रांची: दूसरा ‘जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य सम्मान’ समारोह 26 नवंबर को आयोजित होगा. सुबह 10.30 बजे रांची के प्रेस क्लब में समारोह का उद्घाटन नागालैंड की प्रख्यात आदिवासी लेखिका डॉ लानुसांगला त्जुदिर और आदिवासी कवि व केरल साहित्य अकादमी के सदस्य सुकुमारन करेंगे. इस अवसर पर बहुभाषाई आदिवासी-देशज दुरङ परफॉरमेंस भी होगा, जिसमें झारखंडी भाषाओं के 20 से ज्यादा कवि-गीतकार भाग लेंगे. झारखंडी भाषा साहित्य संस्कृति अखड़ा और टाटा स्टील फाउंडेशन के सहयोग से समारोह का आयोजन प्यारा केरकेट्ट फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है. 2023 का अवार्ड अरुणाचल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के तीन युवा लेखकों को दिया जाएगा.
इन्हें मिलेगा सम्मान
वंदना टेटे ने जानकारी दी कि 2023 का अवार्ड अरुणाचल की डॉ ताबिङ तुनुङ के कविता संग्रह ‘गोम्पी गोमुक’, महाराष्ट्र के संतोष पावरा के काव्य संकलन ‘हेम्टू’ और पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार की डॉ पूजा प्रभा एक्का को अनुवादित हिंदी कथा संग्रह ‘सोमरा का दिसुम’ के लिए दिया जाएगा.
अपनी मातृभाषाओं में देंगे गीतों की प्रस्तुति
समारोह के अगले सत्र में बहुभाषाई आदिवासी-देशज दुरङ परफॉरमेंस होगा. इसमें स्वर्णलता आइंद, सनगी समद, अगुस्तुस मुण्डू (मुण्डा), तारकेलेंग कुल्लू, जुएल लकड़ा (खड़िया), सीता उरांव, सुखदेव उरांव (कुड़ुख), डुमनी माई मुर्मू, गणेश मुर्मू, शिवनारायण हेम्बरोम, लखिया टुडू (संताली), हलधर अहीर, अपराजिता मेहता (पंचपरगनिया), सादरी (कार्मेला एक्का), डॉ वृंदावन महतो (कुड़मालि), जेठा असुर, रेशमी असुर (असुर), अणिमा तेलरा, सुरेन्द्र बिरजिया (बिरजिया), दीपक कुमार दीपक (खोरठा), साधना समद चाकी और जगन्नाथ हांसदा (हो) अपनी मातृभाषाओं में गीतों की प्रस्तुति देंगे.
तीन युवा लेखकों को मिलेगा सम्मान
आदिवासी भाषा, लेखन और साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए इस अवार्ड की स्थापना पिछले साल की गई है. इसके तहत हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं सहित देश की किसी भी आदिवासी भाषा और लिपि में लिखे गए मौलिक साहित्य को सम्मान दिया जाता है. 2023 का अवार्ड अरुणाचल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के तीन युवा लेखकों को दिया जाएगा.