जेल है न अन्य जेल.
सेंट्रल जेल में 9,645 पुरुष और 492 महिला समेत कुल 10,137 कैदियों को रखने की क्षमता है. इनमें 11,219 पुरुष (116.3 फीसदी) और 491 महिला (99.8 फीसदी) समेत कुल 11,710 (115.5 फीसदी) कैदी बंद हैं.
बता दें कि देश में 148 सेंट्रल जेल हैं. 424 जिला जेल, 564 उप-कारा, 41 स्पेशल जेल, 88 ओपेन जेल, 32 महिला जेल, 19 बोरसल स्कूल और 3 अन्य जेल हैं. सेंट्रल जेलों की कुल क्षमता 1,93,536 कैदियों की है, जिसमें 2,39,311 कैदियों को रखा गया है. जिला जेलों की क्षमता 1,63,606 कैदियों की है, जिसमें 2,54,214 (123.7) लोगों को रखा गया है.
इसी तरह, देश के कुल 564 उप-काराओं में 45,436 कैदियों की क्षमता है, लेकिन इनमें 46,736 (102.9 फीसदी) लोग बंद हैं. 41 स्पेशल जेल में 7,473 कैदियों को रखने की व्यवस्था है. इनमें 6,582 (88.1 फीसदी) कैदी ही हैं. देश के कुल 88 ओपेन जेल की बात करें, तो इनमें 5,953 कैदियों को रखा जा सकता है, लेकिन इनमें फिलहाल क्षमता से आधे से भी कम 2,178 (36.6 फीसदी) लोग बंद हैं.
देश के 32 महिला जेलों में 6,767 कैदियों को रखने की क्षमता है. इनमें 50 फीसदी से कुछ अधिक 3,808 (56.3 फीसदी) कैदियों को रखा गया है.
देश में कुल 19 बोरसल स्कूल हैं. इनकी क्षमता 1,775 है. इनमें 745 (42 फीसदी) लोग हैं. इसी तरह देश में 3 अन्य जेल हैं, जिनकी क्षमता 1,063 है, लेकिन इनमें सिर्फ 460 (43.3 फीसदी) लोग हैं. देश के कुल 1,319 जेलों में 4,25,609 कैदियों की क्षमता है, जबकि इनमें 5,54,034 लोग बंद हैं. यानी देश के जेलों में कुल क्षमता के मुकाबले 130.2 फीसदी कैदी बंद हैं.