रांची: झारखंड आदिवासी महोत्सव पर शुक्रवार को भगवान बिरसा मुंडा स्मृति पार्क में आदिम संस्कृति की झलक दिखी. पार्क में सभी तरफ जनजातीय परिधानों में मौजूद लोगों का हुजूम था. उल्लास से भरे हंसते-खिलखिलाते चेहरे. जनजातीय संस्कृति की अद्भुत छटा. रूम्बुल की टीम नगाड़ा, मांदर और बांसुरी के साथ मौजूद थी. वहीं राज्य भर से आये जनजातीय नृत्य दलों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुति से लोगों में जोश भर दिया. महोत्सव में दर्जनों स्टॉल लगाये गये हैं, जिनमें जनजातीय संस्कृति से जुड़ी चीजें बिक्री और प्रदर्शन के लिए उपलब्ध हैं. इन स्टॉलों पर खासी भीड़ उमड़ रही है. शुक्रवार को उद्घाटन के अवसर पर राज्यपाल संतोष गंगवार, सीएम हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन सहित कई विशिष्ट हस्तियों ने स्टॉलों पर विजिट किया और उत्पादों की सराहना की.
झारक्राफ्ट के स्टॉल में डोकरा आर्ट बना मुख्य आकर्षण
रांची में आयोजित झारखंड आदिवासी महोत्सव में झारक्राफ्ट के स्टॉल में डोकरा आर्ट मुख्य आकर्षण बना हुआ है. डोकरा आर्ट की बनी तरह-तरह की कलाकृतियां लोग खूब पसंद कर रहे हैं. यहां इनके बनाने की प्रक्रिया भी प्रदर्शित की जा रही है. यहां पर चावल नापने का पइला सहित कई जनजातीय आभूषण भी मौजूद हैं. स्टॉल में सिल्क और कॉटन की साड़ी, चादर, बेडशीट और गमछा भी उपलब्ध हैं.
मशरूम के पापड़ और अचार भी पसंद कर रहे लोग
झारखंड स्वाभिमान के स्टॉल में मशरूम से बने पापड़, अचार, मशरूम पाउडर और ड्राई मशरूम आदि उपलब्ध हैं. स्टॉल में मौजूद अनिमा जया टोपनो ने बताया कि इन उत्पादों की खासी डिमांड है. मशरूम का पाउडर अभी काफी कम लोगों के पास ही उपलब्ध है. सूखे मशरूम सहित इन चीजों को अच्छे से स्टोर कर रखा जाये, तो यह काफी लंबे अरसे तक चलते हैं. किसी भी मौसम में मशरूम के व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है.
रुगड़ा के अचार की भी हो रही बिक्री
एक अन्य स्टॉल में रुगड़ा का अचार, महुआ का अचार, पुटकल, कटहल, ओल और आंवला का अचार मिल रहा है. रुगड़ा के अचार की कीमत 400 रुपये है, जबकि महुआ व पुटकल आदि के अचार 120 रुपये में उपलब्ध हैं. इसके अलावा महुआ के लड्डू, रागी (मड़ुआ) का मिक्सचर, मशरूम कुकीज आदि भी उपलब्ध हैं.
वनौषधि पौधे तथा कंद-मूल की भी बिक्री
फिया फाउंडेशन तथा अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान के स्टॉल में वनौषधि पौधे तथा कंद मूल मिल रहे हैं. स्टॉल में आक का फूल, शहतूत, गेठी कंदा, सरगुजा, कोराइया खाल, वन खजूर, जंगल तुलसी के पौधों को प्रदर्शित किया गया है. आक का फूल दर्दनाशक होता है. कोराइया खाल का उपयोग ब्लड प्रेशर ठीक करने के लिए किया जाता है. गेठी कंदा और सनई आदि खाने के काम आते हैं.
स्टॉल पर छत्तीसगढ़ के आदिवासी समुदाय की बांसुरी
ट्राइब्स इंडिया के स्टॉल में छत्तीसगढ़ के जनजातीय समुदाय की बनायी बांसुरी उपलब्ध है. यह आम बांसुरी से थोड़ी लंबी होती है. इस स्टॉल में जनजातीय पेंटिंग भी उपलब्ध थी. इसके अलावा जय चाला अखड़ा के स्टॉल में बानाम नामक वाद्य यंत्र मिल रहा है. यह दिखने में सारंगी जैसी होती है. इसकी कीमत 1500 रुपये है. इसके अलावा जनजातीय डिजाइनवाले कुर्ते, साड़ी, फेटा आदि की भी खूब बिक्री हो रही है.