रांची : झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा ने 16 और 17 दिसंबर को आर्थिक नाकेबंदी की घोषणा की है. इस दौरान पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमाएं पूरी तरह से सील की जायेंगी. उक्त निर्णय विदेशी महतो की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई बैठक में लिया गया. संचालन पुष्कर महतो ने किया. बताया गया कि स्थापना दिवस पर झारखंड आंदोलनकारियों की उपेक्षा के विरोध में, समता जजमेंट के आधार पर 26 प्रतिशत रॉयल्टी, एक बेहतर-समृद्धशाली झारखंड राज्य बनाने, मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की जयंती तीन जनवरी को झारखंड आंदोलनकारी दिवस मनाये जाने, रोजी-रोजगार नियोजन में झारखंड आंदोलनकारी को अधिकार देने समेत अन्य मांगों को लेकर यह आर्थिक नाकेबंदी बुलायी गयी है.
विदेशी महतो ने मांग की है कि राज्य सरकार झारखंड के जल, जंगल, जमीन और खनिज संसाधनों के अधिकारों पर झारखंडियों की गारंटी सुनिश्चित करे. झारखंड आंदोलनकारियों के लिए जेल जाने की बाध्यता को मंत्रिमंडल द्वारा दूर कर सभी को राजकीय मान-सम्मान, नियोजन, पहचान व समान रूप से पेंशन (50 हजार रुपये) दे. सभी आंदोलनकारियों के लिए भूमि व आवास की गारंटी दे. रोजी-रोजगार में झारखंड आंदोलनकारियों व उनके परिवार को समुचित हिस्सेदारी मिले. झारखंड में भी जाति जनगणना जल्द से जल्द करायी जाये. झारखंड आंदोलनकारी कॉरिडोर का निर्माण हो.
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राज्य, जिला, प्रखंड के चौक-चौराहों के नाम झारखंड आंदोलनकारियों के नाम पर रखे जायें. झारखंड विधानसभा व सचिवालय में मारंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा, अमर पुरोधा विनोद बिहारी महतो और एके राय की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाये. बैठक में इजहार राही, रोजलीन तिर्की, चंदनधन महतो, विश्वजीत प्रमाणिक, शिबू काली मैती, सरोजनी कच्छप, सीताराम उरांव, गोपाल गुप्ता, दिवाकर साहू, अखिलेश्वर मिश्रा, मिनी बाड़ा, रेखा देवी व अन्य शामिल थे.