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Jharkhand: फर्जी कागजात से अमित अग्रवाल ने खरीदी थी सेना की जमीन

कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल सेना की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री में शामिल होने की वजह से प्रवर्तन निदेशालय के फंदे में फंसे हैं. जालसाजी कर बेची गयी बरियातू रोड स्थित सेना के कब्जेवाली 4.44 एकड़ जमीन के खरीदार जगतबंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष हैं.

By Rahul Kumar | November 6, 2022 8:12 AM
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कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल सेना की जमीन की अवैध खरीद-बिक्री में शामिल होने की वजह से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के फंदे में फंसे हैं. जालसाजी कर बेची गयी बरियातू रोड स्थित सेना के कब्जेवाली 4.44 एकड़ जमीन के खरीदार जगतबंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष हैं. फरजी तरीके से जमीन का होल्डिंग नंबर लेकर इरबा निवासी प्रदीप बागची ने सेना के कब्जेवाली यह जमीन अक्टूबर 2021 में जगत बंधु टी स्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष को बेची थी. घोष अमित अग्रवाल की कंपनी अरोड़ा स्टूडियो के भी निदेशक है. माना जा रहा है कि अमित अग्रवाल ने ही घोष के नाम पर फरजी कागजात के सहारे जमीन की खरीद की थी. फरजी कागजात की मदद से सेना के कब्जे वाली जमीन बेचने की शिकायत मिलने के बाद दक्षिणी छोटानागपुर के उप निदेशक कल्याण ने जांच कर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी.

क्या है ईडी की रिपोर्ट में

रिपोर्ट में कहा गया है कि मोरहाबादी थाना नंबर 192, वार्ड नंबर 21, एमएस प्लॉट नंबर 557 (रकबा 4.44 एकड़) भूमि के खतियान में प्रमोद नाथ दास गुप्ता का नाम दर्ज है. खतियानी रैयत की मौत के बाद हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के तहत यह जमीन मालती कर्नाड राव को मिली. उनकी मौत के बाद उनके पुत्र जयंत कर्नाड राव जमीन के उत्तराधिकारी हुए. 1943 से यह जमीन सेना के कब्जे में है. वर्ष 1960 तक सेना द्वारा जमीन के खतियानी मालिक के उत्तराधिकारियों को सालाना 446 रुपये की दर से किराया दिया गया. बाद में किराया बढ़ कर 3600 रुपये सालाना कर दिया गया. 1970 में जमीन मालिक ने किराया बढ़ा कर 12000 रुपये सालाना करने की मांग की. उनके द्वारा वर्ष 2007 में जमीन सेना के कब्जे से मुक्त कराने के लिए हाइकोर्ट में याचिका (डब्ल्यूपीसी 1903/2007) दायर की गयी. अदालत ने 2008 तक किराया भुगतान का आदेश दिया. 11 मार्च 2009 को पारित आदेश में अदालत ने सेना को जयंत कर्नाड के पक्ष में जमीन रिलीज करने का आदेश दिया.

वर्ष 2009 में सेना ने अपील की थी दायर

वर्ष 2009 में सेना ने हाइकोर्ट के आदेश के विरुद्ध अपील (एलपीए 205/2009) दायर किया. आठ साल बाद आइए 7440/2017 और सीएमपी 282/2017 भी दायर किया. हालांकि अदालत का फैसला जयंत कर्नाड के पक्ष में ही रहा. जयंत कर्नाड ने वर्ष 2019 में सेना के कब्जेवाली उक्त जमीन 13 लोगों को बेच दी. खरीदारों ने जमीन के म्यूटेशन के लिए आवेदन दिया. हालांकि खरीदारों को जमीन पर कब्जा नहीं मिलने के आधार पर सीओ ने म्यूटेशन आवेदन खारिज कर दिया. अप्रैल 2021 में इरबा निवासी प्रदीप बागची ने डीसी को आवेदन देकर सेना के कब्जेवाली इस जमीन को अपना बताया. साथ ही फर्जी दस्तावेज के सहारे जमीन की खरीद-बिक्री किये जाने की शिकायत करते हुए जांच की मांग की.

बागची की शिकायत पर राज्य सरकार ने दिया था जांच के आदेश

बागची की शिकायत पर ही राज्य सरकार ने जांच का आदेश दिया था, लेकिन जांच में पता चला कि बागची ही फरजीवाड़े का सरताज है. कोलकाता रजिस्ट्री कार्यालय में मौजूद सेल डीड में बागची द्वारा जमीन खरीदे जाने का उल्लेख है. नगर निगम से जुड़े दस्तावेज की जांच के दौरान पाया गया कि बागची ने होल्डिग नंबर लेने के लिए वर्ष 2021 में ऑनलाइन आवेदन दिया. इसमें बिजली का कंज्यूमर नंबर 3389, आइडी नंबर 436915 बताया गया. जांच में यह कंज्यूमर नंबर बड़गाई निवासी जिफुल्ला का पाया गया. होल्डिंग नंबर हासिल करने के लिए दिये आवेदन में बागची की जालसाजी पकड़ी गयी. उसने होल्डिंग नंबर लेने के लिए तकनीक का इस्तेमाल कर कंज्यूमर का नाम और पता बदल दिया था. इस जालसाजी के मद्देनजर जांच अधिकारी ने कोलकाता में निबंधित सेल डीड को भी संदेहास्पद करार दिया.

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