10.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

झारखंड आंदोलनकारी डॉ बीपी केशरी का नागपुरी भाषा से प्रेम, छपवाया था 400 वर्ष पुराना काव्य

डॉ केशरी के नेतृत्व में झारखंड को अलग राज्य की मांग को लेकर 19 नवंबर 1987 को रांची के पिठोरिया चौक पर जबरदस्त नाकेबंदी की गई थी. केशरी जी ने नागपुरी भाषा के लिए बड़ा योगदान दिया था.

झारखंड राज्य के आंदोलनकारी, शिक्षाविद व साहित्यकार डॉ बीपी केशरी (Dr BP Keshari) या डॉ बिशेश्वर प्रसाद केशरी की कल (1 जुलाई) 91वीं जयंती है. केसरी जी का जन्म 1933 में रांची के पिठोरिया गांव में हुआ था. उन्होंने ने शुरुआती पढ़ाई गांव से की और फिर रांची शहर का रूख किया. केशरी जी ने हिन्दी ले एमए की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद उन्होंने 1971 में रांची विश्वविद्यालय से नागपुरी गीतों में पीएचडी की डिग्री हासिल की. 14 अगस्त 2016 को 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया.

शिक्षाविद अशोक प्रियदर्शी ने डॉ केसरी को ऐसे किया याद

मशहूर साहित्यकार और शिक्षाविद डॉ अशोक प्रियदर्शी उन्हें याद करते हुए कहते हैं कि केशरी जी ने अपनी उम्र लगभग जी ही ली थी. लेकिन उनका निधन होने से झारखंड को अपूर्णीय क्षति हुई. डॉ अशोक ने कहा कि केशरी जी उनके बड़े भाई थे. वो कहते हैं कि केशरी जी ने पूरा जीवन झारखंडी भाषिक, सास्कृतिक प्रतिनिधि और विशेषज्ञ बनाने में लगा दिया. वो कहते हैं कि राम दयाल मुंडा और बीपी केशरी की जोड़ी राम-लक्षमण जैसी थी.

झारखंड आंदोलन को दी बौद्धिक गति : डॉ अशोक

राम दयाल मुंडा और बीपी केशरी की जोड़ी ने पूरे झारखंड आंदोलन को बौद्धिक गति दी. केशीरी जी नागपूरी भाषा के ज्ञानी थे. उन्होंने इस भाषा में कई लेख लिखे. उन्होंने एक प्रसिद्ध किताब ‘ मैं हूं झारखंड ‘ लिखी जबकि तभी झारखंड बना भी नहीं था. उन्होंने एक किताब नागपूरी भाषा का इतिहास भी लिखी. केशरी झारखंड के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे और छोटा नागपुर और संताल परगना को झारखंड ही मानते थे.

हमेशा युवाओं तक नागपुरी भाषा पहुंचाने का करते थे प्रयास

केशरी जी हमेशा नागपूरी भाषा के लिए मिशन की तरह काम करते थे. उन्होंने हमेशा नागपूरी भाषा के विस्तार का प्रयास किया. एक बार उन्होंने सोचा कि क्यों ने युवाओं को नागपुरी भाषा का संवाहक बनाया जाए. उन्होंने इसके लिए बल्कि अपने पिठौरिया स्थित अपने संस्थान में कार्यक्रम भी रखवाया.

नागपुरी भाषा के प्रति उनका प्रेम था अद्वितीय

केशरी जी का नागपुरी भाषा के प्रति प्रेम बेजोड़ था. उन्होंने 400 सालों के नागपुरी काव्य लेखन को संकलित कर प्रकाशित कराया. उन्होंने सिर्फ ज्ञात नागपुरी कवियों की नहीं अज्ञान नागपुरी कवियों को जुटाया और प्रकाशित करवाया.

Also Read : Jharkhand News: हूल दिवस पर सिदो-कान्हू के गांव में लगे हेमंत सोरेन जिंदाबाद के नारे

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें