ADG लाठकर व IG होमकर ने कहा- चाईबासा में नक्सली अस्तित्व बचाने में जुटे, झारखंड से खात्मे के लिए लड़ाई जारी

नक्सलियों के आर्थिक स्रोत लेवी वसूली के स्रोतों को बंद किया गया. इसके लिए इडी और एनआइए जैसी केंद्रीय एजेंसियों की भी मदद ली गयी. नक्सली समर्थक और फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन पर एक साथ कार्रवाई की गयी है

By Prabhat Khabar News Desk | February 10, 2023 6:15 AM

झारखंड पुलिस और केंद्रीय बल संयुक्त रूप से चाईबासा में प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादियों के टॉप लीडरों के खिलाफ चौतरफा घेराबंदी कर लगातार अभियान चला रही है. गुरुवार को प्रभात खबर दफ्तर में आयोजित प्रभात संवाद में नक्सलियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई पर एडीजी अभियान संजय आनंदराव लाठकर और आइजी अभियान अमोल वीणुकांत होमकर ने अपनी बातें रखीं. अधिकारियाें ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ रणनीति के तहत कार्रवाई की जा रही है.

कार्रवाई से पहले सूचना तंत्र को मजबूत किया गया. इसके बाद नक्सलियों के आर्थिक स्रोत लेवी वसूली के स्रोतों को बंद किया गया. इसके लिए इडी और एनआइए जैसी केंद्रीय एजेंसियों की भी मदद ली गयी. नक्सली समर्थक और फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन पर एक साथ कार्रवाई की गयी है. इस बार हम नक्सलियों से आर-पार की आखिरी लड़ाई कर रहे हैं. नक्सली खुद का अस्तित्व बचाने की जंग लड़ रहे हैं और हम झारखंड को उनसे पूरी तरह मुक्त कराने की. नक्सलियों में भगदड़ की स्थिति है.

एडीजी व आइजी ने संवाद कार्यक्रम में कहा कि नक्सल प्रभावित बीहड़ इलाकों में पुलिस अब ग्रामीणों के साथ जुड़ रही है. पुलिस उनके उत्पादों को उनके घर से ही खरीदेगी. प्रभात खबर कार्यक्रम में पहली बार इन इलाकों के लिए बाजार आपके द्वार अभियान की घोषणा की गयी. अफसरों ने कहा कि बूढ़ा पहाड़ में सफलता हासिल करने के लिए सबसे पहले नक्सलियों के आर्थिक स्रोतों को बंद किया गया.

इसके बाद ऑपरेशन ऑक्टोपस के तहत बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराया गया. इसी तरह ट्राइजंक्शन में पांच-छह वर्षों से जमे नक्सलियों को खदेड़ा गया. झुूमरा पहाड़ और पारसनाथ में भी नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई की गयी. अब नक्सली कुछ ही इलाकों में सक्रिय हैं. चाईबासा में अभियान के तहत कुछ घटनाएं भी घटी हैं. आइइडी ब्लास्ट में 11 जवान घायल हुए हैं. लेकिन हम अब आर-पार की लड़ाई कर रहे हैं. अगर इस क्षेत्र से पुलिस नक्सलियों को उखाड़ फेंकती है, तब उन्हें झारखंड में बसने की कहीं भी जगह नहीं मिलेगी.

नक्सलियों के वैसे गढ़ में कैंप स्थापित किये जा रहे हैं, जहां सरकार की कोई एजेंसी अभी तक नहीं पहुंची थी. ग्रामीणों का भी पुलिस को समर्थन मिल रहा है. आज नक्सलियों के पास लड़ने के लिए न हथियार है और न ही पैसे. ग्रामीणों का भी पुलिस को खूब सहयोग मिल रहा है. नक्सलियों के बारे में वे पुलिस को गुप्त सूचना दे रहे हैं, जिस कारण उन्हें पकड़ा जा रहा है.

नक्सलियों के खिलाफ यूएपीए के तहत जो केस हो रहे हैं, उनकी मॉनिटरिंग के लिए सीआइडी में एक सेल का गठन किया गया है. सुनिश्चित किया जा रहा है कि उन्हें सजा मिले. नक्सलियों की जमानत पर निगरानी के लिए भी एक सेल का गठन किया गया है. नक्सलियों के फ्रंटल आर्गेनाइजेशन पर झारखंड में की गयी कार्रवाई पर देश स्तर पर डीजी-आइजी कांफ्रेंस में भी चर्चा हुई है. नक्सलियों को जिन सफेदपोश लोगों का समर्थन मिलता था, वह भी बंद हो गया है.

डायल 112 से जुड़कर बनें वोलिंटियर, बचायें जान

एडीजी लाठकर ने कहा कि देशभर के लिए डायल 112 की सेवा शुरू हो गयी है. लोग इसका ऐप डाउनलोड कर इससे जुड़कर वाेलिंटियर बनकर लोगों की जान बचा सकते हैं. इस ऐप में सही सूचना आने पर पुलिस अभी छह मिनट में कार्रवाई कर पाती है. इसे कम करने का प्रयास है.

अभी हर दिन चार हजार कॉल मिल रहे हैं, लेकिन इसमें अधिकांश सही सूचनाएं नहीं होती हैं, लोग बेवजह के सवाल करते हैं. यह ऐप आपातकाल में मदद के लिए है. इसके एक बटन से तत्काल आपको सहायता मिलेगी. इसका ऐप भी डाउनलोड करें. प्रभात खबर के माध्यम से हम अपील करते हैं कि रिटायर्ड डॉक्टर, सेना व पुलिस के कर्मी व अन्य लोग बतौर वोलिंटियर इससे जुड़ें और लोगों तक मदद पहुंचायें.

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