झारखंड: पांच साल में एंबुलेंस कबाड़ कर लौटा रही एजेंसी, अब सभी की स्थितियों की होगी जांच
पुरानी एजेंसी का फोकस सिर्फ एंबुलेंस के संचालन पर था, वाहनों व इसके उपकरणों की मरम्मत पर नहीं. अब भी सरकार के पास पुरानी एजेंसी के करीब 20 करोड़ रुपये बकाया हैं
राज्य में ‘डायल-108’ के तहत आपातकालीन एंबुलेंस सेवा का संचालन अब नयी एजेंसी ‘मेसर्स इएमआरआइ ग्रीन हेल्थ सर्विसेज’ के सुपुर्द कर दी गयी है. स्वास्थ्य विभाग ने 31 जुलाई को पत्र जारी कर पुरानी एजेंसी ‘मेसर्स जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड’ को दो सप्ताह के भीतर एंबुलेंस संचालन की सारी व्यवस्था नयी एजेंसी के सुपुर्द करने का निर्देश दिया था. इधर, नयी एजेंसी हस्तांतरित की गयी एंबुलेंसी की हालत देख चिंतित है, क्योंकि इनमें से ज्यादातर कंडम हो चुकी हैं.
इसका सीधा मतलब यह है कि पुरानी एजेंसी का फोकस सिर्फ एंबुलेंस के संचालन पर था, वाहनों व इसके उपकरणों की मरम्मत पर नहीं. वहीं, विभागीय सूत्र बताते हैं कि अब भी सरकार के पास पुरानी एजेंसी के करीब 20 करोड़ रुपये बकाया हैं. ‘डायल-108’ का जिम्मा लेनेवाली नयी एजेंसी ने विभाग को अपने हिस्से आयी एंबुलेंसों की मौजूदा स्थिति से अवगत करा दिया है. इसके बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अभियान निदेशक ने राज्य के सभी उपायुक्तों को पत्र लिख कर ‘डायल-108’ के तहत पूर्व से संचालित सभी पुरानी एंबुलेंसों की स्थिति की जांच कराने का निर्देश दिया है.
एनएचएम का कहना है कि ‘डाॅयल-108’ के संचालन का टेंडर जिस नयी एजेंसी को सौंपा गया है, उसने पुरानी एंबुलेंसों की फिटनेस को लेकर चिंता जतायी है. पूर्व में मेसर्स जिकित्जा हेल्थ केयर लिमिटेड द्वारा जिलास्तर पर इसका संचालन किया जा रहा था. हस्तांतरण प्रक्रिया के दौरान जांच के क्रम में यह बात सामने आयी कि इनमें बहुत सी एंबुलेंस के साथ-साथ उनमें लगाये गये कीमती उपकरण की स्थिति भी खराब हैं.
एमवीआइ तैयार करेंगे फिटनेस, एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा :
एमवीआइ तैयार करेंगे फिटनेस, एक सप्ताह में रिपोर्ट देने को कहा : स्वास्थ्य विभाग में सभी जिलों को एंबुलेंस की संख्या और उनमें लगे उपकरणों का ब्योरा सौंप दिया है. निर्देश दिया गया है कि कंडम एंबुलेंस और उपकरणों की रिपोर्ट तैयार करें. साथ ही यह भी बतायें कि इन को रीस्टोरेशन पुनर्निमाण पर कितना खर्चा आयेगा. वाहन के फिटनेस की जांच एमवीआइ करेंगे, जबकि एंबुलेंस में लगे उपकरणों की स्थिति की जांच के लिए हर जिले में तीन तीन चिकित्सा पदाधिकारियों की टीम बनायी गयी है. हर जिले की रिपोर्ट सिविल सर्जन के माध्यम से उपायुक्त के पास पहुंचेगी. इस पूरी प्रक्रिया के लिए सभी जिलों को एक हफ्ते का वक्त दिया गया हैं.
जामताड़ा के सिविल सर्जन ने नहीं लिया हैंडओवर :
जामताड़ा जिले में सिविल सर्जन ने डायल-108 के तहत पुरानी एजेंसी से आठ एंबुलेंस हैंडओवर नहीं लिया. बताया जाता है कि इनमें से कई एंबुलेंस की कंडीशन बहुत खराब है. इस सूचना के बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अपर अभियान निदेशक ने सीएस को निर्देश दिया कि वे दो दिनों के अंदर पुरानी एजेंसी से एंबुलेंस हैंओवर लेकर नयी एजेंसी को सौंपें. यहां 14 अगस्त को ही हस्तांतरण कर लिया जाना था.