Jharkhand Adivasi Mahotsav: रांची-झारखंड आदिवासी महोत्सव-2024 का आज भव्य आगाज हुआ. बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में आयोजित दो दिवसीय महोत्सव को लेकर चारों तरफ उल्लास है. समृद्ध आदिवासी कला-संस्कृति की झलक दिख रही है. झारखंड झरोखा की आकर्षक प्रस्तुति पर लोग झूम उठे. झारखंड एवं पूरे देश की नृत्य शैलियों और संगीत से लेकर उत्सवों, अनुष्ठानों और स्वादिष्ट व्यंजन सबको भा रहे हैं. रीझ-रंग शोभा यात्रा से इसकी शुरुआत हुई. पद्मश्री मुकुंद नायक के नागपुरी गीत-नृत्य पर दर्शक झूम उठे.
विश्व आदिवासी दिवस पर झारखंड आदिवासी महोत्सव
विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर आयोजित झारखंड आदिवासी महोत्सव 2024 की शुरुआत रीझ-रंग शोभा यात्रा से हुई. आदिवासी आन-बान और शान के मनमोहक 32 जनजातीय वाद्ययंत्रों की ताल पर थिरकते हुए कारवां करमटोली चौक से बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान रांची पहुंचा. राज्य भर से विभिन्न स्कूलों के बच्चे बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान पहुंचे. बच्चों में काफी उत्साह दिखा. लोग ग्रुप बना कर महोत्सव का आनंद लेते रहे. नृत्य करते रहे. हजारों लोगों के जन सैलाब में सभी पारंपरिक संस्कृति की एकरूपता में सराबोर दिखे. अतिथियों के स्वागत के लिए राज्यभर से कला दल के सदस्य बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान पहुंचे.
झारक्राफ्ट का स्टॉल लोगों को कर रहा है आकर्षित
बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में प्रदर्शनी हॉल में लगे झारक्राफ्ट स्टॉल के ऑर्गेनिक सिल्क का आकर्षण लोगों को खूब भा रहा है. झारक्राफ्ट दुनिया में ऑर्गेनिक सिल्क उत्पादों का प्रमुख नाम है जो कि अपने उत्पादों को बनाने से लेकर रंगों तक किसी भी तरह के रसायन का उपयोग नहीं करता है, जिसमें कुकून से धागा और धागे से कपड़े तक की पूरी प्रक्रिया प्राकृतिक मानकों के साथ ही की जाती है. इस प्रदर्शनी में झारक्राफ्ट द्वारा लाइव हस्तकरघा एवं रिलिंग मशीन चलाकर कुकून से धागा और धागे से कपड़े बनाने की प्रक्रिया दिखाई जा रही है. झारक्राफ्ट के इस स्टॉल में हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट ड्रेस, चादर, सिल्क एवं कॉटन साड़ी, लाल पाढ़ साड़ी, शॉल, डोकरा से बने पारंपरिक आभूषण, हसुली, पइला, सोहराय पेंटिंग, जादू पटिया पेंटिंग समेत विभिन्न प्रकार की वस्तुएं बिक्री के लिए उपलब्ध हैं.
जोहार ग्राम का स्टॉल युवाओं को भा रहा
बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में लगे प्रदर्शनी हॉल में जोहार ग्राम का स्टॉल युवाओं को काफी आकर्षित कर रहा है. जोहार ग्राम स्टॉल की विशेषता यह है कि खूंटी जिला के निवुचा बुनकर सहयोग समिति द्वारा झारखंड के ट्राइबल टेक्सटाइल को आधुनिक तौर पर ग्लोबल स्तर तक पहुंचाया जा रहा है. रांची के परिवर्तन संस्था के दिव्यांग बच्चों द्वारा ट्राईबल कल्चर इन फ्रेगमैन स्टाइलिश इन परिधान दर्शन की प्रस्तुति की गई. प्रस्तुति के माध्यम से दिव्यांग बच्चों द्वारा समकालीन फैशन के साथ पारंपरिक आदिवासी सौंदर्यशास्त्र के सहज एकीकरण को उजागर करते हुए विविध प्रकार के शरीर, क्षमताओं और पृष्ठभूमि की सुंदरता को प्रदर्शित किया गया है.
सांस्कृतिक कार्यक्रम का हुआ आयोजन
झारखंड आदिवासी महोत्सव 2024 में मुख्य कार्यक्रम मंच पर असम के पारम्परिक आदिवासी तिवा नृत्य की बांसुरी की सुरीली धुन के साथ शुरुआत हुई. ओडिशा से आए कलाकारों ने अपने पारंपरिक परिधान एवं वाद्ययंत्र के साथ-साथ ओड़िशा के पारम्परिक आदिवासी नृत्य से सबका मन मोहा. छत्तीसगढ़ के जसपुर से आए कलाकारों ने अपने पारंपरिक परिधान एवं वाद्ययंत्र के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के पारम्परिक आदिवासी करमा नृत्य से कार्यक्रम में एक नई ऊर्जा उत्पन्न की. अखड़ा दर्शन 8 जनजातियों का गीत नृत्य की प्रस्तुति ने दर्शकों को खूब झुमाया.
पद्मश्री मुकुंद नायक के द्वारा नागपुरी गीत नृत्य की प्रस्तुति से झूमे दर्शक
झारखंड आदिवासी महोत्सव 2024 जहां हम देख रहे हैं समृद्ध आदिवासी जीवन दर्शन की झलकियां. 9 अगस्त यानि विश्व आदिवासी दिवस को संस्कृति और इतिहास का अनूठा संगम स्थल बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान, रांची में आयोजित हो रहे भव्य समारोह में पद्मश्री मुकुंद नायक की आकर्षक प्रस्तुति ने लोगों को खूब लुभाया. शेरोन मरांडी द्वारा संथाली बैंड आधुनिक संथाली गायन वादन गायिका, विकृत बैंड की प्रस्तुति दी गई साथ ही झारखंड झरोखा -लोक कला वाद्ययंत्र एवं परिधान की प्रस्तुति दी गई.