झारखंड के 35 निकायों में चुनाव कार्यकाल पूरा होने से पहले संभावित, इस महीने तारीखों की हो सकती है घोषणा
रांची नगर निगम समेत राज्य के 35 नगर निकायों का कार्यकाल पूरा होने के पूर्व ही चुनाव कराया जा सकता है. इन निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो रहा है.
विवेक चंद्र
Jharkhand News: रांची नगर निगम समेत राज्य के 35 नगर निकायों का कार्यकाल पूरा होने के पूर्व ही चुनाव कराया जा सकता है. इन निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में समाप्त हो रहा है. लेकिन, राज्य निर्वाचन आयोग पिछले ढाई वर्षों से लंबित धनबाद और देवघर नगर निगम समेत 14 निकायों के साथ ही उक्त निकायों में भी चुनाव की तैयारी कर रहा है.
क्या कहती है नियमावली
झारखंड राज्य नगर निकाय निर्वाचन नियमावली के प्रावधान के मुताबिक निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के छह महीने पहले चुनाव कराया जा सकता है. इसी को आधार मान कर आयोग ने पूरे राज्य में एक साथ नगर निकायों का चुनाव कराने की योजना पर काम शुरू कर दिया है. सूत्र बताते हैं कि अगले वर्ष जनवरी तक चुनाव की तिथि घोषित कर दी जायेगी. मालूम हो कि झारखंड में नौ नगर निगम, 20 नगर परिषद और 20 नगर पंचायत हैं.
14 निकायों में 2020 से ही लंबित है चुनाव
राज्य में पंचायत चुनाव के बाद अब 10 जिलों के 14 नगर निकायों का चुनाव वर्ष 2020 से ही टलता जा रहा है. धनबाद और देवघर नगर निगम समेत अन्य निकायों में 2015 में चुनाव हुए थे. कोविड संक्रमण की आशंका के कारण प्रस्ताव तैयार होने के बावजूद चुनाव नहीं कराया जा सका था. संक्रमण की आशंका कम होने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग पंचायत चुनाव में व्यस्त हो गया. इस कारण निकाय चुनाव लंबित रहा. अब शेष निकायों के कार्यकाल में कम अवधि शेष रहने के कारण सभी निकायों में एक साथ चुनाव की योजना पर काम किया जा रहा है. ऐसे में ढाई वर्षों से लंबित 14 नगर निकायों के चुनाव में अभी और समय लगना तय है. मालूम हो कि इन 14 नगर निकायों में कुल 311 वार्ड पार्षद, तीन महापौर, तीन उप-महापौर, 11 अध्यक्ष और 11 उपाध्यक्षों के लिए मतदान लंबित है. इसके अलावा नगर निकायों के पांच वार्डों के लिए भी उपचुनाव लंबित है.
दलीय आधार पर नहीं होना है चुनाव
राज्य में होनेवाले नगर निकायों के चुनाव दलीय आधार पर नहीं होंगे. सरकार ने झारखंड नगरपालिका (संशोधन) विधेयक 2021 के तहत पूर्ववर्ती सरकार के दलगत आधार पर नगर निकाय चुनाव कराने का फैसला पलट दिया है. अब राज्य के नगर निकायों का चुनाव दलीय आधार पर नहीं होगा. निकायों के उप-महापौर और उपाध्यक्ष का चुनाव भी जनता सीधे मतदान से नहीं कर सकेगी. अप्रत्यक्ष चुनाव के जरिये पार्षदों के बीच से उप-महापौर और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा. वहीं, विधेयक में महापौर और अध्यक्ष की वापसी का अधिकार भी राज्य सरकार को दिया गया है. लगातार तीन बैठक में अनुपस्थित रहने पर महापौर और अध्यक्ष की वापसी का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा.
Posted By: Rahul Guru