रांची : विधानसभा के मानसून सत्र में निजी क्षेत्रों में ‘स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक 2021’ पर प्रवर समिति की रिपोर्ट पेश की गयी. इसमें निजी क्षेत्रों में स्थानीय उम्मीदवारों को 40 हजार रुपये मासिक तक की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया गया. नियोक्ता द्वारा नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में पांच लाख रुपये तक दंड लगाया जा सकेगा. नियुक्ति प्रक्रिया पर नजर रखने और जांच के लिए समिति के गठन का प्रावधान है.
अधिनियम के लागू होने के तीन महीने के अंदर इसके दायरे में आनेवाली संस्थाओं को पोर्टल पर ऐसे कर्मचारियों का रजिस्ट्रेशन कराना होगा, जिन्हें 40 हजार रुपये तक वेतन मिलता है. एेसे रिक्त पदों के 75 प्रतिशत पर स्थानीय उम्मीदवारों को नियुक्त करना होगा. नियुक्ति के दौरान विस्थापितों और समाज के सभी वर्गों का ध्यान रखना होगा.
स्थानीय उम्मीदवारों को भी पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. रजिस्ट्रेशन नहीं करानेवाले को इस अधिनियम का लाभ नहीं मिलेगा. अधिनियम में निहित अलग-अलग प्रावधानों के लिए अलग-अलग दंड का प्रावधान किया गया है. अनुमंडल पदाधिकारी से नीचे के स्तर का कोई न्यायालय इस अधिनियम के उल्लंधन से संबंधित मामलों पर संज्ञान नहीं लेगा.
नियुक्ति पक्रिया पर नजर रखने के लिए अभिहित पदाधिकारी (डिजिगनेटेड ऑफिसर) की अध्यक्षता में गठित समिति में सदस्य के रूप स्थानीय विधायक या उनका नामित प्रतिनिधि, उपविकास आयुक्त, संबंधित अंचल के सीओ, जिले के श्रम अधीक्षक और जिला नियोजन पदाधिकारी समिति के सदस्य होंगे. नियुक्ति के मामले में जिलास्तरीय जांच समिति की रिपोर्ट की समीक्षा अभिहित पदाधिकारी करेंगे.
इसमें कौशल व योग्यता के आधार पर नियोक्ता द्वारा स्थानीय उम्मीदवारों को नियुक्त करने के लिए नियोक्ता द्वारा किये गये प्रयास का मूल्यांकन किया जायेगा. मूल्यांकन के आधार पर नियोक्ता के दावे को रद्द या स्वीकार किया जायेगा. स्थानीय उम्मीदवारों को प्रशिक्षित करने के लिए नियोक्ता को निर्देश दिया जा सकेगा. नियोक्ता द्वारा पेश किये गये प्रतिवेदन की सत्यता की जांच के लिए संबंधित दस्तावेज की मांग की जा सकेगी. नियोक्ता को अभिहित पदाधिकारी द्वारा पारित किसी आदेश के खिलाफ अपील करने का अधिकार होगा. अपीलीय पदाधिकारी 60 दिनों के अंदर अपील का निष्पादन करेंगे.
अधिनियम की धारा (3) का उल्लंघन करने यानी 40 हजार रुपये वेतन पानेवाले कर्मचारियों का पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करानेवाले नियोक्ता पर 25 हजार से एक लाख रुपये तक का दंड लगाया जा सकेगा. उल्लंघन प्रमाणित होने के बाद भी उल्लंघन करना जारी रहने की स्थिति में दो हजार रुपये प्रति दिन की दर से दंड लगाया जा सकेगा. अधिनियम की धारा चार यानी 75 प्रतिशत आरक्षण नहीं देने पर नियोक्ता पर 50 हजार से दो लाख रुपये तक दंड लगाया जायेगा.
दोष प्रमाणित होने के बाद भी उल्लंघन जारी रखने की स्थिति में प्रतिदिन पांच हजार रुपये की दर से दंड लगाया जा सकेगा. नियोक्ता द्वारा किसी मामले में गलत या झूठा प्रतिवेदन पर 50 हजार रुपये दंड लगाया जा सकेगा. अधिनियम में निहित प्रावधानों के उल्लंघन के मामले में दूसरी बार दोषी साबित होनेवाले नियोक्ता पर दो लाख से पांच लाख रुपये तक का दंड लगाया जा सकेगा. दंड की रकम अदा नहीं करने पर प्राधिकृत पदाधिकारी द्वारा एक प्रमाण पत्र तैयार किया जायेगा. इसमें नियोक्ता पर लगाये गये दंड का उल्लेख होगा. इस प्रमाण पत्र को वैसे जिला के उपायुक्त को भेजा जायेगा जहां वह व्यापार करता हो. उपायुक्त के स्तर से राशि की वसूली के लिए आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
राज्य सरकार ने बजट सत्र के दौरान ही निजी क्षेत्रों में स्थानीय उम्मीदवारों को निजी क्षेत्रों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने से संबंधित विधेयक पेश किया था. राजनीतिक दलों की मांग पर इसे प्रवर समिति को सौंप दिया गया. सत्यानंद भोक्ता इस समिति के सभापति हैं.
समिति में सदस्य के रूप में रामदास सोरेन, मथुरा प्रसाद महतो, रामचंद्र चंद्रवंशी, विनोद कुमार सिंह और प्रदीप यादव को शामिल किया गया. समिति ने विधेयक के मूल प्रस्ताव में कई संशोधन किये. समिति ने 30 हजार रुपये के बदले 40 हजार रुपये तक की नौकरियों में आरक्षण लागू करने का प्रावधान किया. इसके अलावा अधिनियम में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करनेवाले नियुक्तों के लिए प्रस्तावित दंड की सीमा बढ़ा दी.
Posted By : Sameer Oraon