झारखंड : सात साल में 9402 करोड़ रुपये खर्च हुए फिर भी राज्य में 24 घंटे बिजली नहीं

राज्य में बिजली की आधारभूत संरचना पर हर साल 1500 से 2000 करोड़ रुपये तक खर्च किये जाते हैं. अंडरग्राउंड केबलिंग, लाइन बिछाने और सब स्टेशन बनाने के काम भी लगातार हो रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | July 16, 2023 7:49 AM

रांची, सुनील चौधरी : झारखंड में मांग के अनुरूप पर्याप्त बिजली उपलब्ध है. निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए झारखंड बिजली वितरण निगम (जेबीवीएनएल) बाहर से ऊंची दरों पर अतिरिक्त बिजली भी खरीदता है. इसके बावजूद अब तक ऐसा नेटवर्क खड़ा नहीं किया जा सका है, जिससे राज्य के हर कोने में 24 घंटे निर्बाध बिजली पहुंचायी जा सके. राज्य में बिजली का नेटवर्क ऐसा है कि जरा सी बारिश में भी कहीं 33 केवी लाइन ब्रेकडाउन हो जाती है, कहीं 11 केवी लाइन टूट जाती है, तो कहीं ट्रांसफॉर्मर भी खराब हो जाते हैं. हवा का एक झोंका पूरी बिजली व्यवस्था को ध्वस्त कर देता है. गर्मी में लोड बढ़ने से ट्रांसफॉर्मर उड़ने लगते हैं. बरसात में ग्रिडों से सब स्टेशन के बीच बिजली की लाइन ब्रेकडाउन होने लगती है. ग्रामीण इलाकों में तो कई बार पांच से 15 दिनों तक के लिए बिजली गुल हो जाती है.

यह हाल तब है, जब राज्य में बिजली की आधारभूत संरचना पर हर साल 1500 से 2000 करोड़ रुपये तक खर्च किये जाते हैं. अंडरग्राउंड केबलिंग, लाइन बिछाने और सब स्टेशन बनाने के काम भी लगातार हो रहे हैं. पिछले सात साल में ही शहरी और ग्रामीण इलाकों में 9402 करोड़ रुपये आधारभूत संरचना पर खर्च किये जा चुके हैं. इसमें झारखंड संपूर्ण बिजली आच्छादन योजना (जसबे) के तहत 3430 करोड़ रुपये, वर्ष 2017 से 2021 तक सौभाग्य योजना के तहत 472 करोड़ रुपये और दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाइ) के तहत 5500 करोड़ रुपये खर्च किये जा चुके हैं.

झारखंड अलग होते ही जीरो पावर कट की बात होने लगी थी : 15 नवंबर 2000 को झारखंड अलग राज्य का गठन हुआ, तब लोगों को जीरो कट पावर देने की बात कही गयी थी. तब से हर वर्ष यही बात दोहरायी जाती है. वर्ष 2001 से लेकर 2023 तक बिजली नेटवर्क के विस्तार पर 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये गये हैं, लेकिन जीरो पावर कट की स्थिति अब तक नहीं आ सकी है. हालांकि, झारखंड अलग राज्य होने के बाद से पूर्व की संरचना में 60 से 80 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. ग्रिडों की संख्या तीन गुना बढ़ गयी है. सब स्टेशन बढ़े और गांव-गांव तक बिजली पहुंची है.

ग्रामीण क्षेत्र में जो काम किये गये

  • सौभाग्य योजना (2017-21) से 11 लाख 41 हजार उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली कनेक्शन दिया गया. लागत 472 करोड़

  • दीनदयाल ग्राम ज्योति योजना से 25000 गांवों में बिजली की आधारभूत संरचना का विकास. 25 केवीए के 55000 ट्रांसफॉर्मर भी लगाये गये. लागत 5500 करोड़.

  • सात वर्षों में 14 नये ग्रिड बनाये गये.

झारखंड संपूर्ण बिजली आच्छादन योजना के तहत जो काम हुए

  • 33/11 केवीए के 117 सब स्टेशन में 112 पूरे हो चुके हैं

  • 196 पुराने सब स्टेशन का जीर्णोद्धार किया गया

  • 2192.43 सर्किट किमी में से 2169.59 किमी 33 केवी नयी लाइन का निर्माण

  • 33 केवी की कुल 1602.80 सर्किट किमी लाइन बदली गयी

  • 6447 नये वितरण ट्रांसफॉर्मर लगाये गये

  • 1207 खराब वितरण ट्रांसफॉर्मर बदले गये

  • 8316.65 सर्किट किमी नयी एलटी लाइन और एबी केबल बिछाये गये

  • 63.74 किमी एलटी लाइन अंडरग्राउंड केबलिंग का काम पूरा

झारखंड में बिजली वितरण नेटवर्क

  • एरिया बोर्ड 07 सर्किल 15 डिविजन 44

  • 33/11 केवी पावर सब स्टेशन : 552

  • पावर ट्रांसफॉर्मर : 74,186

  • 33 केवी फीडर : 738

  • 33 केवी लाइन की लंबाई : 12,000 किमी

  • 11 केवी फीडर : 1,821

  • 11 केवी लाइन की लंबाई : 75,146.8 सर्किट किमी

  • 73 केवीए के ट्रांसफॉर्मर : 55,689

  • 25 केवीए के ट्रांसफॉर्मर : 78,662

  • 100 से 500 केवीए ट्रांसफॉर्मर : 1,34,349

  • एलटी लाइन : 1,57,129.4 किमी

  • एबी केबल एलटी लाइन : 71,000

  • ग्रिड सब स्टेशन : 57

3132 करोड़ से होगा बिजली नेटवर्क का विस्तार

जेबीवीएनएल आधारभूत संरचना पर तेजी से काम कर रहा है. इस बार 3132 करोड़ की लागत से रिवैंप डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत नेटवर्क विस्तार का काम शुरू होने जा रहा है. इसके तहत सभी 24 जिलों में बिजली का बेहतर नेटवर्क स्थापित किया जायेगा. इस दौरान 13 लाख 41 हजार 306 स्मार्ट प्रीपेड मीटर भी लगाये जायेंगे. ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को बेहतर बिजली देने के लिए 72 नये कृषि फीडर बनाये जायेंगे. शहरी क्षेत्र की 11 केवी लाइन को बदल कर कवर्ड किया जाना है. 25516 सर्किट किमी कवर्ड वायर लगाये जायेंगे. आरडीएसएस स्कीम के लंबे फीडरों को छोटा किया जायेगा. इससे लो वोल्टेज और लाइन लॉस की समस्या कम होगी. 5395 नये ट्रांसफॉर्मर लगाये जायेंगे. हाई वोल्टेज डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत तार बदल कर वोल्टेज सही किये जायेंगे. कैपिसीटर, वीसीबी, एबी स्विच जैसे उपकरणों की कमी दूर की जायेगी.

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