JEE Mains 2024: जनवरी सत्र में कम परसेंटाइल वाले अप्रैल सत्र पर करें फोकस, पढ़ें ये टॉपिक्स
JEE Mains 2024: जेइइ मेंस जनवरी सत्र में मिले परसेंटाइल से ज्यादातर विद्यार्थी खुश नहीं हैं. एक्सपर्ट्स की मानें, तो मार्क्स और परसेंटाइल पर नहीं, अब रिवीजन पर फोकस करें. जेइइ मेंस अप्रैल सत्र में परसेंटाइल सुधारने की कोशिश होगी. अधिकतर विद्यार्थी 12वीं के सिलेबस पर ज्यादा फोकस करते हैं, जो सही नहीं है. आइए जानते हैं विद्यार्थियों को अब कैसे तैयारी करनी चाहिए-
JEE Mains 2024: जेइइ मेंस-2024 के जनवरी सत्र का रिजल्ट जारी हो चुका है. इस वर्ष मार्क्स और परसेंटाइल को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं. हालांकि, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने किसी तरह की विसंगति से इनकार कर दिया है. इस स्थिति एक्सपर्ट का कहना है कि जिन विद्यार्थियों को जनवरी सत्र में अपेक्षा अनुरूप मार्क्स नहीं मिले हैं, उन्हें पूरी तरह से अप्रैल सत्र पर फोकस करना चाहिए. कई ऐसे उदाहरण हैं, जिसमें यह देखा गया है कि जिन अभ्यर्थियों को पहले सत्र में कम परसेंटाइल मिले, उन्होंने दूसरे सत्र में बेहतर परसेंटाइल हासिल किया है. ऐसे में प्रभात खबर ने इस मुद्दे पर जेइइ मेस की तैयारी करानेवाले अलग-अलग संस्थानों के एक्सपर्ट से बात की. उनका कहना है कि विद्यार्थी अब जनवरी सेशन के रिजल्ट को भूलकर आगे के सेशन की तैयारी करें.
फिजिक्स : कंसेप्ट समझकर प्रश्नों का जवाब दें
फिजिक्स के एक्सपर्ट रणधीर कुमार ने कहा कि जेइइ मेंस अप्रैल की तैयारी में जुटे विद्यार्थी प्रत्येक टॉपिक के कंसेप्ट को समझने के लिए नोट्स से तैयारी करें. कंसेप्ट को समझने पर विद्यार्थी प्रश्नों का उत्तर दे सकेंगे. जेइइ मेंस में रटा हुआ जवाब काम नहीं आयेगा. प्रश्नों को पढ़कर उसके टॉपिक को चिह्नित करें. इससे निष्कर्ष तक पहुंचना आसान होगा. मल्टीपल च्वाइस बेस्ड क्वेश्चन होने से आंसर के चार विकल्प मिलेंगे. उन्हें आधार न बनाकर प्रश्नों को खुद से हल करें. एग्जाम के दौरान स्क्रिप्लिंग पैड दिया जाता है, उसमें प्रश्न को हल करने के बाद ही विकल्प का चयन करें.
फिजिक्स के टॉपिक्स
इलेक्ट्रोस्टैटिक्स, करंट इलेक्ट्रिसिटी, एमजी इफेक्ट ऑफ करंट, इएमआइ, इएम वेव, ऑप्टिक्स, डुएल नेचर ऑफ लाइट, फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्ट, एटम एंड न्यूक्लियस, सेमीकंडक्टर डिवाइस, कम्युनिकेशन, मॉडर्न फिजिक्स, करंट एंड मैग्नेटिक इफेक्ट जैसे टॉपिक के साथ-साथ काइनेमैटिक्स, रेशनल मोशन, एसएचएम एंड वेव्स, ग्रैविटेशन, हीट एंड थर्मोडाइनामिक्स, वेव ऑप्टिक्स, एसी सर्किट पर फोकस करें. इन टॉपिक से जुड़े प्रश्नों को हल करने का अभ्यास होने से ज्यादा अंक हासिल कर सकेंगे.
मैथ्स : 11वीं के 40 फीसदी सवाल पर भी फोकस जरूरी
मैथ्स के एक्सपर्ट वीके सिंह ने बताया कि जेइइ मेंस की तैयारी के दौरान विद्यार्थी 12वीं कक्षा के सिलेबस पर ज्यादा फोकस करते हैं. जबकि, परीक्षा में 11वीं से 40 फीसदी सवाल पूछे जाते हैं. 11वीं के टॉपिक कोऑर्डिनेट ज्योमेट्री, अलजेब्रा और ट्रिग्नोमेट्री से फॉर्मूला आधारित सवाल पूछे जाते है. इनके प्रश्नों पर फोकस हो, तो ज्यादा से ज्यादा प्रश्न हल कर सकेंगे. 11वीं के सिलेबस में स्टैटिस्टिक्स से दो प्रश्न वेरिएंस और स्टैंडर्ड डेविएशन पर पूछे ही जाते हैं. इन्हें हल कर आसानी से मार्क्स हासिल कर सकते हैं.
मैथ्स के टॉपिक्स
12वीं के सिलेबस में कैलकुलस महत्वपूर्ण है, जिसका अभ्यास करना जरूरी है. इनका फॉर्मूला उंगलियों पर याद रखने की जरूरत है. साथ ही वेक्टर और थ्री-डी ज्योमेट्री से जुड़े प्रश्नों का अभ्यास करें. विद्यार्थी जेइइ मेंस की परीक्षा के दौरान फिजिक्स या केमिस्ट्री के प्रश्नों को हल करते हुए मैथ्स के लिए अतिरिक्त आधा घंटा निकालें. इससे 25 प्रश्नों को हल करने के लिए बराबर समय निकाल सकेंगे. अप्रैल सत्र की तैयारी कर रहें विद्यार्थी अभी से मॉक टेस्ट या सैंपल पेपर हल करें. इससे परीक्षा में समय पर कम से कम 20 प्रश्न हल करने की क्षमता तैयार कर सकेंगे.
केमिस्ट्री : एनसीइआरटी किताब को आधार बनायें, पढ़ें ये टॉपिक्स
केमिस्ट्री के एक्सपर्ट सौरभ सिंघानिया ने बताया कि जेइइ मेंस में केमिस्ट्री खंड से आसानी से मार्क्स हासिल किया जा सकता है. इसके लिए एनसीइआरटी पुस्तक को आधार बनायें. बायोमोलीक्यूल, इलेक्ट्रो केमिस्ट्री, केमिकल काइनेटिक्स, नाइट्रोजन, सल्फर के ऑक्साइड, सॉल्यूशन, ट्रांजिशन कंपाउंड, मॉडल एक्सट्रैक्शन, आयरन, ऑर्गेनिक के किटोंस, कार्बोक्सिलिक एसिड, बायो मॉलिक्यूल, इन ऑर्गेनिक के पी ब्लॉक में नाइट्रोजन, फास्फोरस, सल्फर के ऑक्सीएसिड और ऑक्साइड, डी ब्लॉक से कोऑर्डिनेशन कंपाउंड महत्वपूर्ण है. जेइइ मेंस में फिजिकल केमिस्ट्री से न्यूमेरिकल आधारित प्रश्न पूछे जाते है, फॉर्मूला को ध्यान में रखकर इन्हें हल करना आसान है. ग्राफ आधारित प्रश्न से आसानी से मार्क्स हासिल होंगे, जबकि ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में बेसिक कन्वर्जन को ध्यान में रखें. तैयारी के दौरान जेइइ मेंस जनवरी सत्र के 10 सेट पेपर से प्रश्नों के टॉपिक को चिह्नित करें. इससे क्वेश्चन पैटर्न को समझकर ज्यादा मार्क्स हासिल करने का अभ्यास कर सकेंगे.
इधर, जनवरी सत्र में शामिल परीक्षार्थी परसेंटाइल सिस्टम से परेशान
केस स्टडी 1– एक छात्रा ने 27 जनवरी की पहली पाली में जेइइ मेंस की परीक्षा दी. इस परीक्षा में क्वेश्चन का स्टैंडर्ड हाई था. मैथ्स और फिजिक्स के प्रश्नों को छात्रा ने कठिन बताया. 300 के पेपर में 276 मार्क्स मिले. 99.8808075 हासिल हुआ. छात्रा ने बताया कि उन्हें 99.923 से ज्यादा परसेंटाइल की उम्मीद थी. लेकिन इस परसेंटाइल से ऑल इंडिया रैंक में पिछड़ जायेंगी. ऐसे में जेइइ मेन अप्रैल सत्र में दोबारा शामिल होकर परसेंटाइल को बढ़ाना है.
केस स्टडी 2– एक छात्र ने 29 जनवरी की पहली पाली में परीक्षा दी. मैथ्स खंड के प्रश्नों को लेंदी बताया. यानी प्रश्नों को हल करने में ज्यादा समय लग रहा था. जबकि, फिजिक्स की तुलना में केमिस्ट्री के प्रश्न आसान पूछे गये थे. कठिन प्रश्नों के बावजूद उक्त छात्र ने कुल 300 अंक की परीक्षा में 259 अंक हासिल किये. इससे 99.8717753 परसेंटाइल हासिल हुआ. उसका कहना है कि एक छात्र ने 220 अंक हासिल कर मेरे परसेंटाइल की बराबरी कर ली. इस कारण दूसरे सत्र की परीक्षा में शामिल होना है.
जेईई मेंस जनवरी में शामिल विद्यार्थी निराश
कोचिंग संस्थान के एक्सपर्ट्स ने बताया कि जेइइ मेंस जनवरी सत्र की परीक्षा 27, 29, 30 और 31 जनवरी और एक फरवरी को हुई. पांच दिन में कुल 10 पालियों में परीक्षा हुई. इस वर्ष पहली बार ऐसा हुआ है कि 270 मार्क्स लानेवाले विद्यार्थी को 99.7 परसेंटाइल मिला, तो जिसने 170 मार्क्स हासिल किये उन्हें भी 99.7 परसेंटाइल मिले हैं. 27 और 29 जनवरी को हुई परीक्षा में औसतन 240 से 260 अंक हासिल करनेवाले विद्यार्थियों को 99 परसेंटाइल मिले. वहीं एक फरवरी की परीक्षा में शामिल जिन विद्यार्थियों को 140 से 160 मार्क्स मिले, उनका भी 99 परसेंटाइल है. जेइइ मेंस जनवरी सत्र के मार्क्स और परसेंटाइल डिफरेंस ने कई अच्छे विद्यार्थी को निराश किया है.
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