झारखंड के 243 प्रखंडों में सुखाड़ की स्थिति, परेशान हो रहे किसान, इस जिले की स्थिति चिंताजनक
झारखंड के 243 प्रखंडों की स्थिति बेहद चिंताजनक है. क्योंकि सूखा प्रभावित इलाकों की संख्या बढ़ गयी है. 15 अगस्त तक ऐसे प्रखंडों की संख्या 180 थी. मॉनसून सत्र के दौरान ही कृषि मंत्री ने स्थिति का आकलन कर सुखाड़ की घोषणा करने की बात कही थी.
रांची : झारखंड में 31 जुलाई के मुकाबले 15 अगस्त तक सूखा प्रभावित प्रखंडों की संख्या 180 से बढ़ कर 243 हो गयी है. झारखंड में कुल प्रखंडों की संख्या 263 है. इनमें करीब 92 फीसदी प्रखंडों में सुखाड़ की स्थिति है. किसान व आम लोग परेशान हैं. विधानसभा के मॉनसून सत्र में सुखाड़ पर विशेष चर्चा के दौरान कृषि मंत्री ने स्थिति का आकलन कर 15 अगस्त के बाद सुखाड़ की घोषणा करने की बात कही थी. हालांकि राज्य आपदा प्रबंधन समिति की बैठक नहीं होने से सुखाड़ की घोषणा नहीं हो सकी. मुख्यमंत्री समिति के अध्यक्ष होते हैं. सुखाड़ पर केंद्र से सहायता प्राप्त करने के लिए आपदा प्रबंधन समिति की रिपोर्ट भेजी जाती है.
बुआई के संशोधित मापदंड से किया आकलन :सरकार ने सुखाड़ की स्थिति का आकलन के लिए बुआई के संशोधित मापदंड (ड्राउट मैनुअल-2016) का इस्तेमाल किया है. ड्राउट मैनुअल के संशोधित मापदंड के आलोक में जिन क्षेत्रों में धान की बुआई 75% से कम हो, उसे सूखा क्षेत्र में शामिल किया जा सकता है. राज्य सरकार ने 31 जुलाई तक सूखे का आकलन करने के लिए धान की बुआई का पैमाना 33 % माना था.
15 अगस्त तक की सूखे की स्थिति का आकलन करने के लिए ऋणात्मक स्टैंडराइज्ड परसिपिटेशन इंडेक्स (-1) और 75 % से कम धान की बुआई को आधार मान सूखे की स्थिति का आकलन किया गया है. इसके तहत राज्य से 243 प्रखंड सूखे की चपेट में हैं. इसमें से 131 प्रखंड मध्यम सूखे (मॉडरेट ड्राइ) और 112 प्रखंड गंभीर सूखे (सिवियर ड्राइ) की चपेट में हैं.
पूरा पलामू प्रमंडल गंभीर सूखे की चपेट मेंपूरा पलामू प्रमंडल गंभीर सूखे की चपेट में है. पलामू प्रमंडल के तीन जिलों के सभी प्रखंड सूखे की चपेट में हैं. राज्य में 15 अगस्त तक बारिश की स्थिति में सुधार है. जुलाई तक राज्य में औसत 49% बारिश की कमी थी. 15 अगस्त तक औसत 35% बारिश की कमी का आकलन किया गया है. धान की बुआई में भी मामूली सुधार है. 31 जुलाई तक लक्ष्य के मुकाबले धान की औसत बुआई 15.70% हुई थी. 15 अगस्त तक औसत बढ़कर 30% तक पहुंची है. हालांकि जुलाई तक कम बारिश होने से बिचड़े पीले पड़ गये थे. इससे पैदावार प्रभावित होने का खतरा है.