मनोज सिंह, रांची
वित्तीय वर्ष 2023-23 के नौ माह पूरा हो गये हैं. इस अवधि में कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग ने आवंटन की अब तक मात्र 28% राशि ही खर्च की है. इसमें सबसे खराब स्थिति पशुपालन प्रभाग की है. पशुपालन प्रभाग ने अब तक मात्र आठ फीसदी राशि ही खर्च की है. विभागीय समीक्षा में सचिव ने सभी निदेशकों को खर्च बढ़ाने का निर्देश दिया है. वित्तीय राशि खर्च करने के मामले में सबसे अच्छी स्थिति सहकारिता प्रभाग की है. यहां करीब 87% राशि खर्च हो गयी है. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के लिए चालू वित्तीय वर्ष में 4026.37 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था. इसको संशोधित करते हुए 3993.90 करोड़ रुपये किया गया है. जनवरी के पहले सप्ताह तक 2391.65 करोड़ रुपये की स्वीकृति आदेश विभाग ने निकाल दी है. इसमें करीब 674 करोड़ रुपये खर्च हो गये हैं.
Also Read: झारखंड में 14 लाख से अधिक किसानों ने फसल राहत की लगायी गुहार, कृषि विभाग ने 6.50 लाख का कराया सत्यापनकृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के विभिन्न प्रभागों का अब तक 1600 करोड़ रुपये का स्वीकृति आदेश अब तक नहीं निकला है. झारखंड सरकार ने कृषि विभाग का संशोधित बजट 3993.90 करोड़ रुपये कर दिया है. इसमें से 2391.65 करोड़ रुपये विभाग ने निकाल दिये हैं. इसमें से 2127.92 करोड़ रुपये का आवंटन भी सरकार ने कर दिया है. राज्य स्कीम से करीब 2104.95 करोड़ रुपये का स्वीकृति आदेश निकाला गया है. इसमें 614.31 करोड़ रुपये खर्च हुए है. केंद्रीय योजना का 286.70 करोड़ रुपये का स्वीकृति आदेश निकाला गया है. इसमें से 59.65 करोड़ रुपये का आवंटन जारी कर दिया गया है. राज्य योजना में से 29 फीसदी तथा केंद्रीय योजना का 21 फीसदी राशि खर्च हुआ है. केंद्रीय योजना में कृषि प्रभाग का 19.12 करोड़ तथा मत्स्य में 40.53 करोड़ रुपये का आवंटन मिला है. मत्स्य विभाग ने शत-प्रतिशत राशि खर्च कर दी है. वहीं, कृषि प्रभाग ने आठ फीसदी राशि खर्च की है.