झारखंड के सरकारी स्कूल से पढ़े पाकुड़ के शिवम भगत का चयन एक मल्टीनेशनल कंपनी में सालाना 50 लाख के पैकेज पर हुआ है. शिवम के पिता रवि भगत कपड़े की छोटी-सी दुकान चलाते हैं. मैट्रिक की पढ़ाई हरिणडांगा हाई स्कूल से करनेवाले शिवम को 10वीं में 87 फीसदी अंक मिले थे. बकौल शिवम : इंजीनरिंग की पढ़ाई कैसे होती है और इसके लिए क्या करना होता है, मेरे घर में कोई नहीं जानता था.
घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. इसलिए प्राइवेट कोचिंग नहीं कर पाया. 10वीं की पढ़ाई दौरान ही मैंने राज्य सरकार द्वारा संचालित काेचिंग के बारे में सुना था. इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए प्रवेश परीक्षा में शामिल हुआ और चयनित भी हो गया. इंटर की पढ़ाई रांची से की. इसके बाद मेरा चयन बीआइटी सिंदरी में हो गया, जहां से आइटी में बीटेक की पढ़ाई की.
शिवम ने कहा : सरकारी स्कूल के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं होती है. उन्हें समय पर करियर के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं मिल पाती है. अगर मिलती भी है, तो उन्हें तैयारी के लिए सही प्लेटफॉर्म नहीं मिल पाता. यही वजह है कि सरकारी स्कूल के बच्चे प्राइवेट स्कूल के बच्चों से पीछे रह जाते हैं.
सरकार ने गरीब परिवार के मेधावी बच्चों के लिए फ्री कोचिंग की व्यवस्था की है. इसमें दाखिले के लिए झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) द्वारा प्रवेश परीक्षा ली जाती है. जैक बोर्ड से मैट्रिक की परीक्षा में शामिल होनेवाले विद्यार्थी इसमें शामिल होते हैं. चयनित विद्यार्थी को सरकार द्वारा इंजीनियरिंग, मेडिकल व क्लैट की तैयारी करायी जाती है. बता दें कि अब तक 150 से अधिक बच्चों का चयन देश के विभिन्न मेडिकल व इंजीनियरिंग कॉलेजों में हो चुका है.
शिवम जल्द ही कंपनी में ज्वाइन करेंगे. उनकी सफलता से परिवार के लोग काफी खुश हैं. मां ने कहा है कि मेरे पहले वेतन से घर में पूजन-अनुष्ठान का आयोजन करेंगी. इसलिए पहले माह का वेतन अपनी मां को दूंगा. शिवम ने बताया कि आगे वह अपने स्तर से गरीब की बच्चों की पढ़ाई में हरसंभव मदद का प्रयास करेंगे.